इस बार गर्मी से ज्यादा मानसून की चर्चा हो रही है। मई के महीने में ही मुंबई में मानसून ने दस्तक दे दी है। दिल्ली एनसीआर में भी मई के महीने में ही प्री मानसून की बारिश ने लोगों को हैरान कर दिया है। भले ही मानसून चिलचिलाती गर्मी से राहत देता है, लेकिन यह अपने साथ ढेर सारी बीमारियां भी लेकर आता है। जगह-जगह पानी भरने से, नाले और नदियों के उफान से अलग अलग कीटों और बैक्टीरिया को पनपने के लिए अच्छा मौसम मिल जाता है। इसीलिए बारिश के मौसम को बीमारियों का मौसम भी कहा जाता है। आइये जानते हैं मानसून में किन बीमारियों का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
मानसून की 10 सबसे कॉमन बीमारियां
सर्दी और फ्लू
मौसम में नमी की वजह से एयर कंडीशनिंग की जरूरत होती है। बाहर निकलते ही धूप और गर्मी होती है। तापमान में यही उतार-चढ़ाव सर्दी और फ्लू का कारण बनता है।
सर्दी फ्लू के लक्षण- सामान्य लक्षणों में खांसी, बहती या भरी हुई नाक, साइनसाइटिस और शरीर में दर्द जैसे लक्षण नजर आते हैं। इससे सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
कैसे करें बचाव- एक जैसे तापमान में रहने की कोशिश करें। विटामिन सी से भरपूर खाना खाएं। ठंडी चीजें खाने से बचें। भाप लें और ताजा खाना खाएं।
हेपेटाइटिस ए
बारिश के दिनों में हेपेटाइटिस ए का खतरा बढ़ जाता है। ये एक वायरल इंफेक्शन है जो लिवर को प्रभावित करता है।
हेपेटाइटिस ए के लक्षण- मुख्य लक्षणों में बुखार, कमजोरी, उल्टी और पीलिया शामिल हैं।
कैसे करें बचाव- ताजा खाना खाएं। खराब और बासी चीजों का सेवन न करें। पानी उबालकर या फिल्टर करके ही पीएं। शुद्ध पानी ही पाएं। बाहर के खाने से बचें।
डेंगू बुखार
मानसून में डेंगू तेजी से फैलने वाली बीमारी है। डेंगू एडीज मच्छर से फैलता है। ये एक सीजनल और वायरल बीमारी है।
डेंगू के लक्षण- तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द , जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द और शरीर पर दाने दिखाई देते हैं। गंभीर स्थिति में यह डेंगू रक्तस्रावी बुखार या डेंगू शॉक सिंड्रोम का कारण बन सकता है।
कैसे करें बचाव- घर में और आसपास पानी जमा न होने दें। गमलों या दूसरी जगहों को साफ रखें जिससे मच्छर का प्रजनन न हो। पानी को बदलते रहें। मच्छरदानी का उपयोग करें। बाहर निकलने पर मच्छर भगाने वाली क्रीम या रेपेलेंट लगाएं। पूरे शरीर को खासतौर से पैरों को ढककर रखें।
मलेरिया
मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी की वजह से होता है। ये संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों से इंसान में आता है।
मलेरिया के लक्षण- मलेरिया होने पर तेज बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द और शरीर में दर्द शामिल हैं। कई बार स्थिति गंभीर भी हो जाती है।
कैसे करें बचाव- मच्छरों के काटने से बचें, फुल और सूती कपड़े पहनें। कहीं भी बारिश का पानी जमा न होने दें। जहां मलेरिया फैल रहा है वहां जाने से बचें।
चिकनगुनिया
चिकनगुनिया भी बारिश में होने वाला एक वायरल इंफेक्शन है। ये एडीज मच्छर से फैलता है। चिकनगुनिया मानसून के सीजन में तेजी से फैलता है।
चिकनगुनिया के लक्षण- तेज बुखार, जोड़ों में तेज दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, थकान और शरीर पर दाने शामिल हैं।
कैसे करें बचाव- मच्छर से बचने के उपाय करें। शाम को पार्क या घर से बाहर न निकलें। पानी जमा न होने दें। खिड़कियों और दरवाजों को बंद रखें। फुल कपड़ों से खुड को कवर कर लें।
लेप्टोस्पायरोसिस
लेप्टोस्पायरोसिस एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो लेप्टोस्पाइरा बैक्टीरिया की वजह से होता है। यह चूहा और दूसरे जानवरों के मूत्र में पाया जाता है। जब चूहे बारिश में बिलों से निकल जाते हैं तो पानी और मिट्टी को दूषित कर देते हैं। जो इंसान के शरीर में चले जाते हैं।
लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण- तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी और पीलिया शामिल हैं।
कैसे करें बचाव- बाढ़ का पानी जहां भरा है वहां पानी में न जाएं। रबर के जूते पहनें। दूषित मिट्टी से दूर रहें। हाथ पैरों को अच्छी तरह साबुन और गुनगुने पानी से धोएं।
टाइफाइड बुखार
टाइफाइड बुखार साल्मोनेला टाइफी जीवाणु से होता है। ये एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो बच्चों को तेजी से अपनी चपेट में लेता है। खराब खाने और दूषित पानी से फैलता है।
टाइफाइड के लक्षण- तेज बुखार, सिरदर्द, पेट दर्द और कमजोरी जैसे लक्षण लोगों में नजर आते हैं।
कैसे करें बचाव- खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। पका हुआ खाना ही खाएं। कच्चे खाने से बचें। साफ सफाई का ख्याल रखें। बाहर का खाने से बचें। पानी साफ और उबला हुआ पीएं। बच्चों को टीका लगवाएं।
हैजा
पानी से फैलने वाली एक और बीमारी है हैजा, जिसका नाम सुनकर ही लोग डर जाते हैं। खराब खाने और पानी पीने से हैजा होता है। हैजा विब्रियो कोलेरा नामक बैक्टीरिया से होता है।
हैजा के लक्षण- उल्टी, दस्त होना, कमजोरी और चक्कर आना।
कैसे करें बचाव- उबला हुआ, साफ, शुद्ध खाना और पानी ही पीएं। बाहर के खाने से बचें।
पेचिश और दस्त
अमीबिक पेचिश या बैक्टीरिया से होने वाले दस्त के कारण पेट में दर्द, दस्त और मतली हो सकती है। इस सीजन में लोगों को उल्टी दस्त की समस्या बहुत होती है।
पेचिश के लक्षण- पेट में मरोड़ उठना, पेट दर्द होना, पतले दस्त होना और उल्टी होना।
कैसे करें बचाव- समय पर दवा लें। पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का सेवन करते रहें। शरीर में पानी की कमी न होने दें। पका हुआ और सुपाच्य भोजन ही खाएं।
स्किन एलर्जी और इंफेक्शन
बारिश में फंगल इंफेक्शन और स्किन इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होने से जल्दी एलर्जी का शिकार हो सकते हैं। खासतौर से मधुमेह के रोगियों को सावधान रहना चाहिए।
स्किन एलर्जी के लक्षण- त्वचा की एलर्जी , चकत्ते और फंगस, यीस्ट या बैक्टीरिया से संक्रमण हो सकता है।
कैसे करें बचाव- त्वचा को सूखा रखने और ढीले कपड़े पहनने की कोशिश करें। शरीर को सूखा रखें। साफ और सूखे कपड़े ही पहनें। एंटीफंगल क्रीम या डस्टिंग पाउडर लगाए।
सोर्स: https://www.maxhealthcare.in/blogs
Disclaimer: (इस आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स केवल आम जानकारी के लिए हैं। सेहत से जुड़े किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने या किसी भी बीमारी से संबंधित कोई भी उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इंडिया टीवी किसी भी प्रकार के दावे की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।)