Monday, December 08, 2025
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प्रदूषण का बढ़ता स्तर सिर्फ फेफड़े ही नहीं दिमाग को भी बना रहा बीमार? डॉक्टर से जानें इससे ब्रेन पर पड़ता है कैसे प्रभाव?

देश में बढ़ता वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को ही कमजोर नहीं कर रहा है बल्कि इससे हमारे दिमाग पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे दिमाग से जुड़ी कई परेशानियां हो सकती हैं

Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Published : Dec 08, 2025 06:30 am IST, Updated : Dec 08, 2025 06:30 am IST
प्रदूषण से ब्रेन स्ट्रोक - India TV Hindi
Image Source : UNSPLASH प्रदूषण से ब्रेन स्ट्रोक

दिल्ली एनसीआर में जहरीली हवा का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। हर गुजरते दिन एक्यूआई बद से बदतर हो रहा है। इससे सांसों पर संकट आ गया है। वायु प्रदूषण से न सिर्फ सांसों को नुकसान हो रहा है, बल्कि खून और दिमाग तक को भारी नुकसान पहुंचा रही है। प्रदूषण में मौजूद पीएम 2.5 और पीएम 10, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सहित और भी कई तरह की जहरीली गैस शरीर में घुसकर कई तरह की प्रतिक्रयाएं शुरू कर देते हैं। आर्टेमिस हॉस्पिटल में  कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी डॉ. विवेक बरुन से समझते हैं कि कैसे वायु प्रदूषण खून को गाढ़ा बनाती हैं, ब्लड क्लॉटिंग बढ़ाती हैं और अंत में ब्रेन स्ट्रोक का जोखिम कई गुणा बढ़ा देती हैं।

वायु प्रदूषण से होती हैं ये समस्याएं:

  • खून गाढ़ा होने लगता है: जब हम सांस लेते हैं, तो प्रदूषण कण सांसों के जरिए फेफड़ो में पहुंचते हैं, वहां से खून में चले जाते हैं। लगातार अगर कोई व्यक्ति ऐसी जहरीली हवा में सांस ले तो शरीर में इंफ्लेमेशन हो जाता है, जिससे ब्लड सेल्स और प्रोटीन एक दूसरे से चिपकने लगते हैं। इसी से खून में गाढ़ापन आने लगता है। जब खून गाढ़ा होता है, तो उसे नसों के अंदर बहने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। यह स्थिति दिल सहित दिमाग पर दबाव डालती है।

  • ब्रेन स्ट्रोक का कारण: प्रदूषित हवा का एक और बड़ा असर प्लेटलेट्स पर पड़ता है। सामान्य तौर पर प्लेटलेट्स तब सक्रिय होते हैं जब शरीर में कहीं चोट लगती है और खून रोकने के लिए क्लॉट बनाना होता है। लेकिन प्रदूषण की वजह से ये प्लेटलेट्स बिना जरूरत ही ज्यादा सक्रिय होने लगते हैं। ऐसी स्थिति में खून नसों के अंदर ही छोटे-छोटे थक्के बनाने लगता है। जब ये थक्के दिमाग तक जाने वाली बारीक नसों में अटक जाते हैं, तो वहां खून का प्रवाह रुक सकता है। यही रुकावट आगे चलकर इस्केमिक स्ट्रोक, यानी सबसे आम प्रकार के ब्रेन स्ट्रोक, का कारण बन जाती है।

  • नसें कमजोर हो जाती है:  प्रदूषण से शरीर की नसें कमजोर होकर, संकरी होने लगती हैं। इससे गाढ़ा हो चुका खून बहने में और दिक्कत होती है, तो स्ट्रोक की संभावना और भी बढ़ जाती है। यह समस्या बुजुर्गो, बीपी, हार्ट और डायबिटीज के मरीजों को ज्यादा ट्रिगर कर सकती है।

Disclaimer: (इस आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स केवल आम जानकारी के लिए हैं। सेहत से जुड़े किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने या किसी भी बीमारी से संबंधित कोई भी उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इंडिया टीवी किसी भी प्रकार के दावे की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।)

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