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पीएम मोदी ब्लॉग के जरिए अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी, कहा- यकीन करना मुश्किल है

"मेरे अटल जी मेरे अंदर गूंज रहे हैं, कैसे मान लूं कि वे अब नहीं रहे। मैं खुद को यकीन दिला रहा हूं कि अटल जी अब नहीं हैं। अटल जी नहीं रहे। वह मेरी आंखों के सामने हैं। बिल्कुल स्थिर। जो हाथ मेरी पीठ पर धौल जमाते थे, जो स्नेह से मुझे बाहों में भर लेते थे, वे स्थिर हैं।"

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : Aug 17, 2018 10:13 am IST, Updated : Aug 17, 2018 10:13 am IST
पीएम मोदी ब्लॉग के जरिए अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी, कहा- यकीन करना मुश्किल है- India TV Hindi
पीएम मोदी ब्लॉग के जरिए अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी, कहा- यकीन करना मुश्किल है

नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया है। वह 93 वर्ष के थे। अटल बिहारी वाजपेयी काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। भाजपा के 93 वर्षीय नेता मधुमेह से पीड़ित थे और उनकी एक किडनी ही काम कर रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्लॉग के जरिए अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी है। मोदी ने लिखा है कि ये यकीन करना मुश्किल है कि अटल जी हमारे बीच अब नहीं रहे।

कैसे मान लूं अटल जी नहीं रहे

मेरे अटल जी मेरे अंदर गूंज रहे हैं, कैसे मान लूं कि वे अब नहीं रहे। मैं खुद को यकीन दिला रहा हूं कि अटल जी अब नहीं हैं। अटल जी नहीं रहे। वह मेरी आंखों के सामने हैं। बिल्कुल स्थिर। जो हाथ मेरी पीठ पर धौल जमाते थे, जो स्नेह से मुझे बाहों में भर लेते थे, वे स्थिर हैं। अटल जी की यह स्थिरता मुझे झकझोर रही है। अस्थिर कर रही है। एक जलन सी है आंखों में। कुछ कहना है, बहुत कुछ कहना है, लेकिन कह नहीं पा रहा। मैं खुद को बार-बार यकीन दिला रहा हूं कि अटल जी अब नहीं हैं। लेकिन यह विचार आते ही खुद को इस विचार से दूर कर रहा हूं। क्या अटल जी वाकई नहीं हैं ? नहीं। मैं उनकी आवाज अपने भीतर गूंजते हुए महसूस कर रहा हूं।

कैसे कह दूं? कैसे मान लूं? वे अब नहीं हैं। उनसे पहली मुलाकात की स्मृति ऐसी है जैसे कल की बात हो। जब पहली बार उनके मुंह से मेरा नाम निकला था, वह आवाज कई दिनों तक मेरे कानों से टकराती रही। मैं कैसे मान लूं कि वह आवाज अब चली गई है? कभी सोचा नहीं था कि अटल जी के बारे में ऐसा लिखने के लिए कलम उठानी पड़ेगी। देश की विकास यात्रा में असंख्य लोगों ने जीवन समर्पित किया। लेकिन स्वतंत्रता के बाद लोकतंत्र की रक्षा और 21वीं सदी के सशक्त, सुरक्षित भारत के लिए अटलजी ने जो किया, वह अभूतपूर्व है।

आपातकाल ने हमारे लोकतंत्र पर जो दाग लगाया था, उसे मिटाने के लिए अटल जी के प्रयासों को देश हमेशा याद रखेगा। जितना सम्मान, जितनी ऊंचाई अटल जी को मिली, उतना ही अधिक वह जमीन से जुड़ते गए। अपनी सफलता को कभी भी मस्तिष्क पर प्रभावी नहीं होने दिया। उन्होंने कहा -"हे प्रभु! मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना। गैरों को गले ना लगा सकूं, इतनी रुखाई कभी मत देना।" यदि भारत उनके रोम-रोम में था तो विश्व की वेदना उनके मर्म को भेदती थी। वे विश्व नायक थे। भारत की सीमाओं के परे भारत की कीर्ति और करुणा का संदेश स्थापित करने वाले आधुनिक बुद्ध। अपने पुरुषार्थ और कर्तव्यनिष्ठा को राष्ट्र के लिए समर्पित करना ही देशवासियों के लिए उनका संदेश है। देश के साधनों, संसाधनों पर पूरा भरोसा करते हुए हमें अटल जी के सपने पूरे करने हैं।

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