Thursday, April 25, 2024
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निजी अस्पतालों में इलाज कराना सरकारी अस्पतालों से 7 गुना महंगा: सरकारी आंकड़े

देश के निजी क्षेत्र के अस्पतालों में लोगों को इलाज कराना सरकारी अस्पतालों की तुलना में सात गुना अधिक खर्चीला पड़ता है। यह बात राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की एक सर्वेक्षण रपट में सामने आयी है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 24, 2019 13:51 IST
Average medical expenditure at pvt hospitals seven-times...- India TV Hindi
Average medical expenditure at pvt hospitals seven-times higher than govt ones: Report

नयी दिल्ली: देश के निजी क्षेत्र के अस्पतालों में लोगों को इलाज कराना सरकारी अस्पतालों की तुलना में सात गुना अधिक खर्चीला पड़ता है। यह बात राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की एक सर्वेक्षण रपट में सामने आयी है। इसमें प्रसव के मामलों पर खर्च के आंकड़े शामिल नहीं किए गए हैं। यह आंकड़ा जुलाई-जून 2017-18 की अवधि के सर्वेक्षण पर आधारित है। राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण (एनएसएस) की 75वें दौर की ‘परिवारों का स्वास्थ्य पर खर्च’ संबंधी सर्वेक्षण रपट शनिवार को जारी की गयी। 

इसके अनुसार इस दौरान परिवारों का सरकारी अस्पताल में इलाज कराने का औसत खर्च 4,452 रुपए रहा। जबकि निजी अस्पतालों में यह खर्च 31,845 रुपए बैठा। शहरी क्षेत्र में सरकारी अस्पतालों में यह खर्च करीब 4,837 रुपए जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 4,290 रुपए रहा। वहीं निजी अस्पतालों में यह खर्च क्रमश: 38,822 रुपए और 27,347 रुपए था।

ग्रामीण क्षेत्र में एक बार अस्पताल में भर्ती होने पर परिवार का औसत खर्च 16,676 रुपए रहा। जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 26,475 रुपये था। यह रपट 1.13 लाख परिवारों के बीच किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है। इससे पहले इस तरह के तीन सर्वेक्षण 1995-96, 2004 और 2014 में हो चुके हैं। 

अस्पताल में भर्ती होने वाले मामलों में 42 फीसदी लोग सरकारी अस्पताल का चुनाव करते हैं। जबकि 55 फीसदी लोगों ने निजी अस्पतालों का रुख किया। गैर-सरकारी और परर्मार्थ संगठनों द्वारा संचालित अस्पतालों में भर्ती होने वालों का अनुपात 2.7 फीसदी रहा। इसमें प्रसव के दौरान भर्ती होने के आंकड़ों को शामिल नहीं किया गया है। 

प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर ग्रामीण इलाकों में परिवार का औसत खर्च सरकारी अस्पतालों में 2,404 रुपए और निजी अस्पतालों में 20,788 रुपए रहा। वहीं शहरी क्षेत्रों में यह खर्च क्रमश: 3,106 रुपए और 29,105 रुपए रहा। रिपोर्ट के अनुसार देश में 28 फीसदी प्रसव मामलों में ऑपरेशन किया गया। सरकारी अस्पतालों में मात्र 17 फीसदी प्रसव के मामलों में ऑपरेशन किया गया और इनमें 92 फीसदी ऑपरेशन मुफ्त किए गए। वहीं निजी अस्पताओं में 55 फीसदी प्रसव के मामलों में ऑपरेशन किया गया और इनमें केवल एक फीसदी ऑपरेशन मुफ्त किए गए। 

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