Saturday, April 27, 2024
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किसान नेता ने कहा- बुधवार को सरकार और किसानों के बीच नहीं होगी बातचीत, केंद्र के प्रस्ताव पर होगी चर्चा

नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के नेताओं के साथ सरकार की छठे दौर की वार्ता बुधवार को होना प्रस्तावित था, लेकिन अब यह बातचीत नहीं होगी।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 08, 2020 23:39 IST
किसान नेताओं और सरकार के बीच बुधवार को होगी छठे दौर की वार्ता- India TV Hindi
Image Source : PTI किसान नेताओं और सरकार के बीच बुधवार को होगी छठे दौर की वार्ता (फाइल फोटो)

नयी दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के नेताओं के साथ सरकार की छठे दौर की वार्ता बुधवार को होना प्रस्तावित था, लेकिन अब यह बातचीत नहीं होगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मंगलवार को हुई मुलाकात के बाद एक किसान नेता ने यह जानकारी दी। अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हनन मुला ने कहा कि कल (बुधवार) सरकार और किसानों के बीच अब कोई बैठक नहीं होगी। उन्होंने कहा, 'मंत्री ने कहा है कि कल किसान नेताओं को एक प्रस्ताव दिया जाएगा। सरकार के प्रस्ताव पर किसान नेता बैठक करेंगे।' 

इससे एक दिन पहले मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गतिरोध को तोड़ने के लिए चुनिंदा किसान नेताओं से बात की। बुधवार को तीन केंद्रीय मंत्री- कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोमप्रकाश प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रही भारतीय किसान यूनियन सहित 40 किसान संगठनों के नेताओं से एक बार फिर बात करेंगे। 

छठे दौर की वार्ता आज हुए ‘भारत बंद’ के बाद होने जा रही थी। किसानों के आज के ‘भारत बंद’ को ट्रेड यूनियनों, अन्य संगठनों और कांग्रेस सहित 24 विपक्षी दलों का समर्थन मिला। सरकार और किसानों के बीच हुई पांच दौर की वार्ता में कोई सफलता नहीं मिली है, ऐसे में छठे दौर की वार्ता को लेकर काफी उम्मीदें हैं।

सरकार कानूनों में संशोधन की इच्छा जता चुकी है और कई तरह के आश्वासन भी दे चुकी है, लेकिन किसान संगठन नए कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं। इस बीच, सात दिसंबर को हरियाणा से 20 प्रगतिशील किसानों के एक समूह ने सरकार को एक ज्ञापन देकर मांग की थी कि सरकार प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के सुझाव के अनुरूप संशोधनों पर विचार करे, लेकिन कानूनों को निरस्त न करे। केंद्र ने आश्वासन दिया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी प्रणाली जारी रहेगी। 

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