Friday, April 19, 2024
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मैं 92 साल का हूं, दोषी व्यक्ति के रूप मे नहीं मरना चाहता: पूर्व मंत्री सुखराम ने कोर्ट से कहा

1993 में संचार उपकरणों की खरीद के मामले में हैदराबाद की एक कंपनी को लाभ पहुंचाने के आरोप में 2002 में सुखराम को सजा सुनाई थी...

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: March 28, 2018 20:18 IST
pandit sukhram- India TV Hindi
pandit sukhram

नई दिल्ली: पूर्व संचार मंत्री सुखराम ने आज सुप्रीम कोर्ट से कहा, ‘‘मैं 92 साल का हूं और दोषी व्यक्ति की तरह मरना नहीं चाहता।’’ इसके साथ ही उन्होंने भ्रष्टाचार के मामले में तीन साल की सजा के खिलाफ दायर अपनी अपील पर न्यायालय से शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2011 में सुखराम को दोषी ठहराने और उन्हें तीन साल की कैद की सजा के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था। निचली अदालत ने 1993 में संचार उपकरणों की खरीद के मामले में हैदराबाद की एक कंपनी को लाभ पहुंचाने के आरोप में 2002 में सुखराम को सजा सुनाई थी।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार की इस दलील का संज्ञान लिया कि उनकी अपील पर तेजी से सुनवाई की जाए क्योंकि वयोवृद्ध नेता दोषी होने के कलंक के साथ मरना नहीं चाहता।

पीठ ने कहा, ‘‘इस बात का ध्यान रखा जाए कि अपीलकर्ता जमानत पर है। हालांकि, उसका कथन है कि वह अपराधिता के ठप्पे के साथ इस दुनिया से विदा नहीं होना चाहता। जैसा भी यह है, इस मामले में तीन अपीलें है जो 2012 से संबंधित हैं। अपीलकर्ताओं के वकील और सीबीआई के वकील पी के डे को ग्रीष्मावकाश की पीठ के समक्ष मई, 2018 के प्रथम सप्ताह में इन अपीलों को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर कोई आपत्ति नहीं है। तदनुसार आदेश दिया जाता है।’’

उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सुखराम की अपील खारिज करते हुए दूरसंचार विभाग में तत्कालीन निदेशक रूनू घोष और एडवांस्ड रेडियो मास्ट्स प्रा. लि. के प्रबंध निदेशक पी रामा राव को दोषी ठहराने का निर्णय भी बरकरार रखा था।

सुखराम, घोष और राव को भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत दोषी ठहराया गया था। हालांकि सुखराम को आपराधिक साजिश के आरोप से मुक्त कर दिया गया था। सुखराम को एक अन्य दूरसंचार प्रकरण में निचली अदालत ने 2011 में पांच साल की कैद की सजा सुनाई थी। यह मामला भी विभिन्न चरणों में लंबित है। 

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