Friday, April 19, 2024
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Kashmir: गिलानी के नाता तोड़ने का हुर्रियत के कामकाज पर दिखेगा असर!

इन तीन अलगाववादियों ने आतंकवादी बुरहान वानी की मौत के Joint Resistance Leadership (JRL) बनाया था। कई महीनों तक इनके ग्रुप ने कश्मीर घाटी में बंद और हड़ताल की कॉल की थी। 

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 29, 2020 17:54 IST
Geelani- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Kashmir: गिलानी के नाता तोड़ने का हुर्रियत के कामकाज पर दिखेगा असर!

श्रीनगर. अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के उस धड़े से अलग होने की सोमवार को घोषणा की जिसका गठन उन्होंने 2003 में किया था। मीडिया के लिए जारी चार पंक्ति के पत्र और एक ऑडियो संदेश में, 90 वर्षीय नेता के प्रवक्ता ने कहा, “ गिलानी ने हु्र्रियत कॉन्फ्रेंस फोरम से पूरी तरह से अलग होने की घोषणा की है।” 

जानकारों की मानें तो सैयद अली शाह गिलानी के हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से नाता तोड़ने के असर हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कामकाज पर स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस में 27 अलगाववादी समूह शामिल हैं और गिलानी लंबे समय से इसका नेतृत्व कर रहे थे। अलगाववादी नेता मिरवाइज और यासिन मलिक इसके अन्य प्रमुख नेताओं में शुमार हैं। 

इन तीन अलगाववादियों ने आतंकवादी बुरहान वानी की मौत के Joint Resistance Leadership (JRL) बनाया था। कई महीनों तक इनके ग्रुप ने कश्मीर घाटी में बंद और हड़ताल की कॉल की थी। कई बार ये तीनों अलगाववादी नेता अलग हुए लेकिन फिर बाद में एकसाथ आ गए। सैयद अली शाह गिलानी को हमेशा से कट्टरपंथी माना जाता है। गिलानी ने कश्मीर में खुलकर इस्लाम और पाकिस्तान की वकालत की है। मीरवाइज मध्यम समूह के विपरीत।

बता दें कि गिलानी तहरीक हर्रियत का हिस्सा तो रहेंगे लेकिन वो ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से दूर हो गए हैं। मिरवाइज उमर फारूक इस वक्त अपने घर में नजरबंद हैं और उन्होंने न तो इस मुद्दे और न ही किसी अन्य मुद्दे पर किसी से भी बात की है। JKLF पर पहले ही बैन लगाया जा चुका है, जबकि यासिन मलिक दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है

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