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हाईकोर्ट दिल्ली सरकार की अधिकार संबंधी याचिका पर अगले सप्ताह करेगा सुनवाई

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों को लेकर चली रस्साकशी का मामला दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंचा था। उच्च न्यायालय ने चार अगस्त , 2016 को अपने फैसले में कहा था कि उपराज्यपाल ही दिल्ली के प्रशासनिक मुखिया है।

Reported by: Bhasha
Published : Jul 10, 2018 02:32 pm IST, Updated : Jul 10, 2018 05:54 pm IST
न्यायालय दिल्ली सरकार की अधिकार संबंधी याचिका पर अगले सप्ताह करेगा सुनवाई- India TV Hindi
न्यायालय दिल्ली सरकार की अधिकार संबंधी याचिका पर अगले सप्ताह करेगा सुनवाई

नयी दिल्ली: संविधान पीठ के हाल के फैसले के आलोक में उच्चतम न्यायालय विभिन्न अधिकारों के दायरे से संबंधित दिल्ली सरकार की अपीलों पर अगले सप्ताह सुनवाई के लिये आज सहमत हो गया। संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि उपराज्यपाल को निर्णय लेने के लिये कोई स्वतंत्र अधिकार नहीं है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने चार जुलाई को अपने फैसले में राष्ट्रीय राजधानी के शासन के लिये कुछ व्यापक मानदंड निर्धारित किये थे। दिल्ली में वर्ष 2014 में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से ही केन्द्र और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों को लेकर लंबे समय से रस्साकशी चल रही थी।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने दिल्ली सरकार के इस कथन पर विचार किया कि शीर्ष अदालत के फैसले के बाद भी सार्वजनिक सेवाओं के मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है और इस पर किसी उचित पीठ द्वारा विचार की आवश्यकता है। दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील राहुल मेहरा से पीठ ने कहा, ‘‘इसे अगले सप्ताह किसी समय सूचीबद्ध किया जायेगा।’’ शीर्ष अदालत ने कहा था कि सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि के अलावा दिल्ली सरकार को अन्य विषयों पर कानून बनाने और शासन करने का अधिकार है।

इसके साथ ही पीठ ने स्पष्ट किया था कि संविधान की योजना के मद्देनजर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता। संविधान पीठ ने दिल्ली की स्थिति और अधिकारों से संबंधित अनुच्छेद 239 एए की व्याख्या कर महत्वपूर्ण मुद्दों का जवाब दिया था। अब दिल्ली की स्थिति और अधिकारों के बारे में दो या तीन सदस्यीय पीठ विचार करेगी। पीठ ने यह भी कहा था कि उपराज्यपाल को सोच विचार के बगैर ही मंत्रिमंडल के सारे फैसलों को राष्ट्रपति के पास भेजने के लिये यांत्रिक तरीके से काम नहीं करना चाहिए। उपराज्यपाल और मंत्रिपरिषद को परस्पर विचार विमर्श से किसी भी मतभेद को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों को लेकर चली रस्साकशी का मामला दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंचा था। उच्च न्यायालय ने चार अगस्त , 2016 को अपने फैसले में कहा था कि उपराज्यपाल ही दिल्ली के प्रशासनिक मुखिया है। उच्च न्यायालय के इस निर्णय को केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। इन अपीलों पर सुनवाई के दौरान ही अनुच्छेद 239 एए की व्याख्या का मुद्दा उठने पर न्यायाधीशों की पीठ ने इसे संविधान पीठ को सौंप दिया था।

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