Saturday, April 27, 2024
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पिथौरागढ़ में आदिवासी कोविड जांच से बचने के लिए जंगलों में भागे

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के एक गांव में रहने वाली बन रावत जनजाति के लोग हाल में जिला स्वास्थ्यकर्मियों की एक टीम के कोविड-19 जांच के लिए पहुंचते ही घरों से जंगलों की ओर भाग गए।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: May 30, 2021 17:04 IST
पिथौरागढ़ में आदिवासी कोविड जांच से बचने के लिए जंगलों में भागे - India TV Hindi
Image Source : PTI FILE PHOTO पिथौरागढ़ में आदिवासी कोविड जांच से बचने के लिए जंगलों में भागे 

पिथौरागढ़। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के एक गांव में रहने वाली बन रावत जनजाति के लोग हाल में जिला स्वास्थ्यकर्मियों की एक टीम के कोविड-19 जांच के लिए पहुंचते ही घरों से जंगलों की ओर भाग गए। डीडीहाट के उपजिलाधिकारी केएन गोस्वामी ने रविवार को बताया कि अपने गांव में कोविड जांच टीम के पहुंचने की सूचना पाने पर शर्मीले आदिवासी घरों के आसपास के जंगलों में भाग गए।

अधिकारी ने बताया, “हमने औलतारी और जमतारी गांवों के निवासियों की जांच कर ली लेकिन कुटा चौरानी में रहने वाले लोग जंगलों में भाग गए।” बन रावत समुदाय को वर्ष 1967 में भारत सरकार ने एक आदिम जनजाति घोषित किया है जो विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी है। गोस्वामी ने बताया कि इस अत्यंत लुप्तप्राय: जनजाति के 500 से ज्यादा सदस्य डीडीहाट सबडिवीजन में आठ स्थानों पर रहते हैं। उन्होंने कहा, “हमने अपनी कोरोना जांच टीमों को औलतारी, जमतारी और कुटा चौरानी गांवों में भेजा था। औलतारी और जमतारी में रहने वाले 191 सदस्यों ने आगे आकर अपनी जांच करवा ली लेकिन कुटा चौरानी के निवासी जांच से बचने के लिए जंगलों में भाग गए ।”

उपजिलाधिकारी ने कहा कि ग्रामीणों को डर था कि जांच के लिए इस्तेमाल की जाने वाली स्वैब स्ट्रिप से वे संक्रमित हो जाएंगे । कुटा चौरानी गांव में रहने वाले बन रावत समुदाय के एक बुजुर्ग जगत सिंह रजवार ने कहा कि स्वैब टेस्टर से उन्हें कोरोना संक्रमण हो जाएगा । उन्होंने कहा, “हम स्वास्थ्य जांच करवाने, दवाइयां खाने को तैयार हैं लेकिन हम नहीं चाहते कि स्वैब स्ट्रिप हमारे शरीर में प्रवेश करे ।” उपजिलाधिकारी के अनुसार, उनकी टीम ने समुदाय के कुछ साक्षर लोगों को समझाकर उन्हें अपनी जनजाति के लोगों में जांच की जरूरत के बारे में जागरूकता फैलाने को प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि एक—दो दिन में फिर गांव में टीम भेजकर कोविड जांच नमूने लेने का प्रयास किया जाएगा।

डीडीहाट यूथ सोसायटी के समन्वयक संजू पंत ने कहा कि समुदाय के कुछ लोगों को विश्वास में लेकर उन्हें कोरोना किट बांटी गई हैं । पंत ने कहा कि कोविड की वजह से कोई काम न होने के कारण लुप्तप्राय: जनजाति समुदाय के लोग विषम दशाओं में रह रहे हैं और इस बारे में प्रशासन को सूचित कर दिया गया है । उन्होंने कहा कि हमने प्रशासन से जनजाति समुदाय के लोगों को खाद्य सामग्री के अलावा उपभोक्ता सामान भी उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।

गोस्वामी ने बताया कि खाद्य सामग्री के अलावा बन रावतों को मसालों, तेल और अन्य जरूरी सामान भी निशुल्क वितरित किया गया है । उन्होंने कहा कि उन्होंने डीडीहाट के ब्लॉक विकास अधिकारी तथा पिथौरागढ़ के जिला विकास अधिकारी को पत्र लिखकर समुदाय के लोगों को मनरेगा के तहत काम देने को कहा है । गोस्वामी ने कहा, “हम समुदाय के लोगों को भूख का सामना नहीं करने देंगे । हम राजस्व अधिकारियों के जरिए उन पर नजर रखेंगे कि उन्हें खाने की कोई कमी न हो ।”

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