Friday, May 10, 2024
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Rajat Sharma’s Blog : कैसे यूपी चुनाव में तेजी से घुल रहा है सांप्रदायिकता का रंग

अखिलेश और प्रियंका अपनी-अपनी पार्टियों के लिए मुस्लिम वोटों को लुभाने की कोशिश तो कर रहे हैं लेकिन पर्दे के पीछे से। समाजवादी पार्टी औऱ कांग्रेस यह मानती है कि योगी आदित्यनाथ को मुसलमान वोट नहीं देंगे।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: January 19, 2022 15:52 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के रंग अब तेजी से बदल रहे हैं। ये वो रंग है जो अब तक पर्दे के पीछे था लेकिन अब खुलकर सामने आ गया है। बरेली के मौलाना तौकीर रजा के नफरत से भरे भाषणों के मुद्दे पर मंगलवार को बीजेपी ने कांग्रेस को घेरने की कोशिश की। कुछ दिन पहले ही इस मौलाना ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी और कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया था। अब बीजेपी ने याद दिलाया कि ये वही तौकीर रजा हैं जिन्होंने कुछ हफ्ते पहले नफरत से भरे अपने भाषण में हिन्दुओं को धमकी दी थी।

 
मौलाना ने धमकी देते हुए कहा था कि 'अगर मुसलमान लड़कों को गुस्सा आ गया और उन्होंने कानून को अपने हाथ में ले लिया तो हिन्दुओं को हिन्दुस्तान में कहीं पनाह नहीं मिलेगी।' ठीक इसी तरह से नाहिद हसन भी समाजवादी पार्टी की मुसीबत बने हैं।अखिलेश यादव ने नाहिद हसन को कैराना से उम्मीदवार बनाया तो बीजेपी ने याद दिलाया कि ये वही नाहिद हसन हैं जिन्होंने पांच साल पहले कैराना से हिन्दू परिवारों का पलायन करवाया था। नाहिद हसन के खिलाफ आपराधिक मामलों की एक पूरी लिस्ट है। पिछले हफ्ते उसने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया जिसके बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। उधर, समाजवादी पार्टी के इसी रंग में यूपी के पूर्व मंत्री आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम भी नजर आए। मंगलवार को अखिलेश यादव ने अब्दुल्ला आजम का खुलकर समर्थन किया और उन पर लगे ज्यादातर मुकदमों को फर्जी बताया।
 
सबसे पहले मौलाना तौकीर रजा की बात करते हैं। तौकीर रजा कोई नेता नहीं हैं। उन्होंने कभी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा लेकिन फिर भी यूपी की सियासत में तौकीर रजा चर्चा में हैं। असल में तौकीर रजा ने एक पार्टी बनायी थी जिसका नाम इत्तहादे मिल्लत काउंसिल है। पिछले हफ्ते उन्होंने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया। वे प्रियंका गांधी से जाकर मिले और उन्होंने राहुल- प्रियंका को सबसे बड़ा सेक्युलर बताया। 
 
मौलाना ने यूपी में अखिलेश यादव को मुसलमानों के लिए बीजेपी से ज्यादा खतरनाक बताया। उन्होंने समाजवादी पार्टी को मुसलमानों का दुश्मन कहा और यूपी के मुसलमानों से कांग्रेस को समर्थन देने की अपील की। समाजवादी पार्टी ने तो तौकीर रजा के इस बयान को लेकर कुछ नहीं कहा लेकिन बीजेपी के नेताओं ने प्रियंका गांधी के साथ उनकी मुलाकात पर सवाल उठाए।
 
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस इस मौलाना के साथ गठबंधन करके यूपी चुनाव में नफरत का रंग घोलने की कोशिश कर रही है। हिन्दुओं के खिलाफ जहर उगलने वालों को पार्टी में जगह दी जा रही है। संबित पात्रा ने मौलाना तौकीर रजा के पुराने भाषणों का जिक्र किया जिसमें तौकीर रजा ने कहा था-'मुसलमान अब अपना धैर्य खो रहे हैं, अगर मुस्लिम युवा कानून अपने हाथ में ले लेंगे तो हिंदुस्तान में हिंदुओं को पनाह नहीं मिलेगी।'
 
असल में हरिद्वार में हुई साधु संतों की धर्म संसद के जबाव में मौलाना तौकीर रजा ने बरेली में 7 जनवरी को मुस्लिम धर्म संसद बुलाई थी। हरिद्वार धर्म संसद में कुछ साधुओं ने नफरत भरे भाषण दिए थे। तौकीर रजा की मुस्लिम धर्म संसद में कोरोना प्रोटोकॉल लागू होने के बाद भी बरेली के इस्लामिया ग्राउंड में हज़ारों लोग जुटे। यहां तौकीर रजा ने जो तकरीर की वह वाकई जहर घोलने वाली थी।
 
इस मीटिंग में तौकीर रज़ा ने कहा, 'मैं गांव-गांव जाता हूं, बस्ती-बस्ती देखता हूं कि मेरे नौजवानों के दिलों में जितना गुस्सा पनप रहा है....मैं डरता हूं उस वक्त से जिस दिन मेरे नौजवान का गुस्सा फूट पड़ा..जिस दिन मेरा नौजवान मेरे कंट्रोल से बाहर आ गया। मुझसे बहुत लोग कहते हैं- मियां, तुम तो बुजदिल हो गए हो..तुम कुछ करना नहीं चाहते, लेकिन मैं कहता हूं कि पहले मैं मरूंगा बाद में तुम्हारा नंबर आएगा। इसलिए अपने हिंदू भाइयों से खास तौर पर कह रहा हूं-जिस दिन मेरा ये नौजवान कानून अपने हाथ में ले लेगा तो तुम्हें  हिंदुस्तान में कहीं पनाह नहीं मिलेगी।'
 
स्पष्ट है कि मौलाना तौकीर रजा मुस्लिम नौजवानों को भड़काने की कोशिश कर रहे थे। अपने नफरत भरे इस भाषण के एक हफ्ते बाद मौलाना की तस्वीर प्रियंका गांधी के साथ नजर आई। तौकीर रजा यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाई दिए, जहां उन्होंने सार्वजनिक रूप से कांग्रेस को अपने संगठन इत्तहादे मिल्लत काउंसिल का पूरा समर्थन देने का वादा किया। वहीं कांग्रेस नेताओं ने तौकीर रजा को 'आला-ए-हजरत' बताया।
 
प्रेस कांफ्रेंस में मौलाना ने कहा, अगर उत्तर प्रदेश को दंगे-फसाद से मुक्त रखना है तो फिर समाजवादी पार्टी को हराना होगा क्योंकि समाजवादी पार्टी, बीजेपी से अलग नहीं है। दोनों मुसलमानों की दुश्मन हैं। मौलाना ने संघ प्रमुख मोहन भागवत और मुलायम सिंह की एक फोटो दिखाते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी का आरएसएस के बीच 'गुप्त समझौता' हो गया है, इसलिए अखिलेश यादव पर भरोसा करना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि बीजेपी और समाजवादी पार्टी मिले हुए हैं, इसलिए कांग्रेस को मजबूत करना ही मुसलमानों के लिए बेहतर होगा।
 
मौलाना तौकीर रजा जिस तस्वीर का जिक्र कर रहे थे दरअसल वह तस्वीर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की पोती की शादी की है। इस शादी में मुलायम सिंह और मोहन भागवत भी शामिल हुए थे। लेकिन तौकीर रजा ने उसे जिस तरह से ट्वीस्ट दिया उससे साफ है कि मौलाना तौकीर रजा ने मुसलमानों के मन में संदेह का बीज बोने की कोशिश की।  
 
इसमें कोई संदेह नहीं कि तौकीर रजा की तकरीर जहरीली होती है। वह हिन्दू-मुसलमान के बीच दूरियां बढ़ाने की कोशिश करते हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि कांग्रेस को यह सब नहीं दिखता। मजे की बात यह है कि कांग्रेस तौकीर रजा के साथ गठजोड़ करने की गलती पहले भी कर चुकी है। 
 
असल में साल 2006 में तौकीर रजा ने एलान किया था कि जो अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज बुश का सिर काटकर लाएगा उसे 25 करोड़ का इनाम देंगे। उनके बयान से देश की बड़ी बदनामी हुई। लेकिन वर्ष 2009 में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह तौकीर रजा को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पहुंच गए। लोकसभा चुनाव में गठबंधन का ऐलान होना था। लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में तौकीर रजा के बयान पर सवाल उठने लगे और जब जवाब देते नहीं बना तो प्रेस कॉन्फ्रेंस बीच में छो़ड़कर भागना पड़ा। अब एक बार फिर उन्ही तौकीर रजा से समर्थन लेने के चक्कर में कांग्रेस घिर गई है। कांग्रेस के नेताओं को जबाव देते नहीं बन रहा है। 
 
मंगलवार को बीजेपी ने समाजवादी पार्टी पर अपराधियों, गुंडों, माफिया का बचाव करने और राजनीति में आगे बढ़ाने का आरोप लगाया। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने समाजवादी पार्टी के उन उम्मीदवारों की लिस्ट गिनाई जिन पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। पात्रा ने कैराना से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार बनाए गए नाहिद हसन को लेकर अखिलेश यादव से सवाल किया। उन्होंने कहा कि नाहिद हसन पर कैराना में हिन्दू परिवारों को पलायन के लिए मजबूर करने के इल्जाम हैं, समाजवादी पार्टी ने नाहिद हसन को कैराना से टिकट क्यों दिया। उधर, पुलिस ने नाहिद हसन को गैंगस्टर एक्ट में पकड़ कर जेल भेज दिया है।अब समाजवादी पार्टी नाहिद हसन की बहन को टिकट देगी।
 
संबित पात्रा ने यह पूछा कि क्या समाजवादी पार्टी जानबूझकर ऐसे लोगों को टिकट दे रही है जो हिन्दुओं को दुश्मन मानते हैं? समाजवादी पार्टी को क्रिमिनल बैकग्राउंड के लोग ही क्यों मिलते हैं? कैराना से नाहिद हसन के अलावा समाजवादी पार्टी ने रफीक अंसारी को मेरठ शहर से उम्मीदवार बनाया है। किठौर से शाहिद मंजूर को टिकट मिला है जबकि धौलाना से असलम चौधरी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हैं। इन सारे उम्मीदवारों के खिलाफ तमाम केस दर्ज हैं।
 
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब इस मुद्दे पर अखिलेश से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के नेताओं को झूठे मुकदमों में फंसाया गया है। सैकड़ों फर्जी केस दर्ज किए गए हैं और अब उन्हीं मुकदमों का हवाला देकर नेताओं को अपराधी बताने की कोशिश की जा रही है। अखिलेश ने कहा कि चाहे नाहिद हसन का मामला हो, आजम खान के खिलाफ केस हो या फिर अब्दुल्ला आजम को जेल भेजने का मुकदमा, सारे फर्जी मामले हैं। अखिलेश ने कहा-'अगर इस तरह से मुकदमों के आधार पर नेताओं को अपराधी घोषित करने लगें तो योगी आदित्यनाथ भी कभी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे क्योंकि योगी के खिलाफ भी दर्जनों केस हैं।'
 
दरअसल आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम पर भी दर्जनों मुकदमे चल रहे हैं। वे कई महीने तक जेल में बंद थे और दो दिन पहले ही जेल से रिहा हुए हैं। बीजेपी नेता बृजलाल ने कहा कि अदालत ने विधायक के रूप में उनकी सदस्यता भी रद्द कर दी है।
 
वैसे तो यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कहीं मुकाबले में दिखाई नहीं देती। समाजवादी पार्टी, बीजेपी को टक्कर दे रही है। लेकिन मुस्लिम वोटों को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की दावेदारी बराबर की है। मजे की बात यह है कि इस बार यूपी के चुनाव में अखिलेश और प्रियंका दोनों अब तक मुसलमानों का नाम लेने से बचते रहे। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दोनों ने मुसलमानों के पिछड़ेपन और उनके दुख-दर्द की बात की नहीं की। दोनों को लगता है कि अगर उन्होंने मुसलमानों की बात की, उन्हें खुश करने की कोशिश की तो बीजेपी इसे मुद्दा बनाएगी और इसका फायदा उठाएगी।
 
 इसीलिए अखिलेश और प्रियंका अपनी-अपनी पार्टियों के लिए मुस्लिम वोटों को लुभाने की कोशिश तो कर रहे हैं लेकिन पर्दे के पीछे से। समाजवादी पार्टी औऱ कांग्रेस यह मानती है कि योगी आदित्यनाथ को मुसलमान वोट नहीं देंगे। अब इन दोनों में बड़ा सेक्युलर कौन है यह साबित करने की कोशिश हो रही है। इसी फेर में कांग्रेस तौकीर रजा के चक्कर में पड़ गई जबकि अखिलेश अब तक एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रहे थे लेकिन उन्होंने भी नाहिद हसन और अब्दुल्ला आजम की खुलकर वकालत की। वो भी जानते हैं कि इससे ज्यादा दिन बचा नहीं जा सकता। यही वजह है कि मुसलमानों से कहा जा रहा है कि जो कुछ करो चुपचाप करो। जैसे बंगाल के चुनाव में बीजेपी ने कहा था 'चुपचाप कमल छाप'। अब मुसलमानों के लिए अखिलेश का मैसेज है 'चुपचाप साइकिल छाप' और बाकी चुनाव के बाद। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 18 जनवरी, 2022 का पूरा एपिसोड

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