Sunday, April 28, 2024
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Rajat Sharma's Blog : पूरा भारत मोदी का परिवार है

लगता है विरोधी दलों के नेता मोदी की लाइन पकड़ ही नहीं पाए और लालू ने मोदी के परिवार पर सवाल उठा कर वही गलती कर दी, जो राहुल गांधी ने पिछले चुनाव में चौकीदार पर सवाल उठा कर की थी।

Rajat Sharma Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: March 06, 2024 8:12 IST
Rajat sharma, INDIA TV- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव का नया स्लोगन सेट कर दिया- “ मैं भी मोदी का परिवार”। जैसे 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त नारा था “मैं भी चौकीदार”, वैसे ही इस बार के चुनाव में बीजेपी का नारा होगा “मैं भी मोदी का परिवार”। ये नारा देने का मौका विरोधी दलों ने ही दिया है। रविवार को लालू यादव ने मोदी-विरोधी मोर्चे की रैली में नरेन्द्र मोदी के परिवार पर सवाल उठाए थे, कहा था कि मोदी परिवारवाद का मुद्दा उठाते हैं, क्योंकि मोदी का अपना खुद का तो परिवार ही नहीं हैं। लालू के बयान पर रैली में खूब तालिया बजीं लेकिन मोदी ने अगले ही दिन ऐसा जवाब दिया कि अब विरोधी दलों के नेताओं को जवाब देना मुश्किल हो गया। मोदी ने तेलंगाना और तमिलनाडु की रैली में कहा कि पूरा देश उनका परिवार है, उन्होंने बचपन में घर छोड़ा था, ये सोचकर कि अब पूरा देश ही उनका घर होगा, देश के लोगों के सपने पूरा करना ही उनका लक्ष्य होगा, वह इसी काम में लगे हुए  हैं। इसके बाद जे पी नड्ढा, नितिन गडकरी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ, पीयूष गोयल से लेकर स्मृति ईरानी तक बीजेपी के तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपने ट्विटर हैंडल पर अपने नाम के आगे जोड़ दिया (मोदी का परिवार)। इसके बाद तो बीजेपी की कैंपेन की थीम बदल गई। अब मोदी का परिवार नई कैंपेन की थीम होगी। 

सवाल ये है कि अब विरोधी दलों के नेता क्या करेंगे? क्या जवाब देंगे? परिवारवाद के खिलाफ मोदी की लड़ाई को कैसे फेस करेंगे? ये देखने में तो छोटा मुद्दा है, लेकिन बिहार, बंगाल,झारखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु से लेकर जम्मू कश्मीर और आन्ध्र प्रदेश तक हर राज्य में विरोधी दलों के नेताओं को परिवारवाद के सवालों का सामना करना पड़ेगा। ये सही है कि नरेन्द्र मोदी अपने भाषणों में विरोधियों पर तीखा प्रहार करते हैं, विपक्ष के नेताओं के घपलों, घोटालों का जिक्र करते हैं, परिवारवाद का इल्जाम लगाते हैं, परिवारवाद को लोकतन्त्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हैं, लेकिन कभी किसी नेता पर व्यक्तिगत हमले नहीं करते। लालू ने जो बात कही, वह नरेन्द्र मोदी पर व्यक्तिगत हमला था, राजनीतिक मर्यादा और शालीनता के खिलाफ था। इसलिए मोदी ने बिना देर किए पूरे देश को, 140 करोड़ लोगों को अपना परिवारजन बता दिया। लालू यादव के खिलाफ पटना के गांधी मैदान थाने में शिकायत दर्ज करवाई गई। बीजेपी के नेताओं ने देशभर में लालू यादव के खिलाफ प्रदर्शन भी किया। लालू यादव ने फुलटॉस गेंद फेंकी और मोदी ने सिक्सर मार दिया। 

मुझे आश्चर्य होता है विरोधी दलों के बड़े बड़े नेता अभी तक मोदी को समझ ही नहीं पाए हैं। पिछले साल पन्द्रह अगस्त को लाल किले से राष्ट्र के नाम संबोधन में और उसके बाद हर मौके पर, हर रैली में, मोदी ने देश के लोगों को “मेरे परिवारजनों” कह कर पुकारना शुरू किया। लेकिन लगता है विरोधी दलों के नेता मोदी की लाइन  पकड़ ही नहीं पाए और लालू ने मोदी के परिवार पर सवाल उठा कर वही गलती कर दी, जो राहुल गांधी ने पिछले चुनाव में चौकीदार पर सवाल उठा कर की थी। ऐसे मामलों में कोई मोदी को मात नहीं दे सकता। मोदी फुल टाइम प्रधानमंत्री की तरह काम करते है, अपने परिवार पर, भाइयों पर, भतीजे भतीजियों पर उनका ध्यान कभी नहीं जाता। लेकिन रविवार को पटना में मोदी-विरोधी मोर्चे की रैली में मंच पर जो नेता बैठे थे वो सब पार्ट टाइम पॉलिटिशियन हैं। बयान देने वाले लालू तेजस्वी को सीएम बनाना चाहते हैं, सोनिया गांधी राहुल को पीएम बनाना चाहती है, एम.के. स्टालिन अपने बेटे उदयनिधि को मुख्यमंत्री बनाने चाहते है, शरद पवार की चिंता सुप्रिया सुले के भविष्य को लेकर है, उद्धव की चिंता हमेशा ये रहती है कि आदित्य का क्या होगा? 

अखिलेश यादव को तो मुलायम सिंह यादव पूरे परिवार की चिंता सौंप कर गए हैं, अखिलेश ने पत्नी, चाचा, भाई, भतीजा, सबको मैदान में उतारा है.. ये लोग परिवारवाद के सवाल पर मोदी से कैसे मुकाबला कर सकते हैं? मैं आपको मोदी के biological परिवार के बारे में बताता हूं। मोदी कुल पांच भाई और एक बहन हैं। नरेन्द्र मोदी तीसरे नंबर पर हैं। सोमभाई मोदी सबसे बड़े हैं। वो गुजरात के स्वास्थ्य विभाग में काम करते थे। करीब बीस साल पहले रिटायर हो चुके हैं। दूसरे नंबर पर अमृत मोदी हैं। ये प्राइवेट फैब्रिकेशन प्लांट में काम करते थे। वो भी रियटार हो चुके हैं। नरेन्द्र मोदी के दो छोटे भाई हैं। एक प्रह्लाद मोदी सरकारी राशन की दुकान चलाते हैं। सबसे छोटे भाई हैं पंकज मोदी, जो गुजरात सरकार के सूचना विभाग में थे। वो भी नौ साल पहले रिटायर हो चुके हैं। मोदी की एक बहन हैं, वासंती बेन। विसनगर में अपने परिवार के साथ रहती हैं। इन सारे भाई बहनों में से कोई राजनीति में नहीं है। मोदी के भाई बहनों को तो छोड़िए। उनके भतीजे और भतीजियों का भी राजनीति से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं हैं। यहां तक परिवार वालों को सार्वजनिक तौर पर नरेन्द्र मोदी के नाम के इस्तेमाल की भी मनाही है। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रह्लाद मोदी की बेटी का दिल्ली में पर्स चोरी हो गया था लेकिन उसने पुलिस को ये नहीं बताया कि वो प्रधानमंत्री की भतीजी हैं। इसीलिए अब जब पूरे देश में नारा चलेगा – “पूरा देश मोदी का परिवार” - तो लोग विरोधी  दलों के नेताओं से उनके परिवारों  का हिसाब मांगेंगे, और ये हिसाब देना मंहगा पड़ेगा। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 04 मार्च 2024 का पूरा एपिसोड

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