Saturday, December 13, 2025
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''चावड़ी बाजार के जैन साहब मुझे देते थे 20 रुपये की स्कॉलरशिप...'' रजत शर्मा ने किया याद

इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय जनमंगल सम्मेलन में कहा कि जैन समाज के लोग अपने लिए कम और दूसरों के लिए ज्यादा जीते हैं। इनकी संख्या कम है लेकिन उपकार बहुत बड़े-बड़े हैं।

Written By: Vinay Trivedi
Published : Dec 13, 2025 04:36 pm IST, Updated : Dec 13, 2025 04:47 pm IST
rajat sharma speech- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा का अंतरराष्ट्रीय जनमंगल सम्मेलन में संबोधन।

International Janmangal Conference 2025: नई दिल्ली के भारत मंडपम में 12 और 13 दिसंबर को एक ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। योगगुरु स्वामी रामदेव और जैन संत अंतर्मना आचार्य प्रसन्न सागर महाराज के सानिध्य में दो दिवसीय "अंतरराष्ट्रीय जनमंगल सम्मेलन" हुआ। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य "लोक कल्याण की सही दृष्टि: उपवास, ध्यान, योग और स्वदेशी विचार" था।

रजत शर्मा ने की जैन समाज के सम्मान की बात

इसी मंच से एक विशाल जन-आंदोलन "हर महीने एक उपवास" का प्रारंभ किया गया। इस प्रोग्राम में इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा ने भी संबोधन किया। अपने भाषण में उन्होंने बताया कि जैन समाज के प्रति उनके मन में इतना आदर क्यों है?

चावड़ी बाजार के जैन साहब की स्कॉलरशिप का जिक्र

रजत शर्मा ने कहा कि जिस अभाव का जिक्र स्वामी रामदेव कर रहे थे, वो अभाव का जीवन तकलीफदेह था, उसमें परेशानियां थीं। लेकिन उस अभाव में मेरा संबंध जैन समाज से जुड़ा। बचपन में जब मैं 8-9 साल का था तब चावड़ी बाजार के एक जैन साहब मुझे हर महीने 20 रुपये की स्कॉलरशिप देते थे। जैन साहब की चावड़ी बाजार में दुकान थी, मैं वहीं उनसे मिलने जाता था। उनके दिए पैसे से मेरा काम चलता था। इसकी वजह से मेरे मन में जैन समाज के प्रति जो श्रद्धा, आदर भाव है वह उस दिन से शुरू हुआ।

जैन समाज के बड़े-बड़े हैं उपकार- रजत शर्मा

उन्होंने आगे कहा कि मैं जितना करीब से जैन समाज को देखता हूं। जैन समाज से ही मेरे एक करीबी मित्र थे वो आज दुनिया में नहीं हैं। हालांकि, वे उम्र में मेरे से छोटे ही थे। जितना करीब से मैं देखता गया, उतना मुझे ये समझ आता गया कि जैन समाज के लोग अपने लिए कम और दूसरों के लिए ज्यादा जीते हैं। इनकी संख्या कम है लेकिन उपकार बहुत बड़े-बड़े हैं। आज चूंकि जैन समाज यहां मौजूद हैं, मैं आप लोगों का दिल से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करना चाहता हूं। आपकी कृपा से मैं यहां तक पहुंच पाया हूं।

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