Friday, May 10, 2024
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Rajat Sharma’s Blog : पीएम की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण, इस पर राजनीति न करें

पंजाब सरकार को प्रधानमंत्री के कार्यक्रम की पहले से जानकारी थी। यह एक रूटीन होता है इसलिए यह कहना कि आखिरी मिनट में रूट बदलने से प्रॉब्लम हुई, मजाक लगता है। 

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: January 06, 2022 15:47 IST
Rajat Sharma’s Blog : पीएम की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण, इस पर राजनीति न करें- India TV Hindi
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पंजाब में पाकिस्तान बॉर्डर के पास बुधवार को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में एक बड़ी चूक देखने को मिली। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में बड़े खतरनाक तरीके से सेंध लगी। उनका काफिला 15 से 20 मिनट के लिए फ्लाईओवर पर खड़ा रहा क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने सामने का रास्ता ट्रक और ट्रैक्टर लगाकर जाम कर दिया था। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। यह प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चौबीसों घंटे तैनात रहनेवाले एसपीजी (स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप) के इतिहास में अभूतपूर्व था। यह बहुत बड़ी सुरक्षा चूक थी। एसपीजी के गार्ड्स ने तुरंत हथियारों के साथ पोजिशन लेते हुए प्रधानमंत्री को घेरे में ले लिया और फिर यू टर्न लेकर उन्हें वापस बठिंडा एयरपोर्ट लौटना पड़ा। पीएम मोदी की फिरोजपुर में होनेवाली रैली रद्द कर दी गई। 

 
पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे अफसरों ने तुरंत पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन चन्नी फोन लाइन पर नहीं आए। बाद में चन्नी ने यह कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि प्रधानमंत्री का रूट अचानक बदला गया। उनके दफ्तर को रूट बदलने की जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा, अचानक कुछ लोग काफिले के रास्ते पर आ गए तो सरकार क्या कर सकती है। 
 
लेकिन प्रधानमंत्री मोदी इस घटना से इतने आहत  हुए कि उन्होंने बठिंडा एयरपोर्ट पर पहुंचकर दुख और नाराजगी जताई। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, 'बठिंडा एयरपोर्ट पर तैनात अधिकारियों ने कहा, पीएम मोदी ने अधिकारियों से कहा- ''अपने सीएम को थैंक्स कहना, कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया।''
 
इस घटना से बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में सेंध सिर्फ लापरवाही थी या फिर साजिश? प्रधानमंत्री के रूट की जानकारी सिर्फ एसपीजी और पंजाब पुलिस को थी। सड़क पर जमा लोगों को यह जानकारी किसने दी? पुलिस का काम प्रधानमंत्री के रूट को सैनेटाइज करना होता है। तो क्या पंजाब पुलिस ने जानबूझ कर प्रधानमंत्री के रूट की जानकारी वहां ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ मौजूद प्रदर्शनकारियों को दी? अगर किसी तरह की आशंका थी तो फिर पंजाब पुलिस और इंटेलिजेंस ने इसकी जानकारी पहले एसपीजी को क्यों नहीं दी? पंजाब के डीजीपी ने एसपीजी को रूट क्लीयर होने का आश्वासन क्यों दिया? अगर सुरक्षा में चूक हुई भी तो फिर 20 मिनट तक पंजाब की सरकार और पुलिस अफसरों ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया? ये बड़े सवाल हैं और लोगों को इनका जबाव मिलना जरूरी है। क्योंकि यह सियासी नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़ा मामला है।
 
सबसे पहले आपको इस घटना के बारे में बताता दूं कि असल में हुआ क्या । प्रधानमंत्री को फिरजोपुर में 32,750 करोड़ रुपये के कई प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास करना था। साथ ही यहां पर उनकी एक रैली भी होनेवाली थी। मोदी इन तमाम कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए बठिंडा एयरपोर्ट पर उतरे। यहां से हेलिकॉप्टर के जरिए उन्हें हुसैनीवाला जाना था जहां वे शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करनेवाले थे। चूंकि बारिश के चलते मौसम खराब था और हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर सकता था लिहाजा करीब 20 मिनट तक उन्होंने मौसम साफ होने का इंतजार किया। लेकिन मौसम साफ नहीं हुआ। अब मोदी के पास दो ही विकल्प था। या तो वे वापस दिल्ली लौट आते या फिर सड़क के रास्ते हुसैनीवाला होते हुए फिरोजपुर जाते। पीएम मोदी ने सड़क के रास्ते जाने का फैसला किया। एसपीजी के अधिकारियों ने तुरंत पंजाब पुलिस के अफसरों से संपर्क किया। इस पर डीजीपी ने भरोसा दिया कि रूट क्लियर है और सुरक्षा के पूरे इंतजाम हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री का काफिला बठिंडा से हुसैनीवाला की तरफ निकल पड़ा। 
 
पीएम का काफिला करीब 170 किलोमीटर का सफर तय कर चुका था। जब हुसैनीवाला सिर्फ 30  किलोमीटर दूर था उस वक्त प्रधानमंत्री का काफिला एक फ्लाईओवर से गुजर रहा था। ठीक उसी वक्त फ्लाईओवर पर रास्ता रोका गया। सड़क पर ट्रक, बस और 20 से ज्यादा ट्रैक्टर आ गए। सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया और एसपीजी के कमांडो गाड़ियों से उतरकर प्रधानमंत्री की गाड़ी को घेरकर खड़े हो गए। तुरंत पंजाब पुलिस के अफसरों से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ। सीधे पंजाब के मुख्यमंत्री से बात करने की कोशिश हुई लेकिन चन्नी फोन लाइन पर नहीं आए। प्रधानमंत्री मोदी करीब 20 मिनट तक गाड़ी में बैठे रहे। यह पहला मौका था जब सड़क पर प्रधानमंत्री का रास्ता इस तरह रोका गया।  पीएम की सुरक्षा में सेंध बहुत बड़ी बात है यह उनकी सिक्योरिटी से खिलवाड़ है। प्रधानमंत्री गाड़ी में बैठे रहे और 20 मिनट के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने प्रधानमंत्री के काफिले को वापस बठिंडा ले जाने का फैसला किया। इसके बाद प्रधानमंत्री की फिरोजपुर की रैली रद्द कर दी गई। मोदी के काफिले के पीछे बीजेपी के तमाम कार्यकर्ताओं की भी गाड़ियां थीं। जब मोदी का काफिला वापस लौटा उस वक्त उस रोड पर खड़े बीजेपी कार्यकर्ताओं ने अपने फोन में वीडियो रिकॉर्ड किया। इस वीडियो से सबसे पहले पुष्टि हुई कि प्रधानमंत्री के काफिले में सेंध लगी है।
 
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में सेंध की घटना पर फिरोजपुर से लेकर दिल्ली तक शोर मच गया और गृह मंत्रालय ने तुरंत पंजाब सरकार से जवाब मांगा। सुरक्षा में सेंध के मामले में जिम्मेदारी तय करने को कहा है। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम और ट्रैवल प्लान के बारे में पंजाब सरकार को पहले ही जानकारी दे दी गई थी। तय प्रोटोकॉल और गाइडलाइन्स के मुताबिक उन्हें सुरक्षा, लॉजिस्टिक और आकस्मिक योजनाओं की तैयारी करनी चाहिए थी। सुरक्षा के लिए सड़क से गुजरते वक्त अतिरिक्त सुरक्षा होनी चाहिए थी, लेकिन रास्ते में प्रदर्शनकारियों की ट्रैक्टर के साथ मौजूदगी से स्पष्ट है कि वहां ऐसा कोई बंदोबस्त नहीं किया गया था। जब प्रधानमंत्री वापस बठिंडा पहुंच गए तो यह खबर फिरोजपुर पहुंची कि पीएम मोदी की रैली रद्द हो गई है। वहां मंच पर मौजूद स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने हजारों की तादाद में मौजूद लोगों को पीएम की रैली रद्द होने की जानकारी दी। 
 
सबसे पहले बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पीएम की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर पंजाब सरकार को घेरा। नड्डा ने ट्वीट किया-'यह दुःखद है कि पंजाब के लिए हजारों करोड़ की विकास परियोजनाओं को शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का दौरा बाधित हो गया। लेकिन, हम ऐसी घटिया मानसिकता को पंजाब की तरक्की में बाधक नहीं बनने देंगे और पंजाब के विकास के लिए प्रयास जारी रखेंगे। पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने फोन पर बात करने या इस मामले का समाधान करने से इनकार कर दिया। पंजाब सरकार द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति, लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास रखने वाले किसी भी व्यक्ति को कष्ट पहुंचाएगी और उन्हें व्यथित करेगी। प्रदर्शनकारियों को प्रधानमंत्री के रास्ते में जाने दिया गया और उनकी सुरक्षा से समझौता किया गया जबकि पंजाब के मुख्य सचिव और डीजीपी ने एसपीजी को आश्वासन दिया था कि रास्ता पूरी तरह से साफ है।'
 
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के पंजाब दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा के साथ जो खिलवाड़ पंजाब सरकार के संरक्षण में आज हुआ है वह पंजाब में व्याप्त अराजकता और दुर्व्यवस्था का एक जीता जागता उदाहरण है। कांग्रेस शासित पंजाब की सरकार को देश की जनता से इस बात के लिए माफी मांगनी चाहिए।  प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा के साथ आज हुई गंभीर चूक अक्षम्य है और यह पंजाब सरकार और कांग्रेस की एक दुरभिसंधि को प्रदर्शित करता है। कांग्रेस सदैव से इस देश की संवैधानिक व्यवस्थाओं की अवमानना करती रही है और आज इसका उदाहरण एक बार फिर से देश ने देखा है।' 
 
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आरोप लगाया कि यह कांग्रेस सरकार की एक साजिश थी। उन्होंने कहा-'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी जन-जन के नेता हैं। पंजाब में कांग्रेस सरकार पराजय से भयभीत है और पार्टी हाईकमान की कठपुतली बनकर शासन की मर्यादाओं को तार-तार कर रही है। प्रधानमंत्री जी की सौगातों से पंजाब के नागरिकों को वंचित रखने का पाप कांग्रेस ने किया है। प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की थी। यह प्रधानमंत्री जी की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं है बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा से खिलवाड़ है। ये कांग्रेस, कांग्रेस की सरकार और गांधी परिवार नफरत से इतना भरा है कि प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा से खेल जाए! यह आपराधिक षड्यंत्र है।'
 
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, हम यह जानते हैं कि कांग्रेस मोदी से नफरत करती है लेकिन आज उसने देश के प्रधानमंत्री को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। राज्य सरकार ने जानबूझकर ऐसा माहौल बनाया जिसमें प्रधानमंत्री को नुकसान हो सकता था... इतने लोगों का वहां पहुंचना महज इत्तेफाक नहीं, सााजिश है। पंजाब पुलिस मूकदर्शक बनी रही और किसी भी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी सुरक्षा में लगी सेंध पर चिंता जताई। उन्होंने कहा-'पंजाब में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति काबू से बाहर हो चुकी है। पाकिस्तान बॉर्डर से सिर्फ 10 किलोमीटर दूर अगर प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक होती है और प्रदर्शनकारी उनका रास्ता रोक लेते हैं तो फिर राज्य सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है।'
 
सारे सवाल कांग्रेस और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की तरफ हैं। ये सवाल जायज भी हैं लेकिन अब तक इनका सही जबाव नहीं मिला है। चन्नी ने अपने बचाव में जो कुछ कहा वह पर्याप्त नही है। प्रधानमंत्री जब किसी सरकारी कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए किसी राज्य में जाते हैं तो मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और डीजीपी रिसीव करते हैं। लेकिन बठिंडा एयरपोर्ट पर तीनों नहीं थे। सीएम चन्नी के दो स्टॉफ कोरोना पॉजिटिव निकले तो चन्नी तीन दिन के लिए सेल्फ आइसोलेशन में चले गए। इसलिए प्रधानमंत्री को रिसीव करने के लिए उन्होंने वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल को भेजा लेकिन डीजीपी और चीफ सेक्रेट्री क्यों नहीं पहुंचे, इसका कोई जबाव नहीं है।
 
मुख्यमंत्री चन्नी समेत कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं ने मामले को सियासी रंग देने की कोशिश की। चन्नी ने कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बीजेपी नेताओं के आरोपों को खारिज करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में 10 हजार पुलिसवाले लगाए गए थे। सुरक्षा के सारे इंतजाम एसपीजी और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर किए गए थे। बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए बसों तक के लिए रूट्स का इंतजाम किया गया था और उन्हें रास्तों में सुरक्षा दी गई थी।  सुरजेवाला ने पूरे मामले का ठीकरा प्रधानमंत्री की सुरक्षा पर फोड़ने की कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री का सड़क से जाने का कार्यक्रम अचानक तय हुआ और यह ओरिजनल प्लान का हिस्सा नहीं था। मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि पंजाब पुलिस ने प्रधानमंत्री को दूसरे रास्ते से फिरोजपुर तक ले जाने का विकल्प दिया था लेकिन एसपीजी ने वापस बठिंडा लौटने का फैसला किया।
 
एक खुले फ्लाईओवर पर देश के प्रधानमंत्री का 15 से 20 मिनट के लिए अटक जाना कोई साधारण बात नहीं है। यह सुरक्षा में भारी चूक है। पंजाब सरकार को प्रधानमंत्री के कार्यक्रम की पहले से जानकारी थी। यह एक रूटीन होता है इसलिए यह कहना कि आखिरी मिनट में रूट बदलने से प्रॉब्लम हुई मजाक लगता है। क्योंकि प्रधानमंत्री जब कहीं जाते हैं तो हमेशा सड़क से जाने का विकल्प सुरक्षित रखा जाता है। मैंने जो वीडियोज देखे उससे लगता है कि फ्लाईओवर पर पीएम का रास्ता रोकनेवाले लोग बेहद कम थे। उन्हें आसानी से हटाया जा सकता था लेकिन पुलिस को इसकी इजाजत नहीं दी गई। सवाल यह है कि प्रधानमंत्री के रूट में बदलाव की जानकारी प्रदर्शन करने वालों को किसने दी ? जिस फ्लाईओवर पर साढे़ दस बजे तक रास्ता खुला था, कोई प्रदर्शनकारी नहीं था, वहां प्रधानमंत्री का काफिला आने से पहले अचानक लोग कैसे पहुंचे गए? अगर नीयत साफ थी तो प्रदर्शन करने वालों को फ्लाईओवर ब्लॉक करने से पहले क्यों नहीं रोका गया? 
 
क्या फ्लाईओवर पर 15-20 मिनट तक प्रधानमंत्री की गाड़ी का खड़ा होना सुरक्षा में चूक नहीं होता? अगर कोई हादसा हो जाता तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होता? दुख की बात यह भी है कि पीएम की सुरक्षा से जुड़े मामले में कांग्रेस के नेताओं ने राजनीति की। कांग्रेस के एक युवा नेता ने ट्विटर पर पीएम को संबोधित करते हुए लिखा, 'हाउ इज द जोश'? सुरक्षा से जुड़े मुद्दों से राजनीति को दूर रखें। मेरा कहना है कि सियासत एक तरफ है..चुनाव एक तरफ है, लेकिन देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा सबसे ऊपर है। यह किसी एक व्यक्ति का सवाल नहीं है। यह देश के सर्वोच्च पद से जुड़ी हुई व्यवस्था है। इस व्यवस्था से कोई समझौता नहीं हो सकता। पंजाब के मुख्यमंत्री को इस मामले की गंभीरता को समझना चाहिए और किसी को भी ऐसे सवाल पर ऱाजनीति नहीं करनी चाहिए। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 05 जनवरी, 2022 का पूरा एपिसोड

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