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आर्टिकल 370 के बाद अब नागरिकता संशोधन बिल, मिली कैबिनेट की मंजूरी

जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद अब मोदी सरकार अपना दूसरा सबसे बड़ा कदम उठाने जा रही है। सरकार नागरिकता संशोधन बिल लेकर आ रही है। इस ऐतिहासिक कदम की शुरुआत आज हो गई है। आज सुबह कैबिनेट की बैठक में नागरिकता संशोधन बिल को मंज़ूरी मिल गई है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : Dec 04, 2019 07:22 am IST, Updated : Dec 04, 2019 02:02 pm IST
370 के बाद अब नागरिकता संशोधन बिल, आज मिल सकती है कैबिनेट की मंजूरी- India TV Hindi
370 के बाद अब नागरिकता संशोधन बिल, आज मिल सकती है कैबिनेट की मंजूरी

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद अब मोदी सरकार अपना दूसरा सबसे बड़ा कदम उठाने जा रही है। सरकार नागरिकता संशोधन बिल लेकर आ रही है। इस ऐतिहासिक कदम की शुरुआत आज हो गई है। आज सुबह कैबिनेट की बैठक में नागरिकता संशोधन बिल को मंज़ूरी मिल गई है। नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था जिसके बाद 2 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय समिति को सौंप दिया गया था। समिति ने इस साल जनवरी में इस पर अपनी रिपोर्ट दी है।

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आज कैबिनेट की मंज़ूरी मिलने के बाद इस बिल को कल यानी गुरुवार को लोकसभा में पेश किया जा सकता है। सरकार इसे संसद में पास कराने के लिए अपनी तरफ से पूरी तैयारी कर चुकी है। वहीं इस बिल की वजह से कांग्रेस और टीएमसी आग बबूला हो रहे हैं। दरअसल ये बिल नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है।

इस बिल के पास होने से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों को राहत मिलेगी। हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के अल्पसंख्यक इस बिल के दायरे में आएंगे। बिल के मुताबिक इन लोगों को 11 साल के बजाय 6 साल भारत में गुजारने पर भारतीय नागरिकता मिल सकेगी। उचित दस्तावेज़ नहीं होने पर भी अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता मिल सकेगी।

इस बिल का विरोध केवल कांग्रेस या टीएमसी ही नहीं कर रहे बल्कि पूर्वोत्तर के राज्य में भी इसका विरोध हो रहा है लेकिन सूत्र बताते हैं कि अब सरकार इसमें कुछ बदलाव लेकर आई है। असम और मेघालय समेत पूर्वोत्तर के सभी राज्य इसका विरोध कर रहे हैं। शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए बेस साल 1971 से बढ़ाकर 2014 करने का प्रस्ताव है। उत्तर-पूर्व के राज्य बेस साल 1971 से आगे बढ़ाने को तैयार नहीं हैं।

संशोधित बिल में उत्तर-पूर्व के राज्यों को खास अधिकार दिए जा सकते हैं। सरकार अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम को इससे अलग रख सकती है। एनडीए सरकार को सबसे बड़ा विरोध ऑल इंडिया असम स्टूडेंट यूनियन से झेलना पड़ रहा है। इसके नेताओं से मगंलवार रात गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। अगर सरकार उत्तर पूर्व के राज्यों को मना लेती है तो उसके लिए आगे का रास्ता आसान हो जाएगा।

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