नई दिल्ली: शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर तीखा वार किया है। सामना में भगत सिंह कोश्यारी पर सीधा सवाल खड़ा किया गया है कि आखिर उन्होंने किस आधार पर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई। इसके साथ ये भी आरोप लगाया गया है कि जो दस्तावेज पेश किए गए थे वो फर्जी हैं। सामना में तंज कसते हुए ये लिखा गया है कि महाराष्ट्र में जो हुआ उसे ‘चाणक्य-चतुराई’ कहें या ‘कोश्यारी साहेब की होशियारी’?
सामना में लिखा है, “शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी इन तीनों पार्टियों ने मिलकर राजभवन में 162 विधायकों का पत्र प्रस्तुत किया है। ये सभी विधायक राजभवन में राज्यपाल के समक्ष खड़े रहने को तैयार हैं। इतनी साफ तस्वीर होने के बावजूद राज्यपाल ने किस बहुमत के आधार पर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई?”
सामना में आगे लिखा है, “इन लोगों ने जाली कागज पेश किए और संविधान के रक्षक भगतसिंह नामक राज्यपाल ने आंख बंद करके उन पर विश्वास किया। फिर तीनों पार्टियों के विधायकों ने अपने हस्ताक्षर वाला पत्र सौंपा, इस पर मा. भगतसिंह राज्यपाल महोदय का क्या कहना है?”
सामना में यह भी लिखा कि, “एक भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए फांसी के फंदे को चूम लिया था, यह तो हम जानते हैं। वहीं दूसरे भगतसिंह के हस्ताक्षर से रात के अंधेरे में लोकतंत्र और आजादी को वध स्तंभ पर चढ़ा दिया गया। महाराष्ट्र में जो कुछ भी हुआ उसे ‘चाणक्य-चतुराई’ या ‘कोश्यारी साहेब की होशियारी’ कहना भूल होगी।“
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रम में राज्यपाल ने शनिवार की सुबह बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी। इसके बाद से शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने अपने-अपने विधायकों को मुंबई के अलग-अलग होटलों में ठहराया है।
वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को कहा कि अजित पवार के बीजेपी के साथ जाने और उप मुख्यमंत्री बनने के निर्णय के पीछे वह नहीं थे और एकबार फिर दावा किया कि महाराष्ट्र में उनकी पार्टी, कांग्रेस और शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाएगी। सतारा जिले के कराड में पवार ने पत्रकारों से कहा कि बीजेपी के साथ जाने का फैसला उनके भतीजे अजित पवार का है। पवार ने कहा, ‘‘यह पार्टी का निर्णय नहीं है और हम इसका समर्थन नहीं करते।’’