Wednesday, April 24, 2024
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पंचायत चुनाव के जरिए विधानसभा चुनाव की तैयारियों का आकलन करेगी कांग्रेस

उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी प्रदेश के आगामी पंचायत चुनाव के जरिए वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों का आकलन करके सामने आने वाली कमियों को दूर करेगी।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 20, 2021 18:29 IST
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Image Source : FACEBOOK.COM/AJAYLALLUINC कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से बातचीत करते हुए यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी प्रदेश के आगामी पंचायत चुनाव के जरिए वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों का आकलन करके सामने आने वाली कमियों को दूर करेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बुधवार को बताया कि उनकी पार्टी आगामी मार्च-अप्रैल में संभावित पंचायत चुनाव को वर्ष 2022 के शुरू में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी का जायजा लेने के बेहतरीन मौके के तौर पर देख रही है। उन्होंने कहा, ‘पंचायत चुनावों से यह जाहिर हो जाएगा कि हम कितने पानी में हैं और अगले विधानसभा चुनाव के लिए हमें और कितने प्रयास करने होंगे।’

‘पार्टी को गावों से मिल रहे उत्साहजनक संकेत’

लल्लू ने कहा कि ग्रामीण इलाकों तक पहुंच बनाने के लिए पार्टी ने संगठन सृजन अभियान शुरू किया है। उन्होंने कहा कि इसके तहत अब तक प्रदेश की 61 प्रतिशत ग्राम पंचायतों में संगठन तैयार कर लिया गया है और इस माह के अंत तक बाकी ग्राम पंचायतों में भी काम पूरा कर लिया जाएगा। लल्लू ने दावा किया कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों से पार्टी को बहुत उत्साहजनक संकेत मिल रहे हैं और आने वाले विधानसभा चुनाव में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने 3 नए कृषि कानूनों के मामले में बीजेपी सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब तक किसानों के हित में ईमानदारी से नीतियां नहीं बनेंगी तब तक उनकी दशा ठीक नहीं की जा सकती।

‘यूपी और बिहार के ज्यादातर किसान मजदूर हैं’
कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन में यूपी और बिहार के किसानों की भागीदारी अपेक्षित हद तक नहीं होने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘बिहार और पूर्वांचल के ज्यादातर किसान दरअसल किसान नहीं बल्कि मजदूर हैं, जो खुद उगाते, खुद काटते, खुद ही खाते हैं और बची खुची फसल बेच देते हैं। पंजाब और हरियाणा की मंडियां नए कृषि कानूनों से समाप्त हो जाएंगी जिसका भारी नुकसान वहां के किसानों को होगा। इसीलिए आंदोलन में पंजाब और हरियाणा के किसानों की ज्यादा भागीदारी दिखाई दे रही है।’

‘किसानों में नए कानूनों को लेकर जबरदस्त गुस्सा’
हालांकि लल्लू ने दावा किया कि संगठन सृजन अभियान के तहत अब तक प्रदेश के 65 जिलों के ग्रामीण इलाकों में किए गए भ्रमण के दौरान किसानों से बातचीत में उन्हें एहसास हुआ कि नए कृषि कानूनों को लेकर कृषकों में जबरदस्त गुस्सा व्याप्त है और वे समय आने पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार को सबक सिखाने के लिए बेताब हैं।

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