जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल और कश्मीर विश्वविद्यालय (केयू) के कुलाधिपति मनोज सिन्हा ने रविवार को कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (NEP-2020) के अनुरूप समकालीन, अंतर्विषयक और कौशल-उन्मुख शैक्षणिक कार्यक्रमों को शुरू करने की जरूरत है।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि एलजी सिन्हा ने श्रीनगर में लोक भवन में आयोजित कश्मीर विश्वविद्यालय परिषद की 84वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही।
रोजगार दिलाने वाले कौशल पर फोकस
बैठक में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और कई विश्वविद्यालयों के कुलपति भी शामिल हुए। इस दौरान उपराज्यपाल सिन्हा ने विश्वविद्यालय को स्पष्ट निर्देश दिए कि उसे नवाचार, रोजगार दिलाने वाले कौशल और उद्यमिता पर विशेष ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा, "विश्वविद्यालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शैक्षणिक पहल स्थानीय और क्षेत्रीय विकास आवश्यकताओं के अनुरूप हों।"
कई महत्वपूर्ण एजेंडा को मिली मंजूरी
एलजी सिन्हा ने कश्मीर विश्वविद्यालय को उभरती शैक्षणिक और औद्योगिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एकीकृत और व्यावसायिक कार्यक्रमों को मजबूत करने की सलाह भी दी। विश्वविद्यालय परिषद की इस बैठक में कई अहम शैक्षणिक और प्रशासनिक एजेंडा से जुड़े मदों पर चर्चा की गई। परिषद ने इन मदों को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी है।
आतंकी हमलों के पीड़ितों पर बोले एलजी
एक अन्य खबर में, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को इस बात पर दुख जताया कि पूर्ववर्ती सरकारों ने आतंकवाद के पीड़ितों के दर्द को नजरअंदाज किया और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि उनका प्रशासन अब ऐसे लोगों को सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रहा है। उपराज्यपाल ने श्रीनगर स्थित लोक भवन में कश्मीर घाटी में आतंकी हमलों के 39 पीड़ितों के परिजनों को नियुक्ति पत्र सौंपने के बाद ये टिप्पणियां कीं।
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