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Hartalika Teej 2018: 12 सितंबर को हरतालिका तीज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

भाद्रपद यानि भादों मास की शुक्ल तृतीया तिथि को हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाता है। तृतीया तिथि को तीज भी कहा जाता है। जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : September 11, 2018 11:31 IST
Hartalika Teej 2018- India TV Hindi
Hartalika Teej 2018

धर्म डेस्क: हरतालिका तीज हर विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए बहुत की खास होती है। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा व्रत त्योहार माना जाता है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला और निराहार रहकर ये व्रत करती हैं। वहीं कुवांरी लड़कियों के लिए भी ये व्रत बड़ा खास माना जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि कुवांरी लड़कियां अगर इस व्रत को करें तो उन्हें भगवान शिव जैसा पति मिलता है। हरतालिका तीज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इसे गौरी तृतीया व्रत भी कहते हैं, यह इस वर्ष 12 सितंबर दिन बुधवार को मनाई जाएगी। (Ganesh Chaturthi 2018: 120 साल बाद गणेश चतुर्थी पर विशेष संयोग, इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा और गणपति स्थापना )

इस व्रत को कुवारी कन्याए अपने लिए मनचाहें पति पाने और विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य पाने के लिए करती है। यह व्रत बड़ी ही विधि-विधान से किया जाता है। (साप्ताहिक राशिफल(10 से 16 सितंबर तक): इस सप्ताह होगी पैसों की तंगी दूर, जानिए राशिनुसार अपना भविष्य )

हरतालिका तीज का व्रत का व्रत निर्जल रहा जाता है। इस व्रत में  शाम को पूजा होते हुए रात भर, भजन-कीर्तन, जागरण के बाद दूसरे दिन सुबह समाप्त होता है, तब महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं और अन्न-जल ग्रहण करती हैं। इस दिन शिव पार्वती जी पूजा की जाती है। जानिए शुभ मुहूर्त औप पूजा विधि।

हरतालिका तीज का पूजन मुहूर्त

प्रातः काल 6 :15 से 9:20 तक

ऐसे करें हरतालिका पूजा
तीज के इस व्रत को महिलाएं बिना कुछ खाएं-पीएं रहती है। इस व्रत में पूजन रात भर किया जाता है। इस पूजन में बालू के भगवान शंकर व माता पार्वती का मूर्ति बनाकर किया जाता है और एक चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सहेली की प्रतिमा बनाई जाती है।

ध्यान रहें कि प्रतिमा बनातें समय भगवान का स्मरण करते रहे और पूजा करते रहे। पूजन-पाठ के बाद महिलाएं रात भर भजन-कीर्तन करती है और हर प्रहर को इनकी पूजा करते हुए बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण करने चाहिए और आरती करनी चाहिए। साथ में इन मंत्रों बोलना चाहिए

जब  माता पार्वती की पूजा कर रहे हो तब-
ऊं उमायै नम:, ऊं पार्वत्यै नम:, ऊं जगद्धात्र्यै नम:, ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ऊं शांतिरूपिण्यै नम:, ऊं शिवायै नम:

भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करना चाहिए
ऊं हराय नम:, ऊं महेश्वराय नम:, ऊं शम्भवे नम:, ऊं शूलपाणये नम:, ऊं पिनाकवृषे नम:, ऊं शिवाय नम:, ऊं पशुपतये नम:, ऊं महादेवाय नम:

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