मुंबई: महाराष्ट्र विधानमंडल का शीतकालीन अधिवेशन 8 दिसंबर से नागपुर में शुरू होने जा रहा है। आज राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्री और विपक्ष के नेता का नागपुर पहुंच चुके हैं, परंपरागत तौर पर मुख्यमंत्री की ओर से उनके निवास रामगिरी में चाय पार्टी का आयोजन किया गया है ,जिसमें विपक्ष को भी निमंत्रित किया गया है, लेकिन विपक्ष ने चाय पार्टी का बहिष्कार करके सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जताई है।
क्या है पूरा मामला?
परंपरा के अनुसार विपक्ष को चाय का निमंत्रण दिया जाता है। लेकिन विपक्ष ने इसका बहिष्कार कर दिया। दरअसल विरोधी पक्ष के नेता दोनों सदनों में नहीं हैं। ऐसे में चाय-पानी का बहिष्कार किया गया है। विपक्ष का कहना है कि किसान विरोधी सरकार के चाय-पानी में जाने का कोई औचित्य नहीं है।
विपक्ष का क्या कहना है?
विधानसभा में कांग्रेस पक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि कि सरकारी जमीनों का गैर व्यवहार हो रहा है, सरकारी योजनाएं बंद कर दी गईं हैं, कानून व्यवस्था प्रभावित है और छोटी बच्चियों पर अत्याचार की संख्या बढ़ गई है। किसान संकट में हैं। किसानों की आत्महत्या बढ़ रही है। राज्य की तिजोरी खाली है, निधि बांटने में भेदभाव किया जा रहा है। प्रतिदिन 8 किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
विपक्ष ने बताया कि विदर्भ की तरह इग्नोर किया जा रहा है। कृषि, किसानों के अलावा पुणे क्राइम कैपिटल हो गया है। बाघ और तेंदुए के हमले से लोगों की मृत्यु हो रही है। सरकार का इस तरफ ध्यान नहीं है। शीत सत्र के दौरान सरकार को घेरने के लिए विपक्ष तैयार है। यह संदेश देने के लिए विपक्ष ने सरकार के चाय-पानी का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है और उसके लिए पत्र मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेज दिया है। शीत सत्र कम दिनों के होने के बावजूद आरोप प्रत्यारोप का बड़ा विस्फोट सत्र के दौरान देखने को मिलेगा।
बता दें कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के तीसरे कार्यकाल का यह दूसरा शीतकालीन अधिवेशन है। इस अधिवेशन का विदर्भ क्षेत्र विकास के लिहाज से काफी महत्व रहता है। विपक्ष ने मांग की है कि सरकार स्वेत पत्र जारी करे।


