
Kumb Mela 2025: महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान निकट आ रहा है। इस स्नान में भी नागा साधुओं को पहला स्नान करने का मौका दिया जाएगा उनके पीछे उनके अखाड़े और अघोरी भी पवित्र नदी में डुबकी लगाएंगे। इसके बाद उनके भक्त संगम स्नान करेंगे। नागा साधु और अघोरी साधु दोनों शिव के ही उपासक है, लेकिन दोनों की पूजा विधि में बड़ा अंतर है, जिसे बहुत कम ही लोग जानते है। ऐसे में आइए नागा साधु और अघोरी के पूजा विधि को जानने व समझने की कोशिश करते है...
नागा साधु और अघोरी साधु में अंतर
सबसे पहले जानते हैं कि नागा साधु और अघोरी साधु में क्या अंतर होता है। नागा साधुओं की उत्पत्ति का श्रेय आदि शंकराचार्य का जाता है। कहा जाता है कि जब आदि शंकराचार्य ने 4 मठों की स्थापना की तो उनकी रक्षा के लिए एक ऐसी टोली बनाई गई जिसे किसी चीज का भय न हो और वे किसी भी परिस्थिति में लड़ सकें। इसके बाद नागा साधुओं की टोली बनाई गई।
जबकि अघोरी साधु की उत्पत्ति गुरु भगवान दत्तात्रेय माने जाते हैं, अघोरी भी नागा के जैसे शिवजी की पूजा करते हैं, पर वे मां काली की भी पूजा-उपासना करते हैं। अघोरी कपालिका परंपरा का पालन करते हैं। अघोरियों को मृत्यु और जीवन दोनों से कोई भय नहीं होता।
क्या है नागा साधुओं की पूजा विधि
नागा साधु शिवजी के उपासक होते हैं,वे शिवलिंग पर भस्म, जल और बेलपत्र चढ़ाते हैं। नागाओं की पूजा में अग्नि और भस्म दोनों का महत्वपूर्ण स्थान है। इसके अलावा, नागा साधु महाकुंभ के बाद हिमालय, वन, गुफा में तप करने चले जाते हैं और ध्यान और योग के जरिए वह भोले शंकर में लीन रहते हैं।
क्या है अघोरी साधुओं की पूजा विधि
वहीं, अघोरी शिव को ही मोक्ष का रास्ता मानते हैं। अघोरी साधु भी शिव जी के ही उपासक होते हैं साथ ही मां काली को भी पूजते हैं, पर इनकी पूजा विधि नागा साधुओं की तरह नहीं होती बल्कि एकदम अलग होती है। अघोरी 3 तरीके की साधना करते हैं, जिसमें शव, शिव और श्मशान विधि शामिल हैं। शव साधना में अघोरी मांस और मदिरा का भोग लगाकर पूजा करते हैं, शिव साधना में शव पर एक टांग पर खड़े रहकर तपस्या करते हैं और श्मशान साधना में अघोरी श्मशान भूमि में हवन करते हैं। कहा जाता है कि तंत्र मंत्र भी करते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)