ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की अमरजीत कौर ने कहा कि हड़ताल में 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों के हिस्सा लेने की उम्मीद है। किसान और ग्रामीण कर्मचारी भी देशभर में होने वाले इस हड़ताल का हिस्सा बनेंगे।
24 और 25 मार्च को बैंक यूनियनों ने देशव्यापी हड़ताल करने की बात कही थी। इस हड़ताल का बैंकों के काम-काज पर असर पड़ना तय माना जा रहा था।
बैंक कर्मचारी संगठनों की प्रमुख मांगों में हर हफ्ते दो दिनों की छुट्टी और सभी कर्मचारी संवर्गों में पर्याप्त भर्ती करना शामिल हैं। प्रस्तावित हड़ताल को टालने का फैसला मुख्य श्रम आयुक्त के सामने लिया गया है, जिन्होंने सभी पक्षों को सुलह बैठक के लिए बुलाया था।
हड़ताल से सभी सरकारी, प्राइवेट और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में बैंकिंग सेवाओं पर असर पड़ने की उम्मीद है। बताते चलें कि 22 मार्च को महीने का चौथा शनिवार और 23 मार्च को रविवार की वजह से देश के सभी बैंक बंद रहेंगे। जिसके बाद सोमवार और मंगलवार को हड़ताल की वजह से बैंकों में काम नहीं होगा।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने आईडीबीआई बैंक में 51% सरकारी इक्विटी बनाए रखने की मांग की है। साथ ही कहा है कि हम डीएफएस द्वारा पीएसबी के नीतिगत मामलों पर सूक्ष्म प्रबंधन का विरोध करते हैं।
बैंक यूनियन यूएफबीयू ने प्रदर्शन समीक्षा और प्रदर्शन से जुड़े प्रोत्साहनों पर वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के हालिया निर्देशों को तत्काल वापस लेने की मांग की है। यूनियन का कहना है कि यह नौकरी की सुरक्षा को खतरा पहुंचाते हैं और कर्मचारियों के बीच विभाजन पैदा करते हैं।
निजी बैंक इस हड़ताल से बाहर थे। ऐसे में अब निजी और सरकारी बैंकों में आम दिनों की तरह कामकाज निपटाएंगे।
बैंक यूनियनों ने हड़ताल पर जाने का सबसे महत्वपूर्ण कारण बैंकों के कामकाज की आउटसोर्सिंग को बताया है। इससे बैंकों में जमा, निकासी, चेक का समाशोधन प्रभावित हो सकता है
देश की 9 बैंक यूनियनों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (UFBU) ने इस हड़ताल की धमकी दी है। यूनियन में देशभर के करीब 7 लाख बैंक कर्मचारी शामिल हैंं। जो हड़ताल में शामिल होंगे।
इस हड़ताल को झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश, असम, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार, पंजाब, राजस्थान, गोवा और ओडिशा से अच्छी प्रतिक्रिया
26 मार्च को चौथा शनिवार और 27 मार्च को रविवार होने की वजह से बैंक बंद थे। अब सोमवार और मंगलवार को हड़ताल होने की वजह से दो दिन और कामकाज बाधित रहेगा। हालांकि SBI पूरी कोशिश में जुटी में है कि ग्राहकों को इस दौरान दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
इनकी प्रमुख मांगों में श्रम संहिता को समाप्त करना, किसी भी प्रकार के निजीकरण को रोकना, राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को समाप्त करना, मनरेगा के तहत मजदूरी के लिए आवंटन बढ़ाना और ठेका श्रमिकों को नियमित करना शामिल है।
सरकार की जन-विरोधी आर्थिक नीतियों और श्रमिक विरोधी नीतियों के विरोध में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच और विभिन्न क्षेत्रों की स्वतंत्र श्रमिक यूनियनों ने दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है।
भारतीय स्टेट बैंक ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा, ‘‘ बैंक ने हड़ताल के दिनों में अपनी शाखाओं और कार्यालयों में सामान्य कामकाज सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक व्यवस्था की है
कर्मचारी चालू वित्त वर्ष में दो और सरकारी बैंकों की निजीकरण करने के सरकार के फैसले के खिलाफ हड़ताल कर रहे हैं।
नौ अन्य बैंक यूनियनों ने दो दिन यानि 16 और 17 दिसंबर की हड़ताल का आह्वान किया है
अलग-अलग सरकारी बैंकों के करीब नौ लाख कर्मचारी सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण के सरकार के कदम के विरोध में आज से हड़ताल पर हैं। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) सहित ज्यादातर बैंकों ने अपने ग्राहकों को सूचित किया है कि हड़ताल की वजह से चेक क्लीयरिंग और फंड ट्रांसफर जैसी बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
यूएफबीयू के संयोजक बी रामबाबू ने कहा कि संगठन ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2021 के विरोध में और सरकारी बैंकों के निजीकरण के केंद्र के कथित कदम का विरोध करते हुए यह हड़ताल बुलाई है
सरकार ने 2019 में आईडीबीआई बैंक में अपनी बहुलांश हिस्सेदारी एलआईसी को बेचकर आईडीबीआई बैंक का निजीकरण कर दिया था
फोरम ने एक बयान में कहा, ‘‘पिछले चार साल या उससे अधिक समय से लंबित कर्मचारियों के वेतन संशोधन जैसे अत्यधिक संवेदनशील मामले पर केंद्रीय बैंक की मनमानी का कड़ा विरोध करने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।’’
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