केंद्र सरकार की ओर से कर्मचारी भविष्य योजना यानी EPS 1995 को संशोधित कर दिया गया था। इसके बाद यह संशोधन बीते 1 सितंबर 2014 से प्रभाव में है। EPS में अधिक पेंशन लेने के लिए इसकी कीमत भी चुकानी पड़ेगी। जॉइंट ऑप्शन स्किम का हिस्सा बनना चाहिए या नहीं इसके बारे में जरूर जान लें।
अगर आप नौकरी करते हैं और हर महीने अपनी आय का एक छोटा सा हिस्सा भविष्य निधि के रूप में जमा करवाते हैं तो आपको EPS-95 के बारे में जानकारी जरूर होनी चाहिए।
कर्मचारी पेंशन स्कीम (ईपीएस) 1995 एक निर्धारित अंशदान-निर्धारित लाभ वाली सामाजिक सुरक्षा योजना है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने पेंशनभोगियों के लिए जीवन प्रमाण पत्र (जेपीपी) देने की समयसीमा 28 फरवरी, 2021 तक बढ़ा दी है।
वित्त मंत्रालय न्यूनतम पेंशन में वृद्धि करने के श्रम मंत्रालय के प्रस्ताव पर सहमत हो गया है। श्रम मंत्रालय के प्रस्ताव पर सहमति के चलते न्यूनतम पेंशन डबल करने घोषणा जल्द हो सकती है।
श्रम और रोजगार राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने बैठक के बाद बताया कि ईपीएफओ ने ईपीएफ सदस्यों के 91 प्रतिशत दावों को ऑनलाइन मोड से निपटाया है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने भविष्य निधि (PF) से 10 लाख रुपए से अधिक की निकासी के लिए ऑनलाइन दावा करना अनिवार्य कर दिया है। EPFO द्वारा खुद को कागजरहित संगठन बनाने की दिशा में यह एक और कदम है।
ऑल इंडिया ईपीएस-95 पेंशनर्स संघर्ष समिति ने कहा है कि विभिन्न राज्यों में उनके सदस्यों ने ईपीएफ-95 योजना के तहत न्यूनतम मासिक पेंशन 7,500 रुपए देने के लिए सरकार पर दबाव डाला है।
कर्मचारी पेंशन योजना 95 के तहत करीब 60 लाख पेंशनभोगी आते हैं, जिसमें से करीब 40 लाख लोगों को 1,500 रुपये प्रतिमाह से कम पेंशन मिलती है
EPFO उस योजना को अपनी मंजूरी दे सकता है, जिसमें सामाजिक सुरक्षा योजना के लिए कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के लिए अनिवार्य कटौती को कम करने का प्रस्ताव है।
ईपीएफओ आधारित पेंशन योजना के तहत अपने अंशधारकों को नियोक्ताओं के अनिवार्य योगदान के अलावा पेंशन योजना में स्वैच्छिक योगदान देने की अनुमति दे सकती है।
संपादक की पसंद
लेटेस्ट न्यूज़