कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करने में प्रशासन की कथित विफलता और हत्या के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने शुक्रवार को बडगाम के शेखपुरा में लाठीचार्ज किया था और आंसू गैस के गोले छोड़े थे।
घाटी में विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया। बडगाम से लेकर श्रीनगर तक लोग सड़कों पर उतर पड़े हैं और कश्मीरी पंडितों की हत्या पर विरोध जता रहे हैं।
आपको बता दें कि बिट्टा कराटे कश्मीर घाटी में पंडितों के खिलाफ नरसंहार का चेहरा रहा है। उसने एक वीडियो शो में यह कबूल किया कि सतीश टिक्कू उसके हाथ से मारे गए पहले कश्मीरी पंडित थे।
कश्मीर में 1990 के बाद पहली बार इतनी संख्या में कश्मीरी पंडित नवरेह का पर्व मनाने के लिए कश्मीर पहुंचे हैं। 32 साल बाद आज उस माहौल को देखकर कश्मीरी पंडितों की उम्मीदें जाग उठी है और यह यकीन हुआ है कि वह दिन अब दूर नहीं जब एक बार फिर कश्मीर में हिंदू, मुस्लिम और सिख एक साथ रहकर यहां की परंपरा और भाईचारे को फिर से कायम करने में सफल हो जाएंगे।
हजारों वर्षो तक एक स्वदेशी धार्मिक अल्पसंख्यक के रूप में शांतिपूर्वक रहने के बाद, इन कश्मीरी हिंदुओं से मदद की गुहार विश्व स्तर पर बहरे कानों पर पड़ी। आईसीएचआरएफ ने कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्म को नरसंहार माना है और इसमें शामिल दोषियों को सख्त सजा देने का आह्वान किया है।
केजरीवाल ने कहा, ‘‘पिछले 25 वर्षों में कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद से, पिछले आठ वर्ष समेत 13 वर्ष में केंद्र में भाजपा की सरकारें रही हैं। क्या इस अवधि में किसी कश्मीरी पंडित परिवार का पुनर्वास हुआ है?
फारूक़ अब्दुल्ला ने कहा कि जानबूझकर बवाल पैदा किया जा रहा है। अगर कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्म का सच जानना है, कश्मीरी पंडितों का असली गुनहगार कौन है ये जानना है तो इन्क्वायरी कमीशन बना दिया जाए, दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा।
कश्मीरी संगठन व्यक्तिगत रूप से या संयुक्त रूप से इस मुद्दे को उठा सकते हैं और वर्तमान सक्षम जम्मू-कश्मीर सरकार को एसआईटी या न्यायिक आयोग बनाने के लिए मजबूर कर सकते हैं। इन दुर्भाग्यपूर्ण प्रवासी हिंदुओं को न्याय दिलाने की जरूरत है, जिनकी आवाज पिछले 32 सालों से कभी नहीं सुनी गई।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा, कश्मीरी पंडितों को बहुत पीड़ा झेलनी पड़ी। हमें उनके अधिकारों के लिए खड़े होना चाहिए।
उमर अब्दुल्ला ने अपने पिता फारूक अब्दुल्ला को क्लीन चिट दे दी, जो राज्यपाल शासन लागू होने से ठीक पहले मुख्यमंत्री थे।
फारूक अब्दुल्ला 7 नवंबर 1986 से 18 जनवरी 1990 तक मुख्यमंत्री थे। यह वह समय था, जिसमें कश्मीर धीरे-धीरे नीचे गिर रहा था और खुफिया एजेंसियों द्वारा चेतावनी के बावजूद उदासीनता दुर्गम लग रही थी।
The Kashmir Files Release Date: फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' की रिलीज डेट को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट का आज फैसला आया है। कोर्ट में एक याचिका दायर कर के फिल्म की रिलीज डेट रोकने की अर्जी दी गई थी
कश्मीरियत सिर्फ तभी बचेगी जब लोग आतंकवादियों और उनके आकाओं के असली मकसद को समझेंगे और उसके हिसाब से करारा जबाव देंगे।
राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा, हमारे कश्मीरी भाई-बहनों पर हो रहे इन हमलों की हम कड़ी निंदा करते हैं।
बिंद्रू एक जाने-माने कश्मीरी पंडित व्यवसायी थे, जो नब्बे के दशक के दौरान उग्रवाद की शुरुआत के दौरान भी घाटी छोड़कर नहीं गए थे।
विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने गुरुवार को समुदाय के जम्मू एवं कश्मीर में पुनर्वास की व्यवस्था होने तक बाहरी लोगों के लिए जमीन की ब्रिकी प्रतिबंधित करने की मांग की।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। शाह ने कश्मीरी पंडितों को घाटी में पर्याप्त सुरक्षा के बीच चरणबद्ध पुनर्वास का आश्वासन दिया।
विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म 'शिकारा' की मुंबई में स्पेशल स्क्रीनिंग हुई।
उच्च शिक्षण संस्थानों में कश्मीरी विस्थापितों के बच्चों को प्रवेश में मिलने वाली छूट अब घाटी में रह रहे कश्मीरी पंडितों को भी दी जाएगी।
महबूबा ने आरोप लगाया है कि कश्मीरी पंडितों के दर्द को दक्षिणपंथी संगठन एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।
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