देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस की इटेलिजेंस यूनिट की हेड रश्मि शुक्ला ने सबूतों के साथ इसकी रिपोर्ट 6 महीने पहले ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को दी थी, लेकिन कोई ऐक्शन नहीं लिया गया।
अगर ये इल्जाम सच साबित हुआ तो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि लेटर किसने लिखा, कब लिखा और क्यों लिखा।
युद्धस्तर पर टीकाकरण ही इस महामारी की दूसरी लहर को रोक सकता है। टीकाकरण जितना तेज होगा, कोरोना की स्पीड उतनी कम होगी।
ये मामला सिर्फ मुंबई पुलिस की छवि पर दाग का नहीं है बल्कि ये महाराष्ट्र सरकार चलाने वाले लोगों पर सवाल उठाता है। सचिन वाज़े के राजनीतिक आका कौन हैं, जिनके संरक्षण में वह इन नापाक गतिविधियों को अंजाम दे रहा था?
अब जबकि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस महत्वपूर्ण काम को अंजाम देना शुरू किया है तो सभी राजनीतिक दलों की ये जिम्मेदारी है कि वे इस अभियान को अपना समर्थन दें।
ये तो साफ है कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर बारूद से भरी गाड़ी मिलना, फिर गाड़ी के मालिक की मौत होना, ये सब एक बड़ी साजिश का हिस्सा है।
बीजेपी के लिए राहत की बात सिर्फ ये है कि अब पार्टी में कई ऐसे नेता हैं, जो कई बरसों तक ममता के साथ जुड़े रहे।
राहुल जी ठीक कहते हैं कि आजकल उन्हें छोड़कर सब मोदी से डरते हैं। जब दादी का राज था तो कोई मोदी से नहीं डरता था बल्कि मोदी डरते थे, वो तो सिख का भेष बनाकर इधर-उधऱ भागते फिरते थे, इसीलिए राहुल को पांच साल की उम्र से पता है कि मोदी डरपोक है।
मुझे लगता है कि बीजेपी और कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने इस घटना पर रिएक्ट करने में थोड़ी जल्दबाजी की। पहले सच्चाई जानने की कोशिश करनी चाहिए थी। डॉक्टर्स की रिपोर्ट आने का इंतजार करना चाहिए था, फिर कुछ कमेंट करते तो ठीक रहता।
ममता बनर्जी ने बंगाल की एक तिहाई सीटें महिलाओं और मुसलमानों को दी हैं। इस बार टिकट बंटवारे में सामाजिक समीकरणों का पूरा ख्याल रखा है।
विरोध के नाम पर इस तरह की घटिया हरकत को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्द कहना हर हिन्दुस्तानी का अपमान है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि ममता फाइटर हैं। वह आसानी से हार नहीं मानती हैं और यही उनकी जीत का राज है। लेकिन इस बार हालात पिछली बार के मुकाबले अलग हैं।
कोरोना वैक्सीनेशन के मामले में हमारा देश आज दुनिया में नंबर-1 है। अब जो वैक्सीनेशन होगा उसमें प्राइवेट सेक्टर को शामिल किया जाएगा।
अगर सिधाना जैसे लोगों ने किसानों को बदनाम किया तो किसान नेताओं ने उन्हें अपनी रैली में क्यों बुलाया? मतलब साफ है कि दंगा करने वाले, तिरंगे का अपमान करने वाले लोग पहले भी कुछ किसान नेताओं के संरक्षण में थे, आज भी उनके संरक्षण में हैं।
देश में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले फिर तेज़ी से बढ़ रहे हैं। लोगों की तरफ से बरती जा रही लापरवाही कोरोना के लिए संजीवनी बन रही है।
उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने 3 दिन पहले कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के 2 ‘कमांडर्स’ को गिरफ्तार किया था।
अब तक होता ये था कि चीन भारत के सब्र का इम्तेहान लेता था। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत ने चीन के सब्र को तोड़ा है और उसके गुरूर को मिट्टी में मिलाया है।
पुलिस अब एक-एक तार जोड़ रही है और हर चेहरे को बेनकाब कर रही है। उसने साजिश के सबूत जुटाए हैं और सारे सबूतों को कोर्ट में पेश किया जा रहा है।
राहुल गांधी ने देश के प्रधानमंत्री के बारे में जिस हल्के अंदाज में बात की, जिन अल्फाजों का इस्तेमाल किया, वह बहुत ही शर्मनाक हरकत है।
यह समझना मुश्किल है कि राहुल गांधी क्या साबित करना चाहते हैं? क्या वह कहना चाहते हैं कि हमारे जवान चीन को रोक नहीं पाए? क्या वह हमारे बहादुर जवानों की जांबाजी पर सवाल उठा रहे हैं?
संपादक की पसंद
लेटेस्ट न्यूज़