खाद्य समूह की मुद्रास्फीति सितंबर के 5.11 प्रतिशत से उछलकर अक्टूबर में 7.89 प्रतिशत पर पहुंच गई।
वहीं दूसरी ओर थोक मूल्य सूचकांक आधारित (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति सितंबर महीने में गिरकर 0.33 प्रतिशत पर आ गई।
भारतीय रिजर्व बैंक अगले महीने मौद्रिक समीक्षा बैठक में नीतिगत दरों में और कमी कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि मुद्रास्फीति की दर रिजर्व बैंक के अनुमान के अनुरूप रहने की संभावना है। ऐसे में केंद्रीय बैंक दरों में और कटौती कर सकता है।
गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आधार पर मापी जाने वाली औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर एक साल पहले जुलाई में 6.5 प्रतिशत रही थी।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़े के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर जुलाई में 2.36 प्रतिशत रही, जो इससे पूर्व महीने में 2.25 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है।
खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति जून में इससे पूर्व महीने के मुकाबले मामूली रूप से बढ़कर 3.18 प्रतिशत पर पहुंच गई।
खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि से खुदरा मुद्रस्फीति मई महीने में बढ़कर 3.05 प्रतिशत पर रही।
आंकड़ों के अनुसार खाद्य पदार्थों की श्रेणी में महंगाई दर अप्रैल में 1.1 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो मार्च में 0.3 प्रतिशत थी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति एक महीना पहले फरवरी में 2.57 प्रतिशत रही थी जबकि एक साल पहले मार्च में यह 4.28 प्रतिशत पर थी।
खाने, पीने की चीजों के दाम बढ़ने से फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति दर बढ़कर 2.57 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह इसका चार माह का उच्चस्तर है।
औद्योगिक श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी 2019 में बढ़कर 6.6 प्रतिशत रही। इसकी अहम वजह निश्चित खाद्य वस्तुओं की कीमतें बहुत ऊंची रहना है।
रिजर्व बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में खुदरा मुदास्फीति को ध्यान में रखता है।
समीक्षाधीन महीने में सब्जियों, फलों और प्रोटीन वाले सामान मसलन अंडों की मूल्यवृद्धि घटी। हालांकि, मांस, मछली और दालों की मुद्रास्फीति मामूली बढ़ी।
खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 2.33 प्रतिशत रही, जो पिछले डेढ़ साल का न्यूनतम स्तर है।
भारत की खुदरा महंगाई दर सितंबर माह में मामूली बढ़कर 3.77 प्रतिशत पर पहुंच गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इससे पिछले महीने अगस्त में यह 3.69 प्रतिशत थी।
भारतीय अर्थव्यवस्था को दोतरफा झटका लगा है। एक तरफ जहां जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर जून में बढ़कर 5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई वहीं मई में औद्योगिक उत्पादन (IIP) की ग्रोथ घटकर 3.2 फीसदी रह गई।
सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और रिटेल मुद्रास्फीति की गणना के लिए आधार वर्ष को बदलकर क्रमश: 2017-18 और 2018 करेगी। यह व्यवस्था 2019-20 से प्रभाव में आएगी।
मोदी सरकार के लिए आज दो महत्वपूर्ण खबरें आईं, जिसमें से एक राहत देने वाली है तो दूसरी आफत। अप्रैल में देश का औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर जहां बढ़कर 4.9 प्रतिशत रही है, वहीं मई में रिटेल महंगाई दर भी बढ़कर 4.87 प्रतिशत हो गई है।
नवंबर में देश के औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। नवंबर के लिए आईआईपी का यह आंकड़ा अपने 17 माह के उच्च स्तर 8.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
नवंबर माह में रिटेल महंगाई दर बढ़कर 15 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई। नवंबर के लिए रिटेल महंगाई दर 4.88 प्रतिशत रही। इसने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय किए गए 4 प्रतिशत के महंगाई लक्ष्य को पीछे छोड़ दिया है।
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