सोमवार को सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, खुदरा महंगाई जनवरी में बढ़कर तीन महीने के उच्च स्तर 6.52% पर पहुंच गई। दिसंबर 2022 में खुदरा महंगाई दर 5.72 फीसदी रही थी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर, 2022 में 5.88 प्रतिशत और दिसंबर, 2021 में 5.66 प्रतिशत थी।
खुदरा महंगाई में गिरावट से रिजर्व बैंक पर ब्याज दर में बढ़ोतरी का दबाब कम होगा। इससे होम, कार लोन समेत दूसरे लोन की ईएमआई बढ़ने की रफ्तार धीमी।
खाद्य मुद्रास्फीति की दर इस साल अगस्त में 6.46 प्रतिशत तथा इससे पिछले वर्ष के इसी महीने में 2.26 प्रतिशत की तुलना में सितंबर, 2022 में 7.76 प्रतिशत रही।
बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई सितंबर में 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई। जबकि सितंबर 2021 में 4.35 प्रतिशत थी।
जून में खाद्य उत्पादों की मुद्रास्फीति एक महीने पहले के 7.97 प्रतिशत की तुलना में घटकर 7.75 प्रतिशत रही। इस तरह खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई इस साल मार्च में 6.95 फीसदी और अप्रैल, 2021 में 4.23 प्रतिशत थी।
सब्जियों की कीमतों में 11.64 फीसदी की तेजी देखी गई, जबकि मांस और मछली में 9.63 फीसदी की तेजी देखी गई।
खाद्य उत्पादों में वृद्धि तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई, जो फरवरी में सालाना आधार पर 16.44 प्रतिशत महंगी हो गई। इसके अलावा सब्जियों की कीमतों में 6.13 फीसदी की तेजी देखी गई।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर दिसंबर 2021 में 5. 66 प्रतिशत और जनवरी 2021 में 4.06 प्रतिशत थी।
आंकड़ों को देखें तो देश में महंगाई की दर बढ़ी है, लेकिन इसकी रफ्तार धीमी है। यह आरबीआई के मध्यम अवधि के अनुमानों के भीतर है।
बयान में कहा गया कि खाद्य मुद्रास्फीति पिछले महीने के 4.83 प्रतिशत और एक साल पहले इसी महीने के दौरान 7.51 प्रतिशत के मुकाबले 2.26 प्रतिशत थी।
श्रम मंत्रालय ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-कृषि श्रमिक (सीपीआई-एएल) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-ग्रामीण श्रमिक (सीपीआई-आरएल) अगस्त 2021 में क्रमश: 3.90 प्रतिशत और 3.97 प्रतिशत रही।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति अगस्त में 3.11 प्रतिशत रही जो कि इससे पिछले महीने जुलाई में 3.96 प्रतिशत थी वहीं अगस्त, 2020 में यह 9.05 प्रतिशत के उच्चस्तर पर थी।
2022-23 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति के 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
इससे पिछले महीने यानी जून माह में मुद्रास्फीति दर कृषि और ग्रामीण कामगारों के लिये क्रमश: 3.83 प्रतिशत और 4 प्रतिशत थी।
औद्योगिक कर्मचारियों के लिये खुदरा मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 5.57 प्रतिशत पहुंच गयी। मुख्य रूप से कुछ खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने से महंगाई दर बढ़ी है।
विश्वबैंक के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत की थोक कीमत आधारित मुद्रस्फीति 30 साल के उच्चतम स्तर पर है
भारत के औद्योगिक उत्पादन में मई के दौरान 29.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह पता चला।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की खुदरा मुद्रास्फीति मई के महीने में बढ़कर 6.30 प्रतिशत हो गई, जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 6 प्रतिशत की सीमा से अधिक है।
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