शेयर बाजारों के विशेषज्ञों ने कहा कि औद्योगिक उत्पादन और महंगाई दर समेत आगामी वृहत आर्थिक आंकड़ों से इस सप्ताह बाजार की चाल तय होगी।
जून में चार साल के उच्च स्तर को छूने के बाद जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर में गिरावट आई है और यह 5.09 फीसदी रही।
देश के थोक महंगाई दर (WPI) में जून महीने में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी हुई है। जून में यह चार साल के उच्चतम स्तर 5.77 फीसदी पर रही जबकि मई में यह 4.43 फीसदी थी। अगर हम पिछले वर्ष के समान महीने की बात करें तो यह 0.90 फीसदी थी।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी की वजह से देशभर में महंगाई बढ़ने लगी है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल के दौरान थोक महंगाई दर (WPI) 4 महीने के ऊपरी स्तर पर दर्ज की गई है।
हालांकि पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ने की वजह से फ्यूल एंड पावर बास्केट की महंगाई दर फरवरी के 3.81 प्रतिशत से बढ़कर 4.70 प्रतिशत हो गई है।
आर्थिक गतिविधियों के मोर्चे पर सुधार का संकेत देते हुए औद्योगिक उत्पादन फरवरी महीने में 7.1 प्रतिशत बढ़ा जबकि थोक मुद्रास्फीति मार्च महीने में 4.28 प्रतिशत पर पांच माह के निचले स्तर पर आ गई। सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।
ईंधन और खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी से फरवरी महीने में थोक महंगाई दर (WPI) सात महीने के न्यूनतम स्तर पर पहंच गई। फरवरी में थोक महंगाई दर 2.48 फीसदी रही।
इस हफ्ते महंगाई दर, औद्योगिक उत्पादन और विदेश व्यापार के आंकड़े जारी होने हैं जो शेयर बाजार की चाल को प्रभावित कर सकते हैं
जनवरी में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 5.07% रह गई थी, जबकि थोक मुद्रास्फीति 2.84% थी जो छह महीने का निचला स्तर था
थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई नवंबर में बढ़कर 3.93 प्रतिशत पर पहुंच गई है। प्याज और अन्य सब्जियों के दाम बढ़ने से महंगाई में इजाफा हुआ है।
सितंबर में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर (WPI) घट कर 2.60 फीसदी के स्तर पर आ गई जो अगस्त में चार महीने के शीर्ष स्तर 3.24 फीसदी पर पहुंच गई थी।
खुदरा एवं थोक महंगाई दर में जुलाई माह में वृद्धि हुई और आने वाले महीनों में इसमें और वृद्धि आ सकती है। मोर्गन स्टैनली ने एक रिपोर्ट में यह आशंका जताई है।
ASSOCHAM के मुताबिक देश में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन की संभावना और बाजार में कम प्राइस वार की वजह से महंगाई दर में बढ़ोतरी की आशंका नहीं है
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर जून में घटकर 0.9 प्रतिशत रही। शुक्रवार को सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है।
मई में महंगाई दर के पांच माह के निचले स्तर 2.17 फीसदी के स्तर पर आ जाने के चलते भारतीय उद्योग जगत ने RBI से ब्याज दरों में कटौती की मांग की है।
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर मई में घटकर 5 महीने के निचले स्तर 2.17% पर आ गई। मुख्यतौर पर सब्जियों के दाम घटने से मुद्रास्फीति में यह गिरावट आई है।
सरकार ने थोक मूल्य सूचकांक (WPI) और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) का आधार वर्ष बदलकर 2011-12 कर दिया है। इनके लिए पहले आधार वर्ष 2004-05 था।
मार्च महीने में थोक महंगाई दर में गिरावट देखने को मिली है। यह फरवरी महीने के मुकाबले 6.55 फीसदी से गिरकर 5.70 फीसदी पर आ गई है।
विश्लेषकों का मानना है कि मुद्रास्फीति के तय लक्ष्य के मुकाबले काफी नीचे होने के बावजूद RBI अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षा में यथास्थिति बनाए रख सकता है।
सेंसेक्स 63 की बढ़त के साथ 29,649 के स्तर पर बंद हुआ है। वहीं, निफ्टी 6 अंक की तेजी के साथ 9160 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी पहली बार 9150 के ऊपर बंद हुआ है।
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