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नेपाल में भारी बारिश के कारण भूस्खलन ने मचाया हाहाकार, 11 लोगों की मौत और 8 लापता

नेपाल में बाढ़ और बारिश के साथ भूस्खलन ने जमकर तबाही मचाई है। एक इलाके में बाढ़ और भूस्खलन के चलते कम से कम 11 लोगों की मौत से दहशत फैल गई है। जबकि 8 लोग लापता बताए जा रहे हैं। वहीं 12 घायलों का इलाज कराया जा रहा है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Jul 07, 2024 16:58 IST, Updated : Jul 07, 2024 16:58 IST
बाढ़ और भूस्खलन की चपेट में आया नेपाल। - India TV Hindi
Image Source : REUTERS बाढ़ और भूस्खलन की चपेट में आया नेपाल।

काठमांडू: नेपाल में भारी बारिश और भूस्खलन ने हाहाकार मचा दिया है। बीते 36 घंटों में मूसलाधार बारिश व भूस्खलन के चलते कम से कम 11 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 8 लोग अब तक लापता हैं। भारी बारिश के कारण बागमती समेत अन्य नदियां पूरे उफान पर हैं। बीते 2 दिनों से यहां भारी बारिश के कारण भूस्खलन और बाढ़ का कहर जारी है। अधिकारियों ने रविवार को कहा कि इससे प्रमुख राजमार्ग और सड़कें अवरुद्ध हैं। 

नेपाल के पुलिस प्रवक्ता दान बहादुर कार्की ने कहा कि आठ लोग लापता हैं या तो बाढ़ में बह गए या फिर भूस्खलन में दब गए। जबकि 12 अन्य घायल हो गए और अस्पतालों में उनका इलाज किया जा रहा है।

कार्की ने रॉयटर्स को बताया, "बचाव कर्मी भूस्खलन के बाद मलबे को हटाने और सड़कों को खोलने की कोशिश कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि मलबे को हटाने के लिए भारी उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है। एक जिला अधिकारी ने कहा कि दक्षिणपूर्वी नेपाल में कोशी नदी खतरे के स्तर से ऊपर बह रही है। यह नदी हर साल भारत के पूर्वी राज्य बिहार में घातक बाढ़ का कारण बनती है। 

कोसी के कोप से दहशत में लोग

 सुनसारी जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी बेद राज फुयाल ने रॉयटर्स को बताया, "कोशी का प्रवाह बढ़ रहा है और हमने निवासियों को संभावित बाढ़ के बारे में सतर्क रहने के लिए कहा है।" सुबह 09.00 बजे (03:15 बजे GMT) कोशी नदी में जल प्रवाह 369,000 क्यूसेक प्रति सेकंड था, जो इसके सामान्य प्रवाह 150,000 क्यूसेक के दोगुने से भी अधिक है। बता दें कि क्यूसेक पानी के प्रवाह का माप है और एक क्यूसेक एक घन फुट प्रति सेकंड के बराबर होता है।

पानी निकालने के लिए खोले गए बैराज के सभी गेट

अधिकारियों ने कहा कि पानी निकालने के लिए कोशी बैराज के सभी 56 स्लुइस गेट खोल दिए गए हैं, जबकि सामान्य स्थिति में यह गेट लगभग 10-12 होते थे।
अधिकारियों ने कहा कि पश्चिम में नारायणी, राप्ती और महाकाली नदियों का प्रवाह भी बढ़ रहा है। पहाड़ी इलाकों से घिरे काठमांडू में, कई नदियां अपने किनारों से बह निकली हैं, सड़कों पर पानी भर गया है और कई घर जलमग्न हो गए हैं। स्थानीय मीडिया ने लोगों को कमर तक गहरे पानी से गुजरते हुए या निवासियों को अपने घर खाली करने के लिए बाल्टियों का उपयोग करते हुए देखा। (रॉयटर्स)

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