Saturday, April 27, 2024
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UNSC की स्थाई सदस्यता के लिए भारत को अब नहीं कर सकते नजरंदाज, कंबोज ने कहा-"जटिल मुद्दों पर दुनिया को दिशा दिखाने की क्षमता"

दुनिया में सर्वाधिक आबादी वाले देश भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य अब तक नहीं बनाए जाने पर रुचिरा कांबोज ने फिर से दावा पेश किया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कांबोज ने कहा कि भारत के स्थाई सदस्यता के दावे को अब लंबे समय तक नजरंदाज नहीं किया जा सकता।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: November 26, 2023 13:15 IST
UNSC में बोलती भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कांबोज।- India TV Hindi
Image Source : FILE UNSC में बोलती भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कांबोज।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 9 वर्षों के नेतृत्व में भारत दुनिया की नई ताकत बनकर उभरा है। अंतराष्ट्रीय संघर्षों और वैश्विक समस्याओं के बीच भारत में दुनिया को दिशा देने की क्षमता है। जटिल परिस्थितियों के बीच भी भारत के सभी देशों के साथ रचनात्मक रिश्ते हैं। भारत दुनिया की सर्वाधिक आबादी वाला देश है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अब उसे स्थाई सदस्यता देने के लिए लंबे समय तक नजरंदाज नहीं कर सकती। भारत इसका मजबूत हकदार और दावेदार है। 
 
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज ने कहा है कि भारत की रणनीतिक स्थिति उसे विभिन्न शक्ति समूहों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ने में सक्षम बनाती है और जटिल कूटनीतिक मामलों में दिशा दिखाने की उसकी क्षमता उसे अंतरराष्ट्रीय संघर्षों में एक संभावित मध्यस्थ के रूप में पेश करती है। कम्बोज ने यहां कहा, ‘‘तीव्र बदलावों एवं जटिल चुनौतियों वाले युग में भारत केवल अत्यंत विविधता एवं सांस्कृतिक समृद्धि वाले देश के तौर पर ही नहीं उभरा है, बल्कि यह सहयोग, शांति एवं पारस्परिक सम्मान के सिद्धांतों को अपनाते हुए अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक बड़ी भूमिका भी निभाता है।
 

भारत का दुनिया में विशिष्ट स्थान

कांबोज ने कोलंबिया विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स’ के दीपक और नीरा राज सेंटर द्वारा पिछले सप्ताह आयोजित ‘भारत: अगला दशक’ सम्मेलन में ‘उभरती वैश्विक व्यवस्था में भारत’ विषय पर एक विशेष भाषण के दौरान कहा कि भारत का प्राचीन दर्शन ‘वसुधैव कुटुंबकम’ उसे वैश्विक मामलों में एक मध्यस्थ और समाधानकर्ता के रूप में विशिष्ट स्थान देता है। कम्बोज ने कहा कि हालिया वर्षों में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने विभिन्न देशों के बीच वार्ता एवं समझ को बढ़ावा देने को लेकर भारत का अग्र-सक्रिय दृष्टिकोण देखा है। उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा भारत की रणनीतिक स्थिति और इसका गुटनिरपेक्ष इतिहास इसे विभिन्न शक्ति समूहों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ने में सक्षम बनाना है।’
 

विभिन्न विचाधाराओं और शॉसन वाले देशों के साथ भी भारत की मित्रता

’ कम्बोज ने कहा, ‘‘भारत ने दिखाया है कि भिन्न विचारधाराओं और शासन मॉडल वाले देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखना संभव है। जटिल राजनयिक मामलों में दिशा दिखाने की यह क्षमता भारत को अंतरराष्ट्रीय संघर्षों में एक संभावित मध्यस्थ के रूप में पेश करती है।’’ उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारत की जी20 की अध्यक्षता ने विभिन्न दृष्टिकोणों के बीच आम सहमति बनाते हुए एक जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य में नेतृत्व करने की देश की क्षमता को दिखाया। कम्बोज ने कहा कि तेजी से बदलते भू-रणनीतिक और भू-आर्थिक माहौल में खुद को ढालने में असमर्थता के कारण संयुक्त राष्ट्र अपने उद्देश्य को पूरा करने में सक्षम नहीं है।
 

भारत के स्थाई सदस्यता के दावे को अब ठंडे बस्ते में नहीं डाल सकते

कांबोज ने दोहराया कि संयुक्त राष्ट्र में सुधारों के मुद्दे को अब ठंडे बस्ते में नहीं डाला जा सकता और 21वीं सदी की समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए सुरक्षा परिषद की संरचना में बदलाव किए बिना यह प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकती। कम्बोज ने कहा, ‘‘दुनिया यह भी मानती है कि परिषद की सदस्यता के लिए भारत के दावे को लंबे समय तक नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।.

जनसंख्या, क्षेत्र, जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद), आर्थिक क्षमता, सभ्यतागत विरासत, सांस्कृतिक विविधता, राजनीतिक व्यवस्था, इतिहास और संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों - विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में जारी योगदान जैसे किसी भी वस्तुनिष्ठ मानदंड के आधार पर भारत सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का पूरी तरह से हकदार है। (भाषा) 

 
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