Saturday, April 27, 2024
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Most Polluted Capital City: लगातार चौथे साल दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनकर उभरी दिल्ली

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली लगातार चौथे साल दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी रही। इसके अलावा दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 35 शहर भारत के हैं।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: March 22, 2022 18:19 IST
दिल्ली लगातार चौथे साल सबसे प्रदूषित राजधानी बनी ( प्रतीकात्मक फोटो)- India TV Hindi
Image Source : PTI दिल्ली लगातार चौथे साल सबसे प्रदूषित राजधानी बनी ( प्रतीकात्मक फोटो)

Highlights

  • खराब वायु गुणवत्ता वाले विश्व के 50 शहरों में से 35 शहर भारत में
  • दिल्ली लगातार चौथे साल दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनकर उभरी
  • IQAIR की ताजा रिपोर्ट हुई जारी

नई दिल्लीः आईक्यूएयर द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली 2021 में लगातार चौथे साल दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनकर उभरी और बीते वर्ष सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले विश्व के 50 शहरों में से 35 शहर भारत में थे। रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में भारत का कोई भी शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित वायु गुणवत्ता मानक (पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पीएम-2.5 सांद्रता) पर खरा नहीं उतर सका। साल 2021 में वैश्विक स्तर पर वायु गुणवत्ता की स्थिति बयां करने वाली यह रिपोर्ट 117 देशों के 6,475 शहरों की आबोहवा में पीएम-2.5 सूक्ष्म कणों की मौजूदगी से जुड़े डेटा पर आधारित है।

दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 35 भारत में 

इसमें सबसे प्रदूषित राजधानियों की सूची में ढाका (बांग्लादेश) दूसरे, एनजमीना (चाड) तीसरे, दुशांबे (ताजिकिस्तान) चौथे और मस्कट (ओमान) पांचवें स्थान पर है। रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में नयी दिल्ली में पीएम-2.5 सूक्ष्म कणों के स्तर में 14.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 2020 में 84 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से बढ़कर 2021 में 96.4 माइक्रोग्राम प्रति घट मीटर हो गया। इसमें कहा गया है, “दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 35 भारत में हैं। देश में पीएम-2.5 का वार्षिक औसत स्तर 2021 में 58.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर पहुंच गया, जिससे इसमें तीन वर्षों से दर्ज किया जा रहा सुधार थम गया।” रिपोर्ट के मुताबिक, “भारत में पीएम-2.5 का वार्षिक औसत स्तर 2019 में लॉकडाउन से पहले के स्तर पर पहुंच गया है।

कोई भी भारतीय शहर WHO के मानक पर खरा नहीं उतरा

चिंता की बात यह है कि 2021 में कोई भी भारतीय शहर पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के डब्ल्यूएचओ के मानक पर खरा नहीं उतरा।” रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि 48 फीसदी शहरों में पीएम-2.5 कणों का स्तर 50 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक था, जो डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित मानक से दस गुना है। ग्रीनपीस इंडिया के कैंपेन मैनेजर अविनाश चंचल ने ‘आईक्यूएयर’ के हालिया आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट सरकारों और निगमों के लिए आंखें खोलने वाली है। उन्होंने कहा, “इससे एक बार फिर साबित होता है कि लोग खतरनाक रूप से प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। वाहनों से होने वाला उत्सर्जन शहरों की आबोहवा में पीएम-2.5 कणों की भारी मौजूदगी के प्रमुख कारकों में से एक है।” रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2021 में वैश्विक स्तर पर कोई भी देश डब्ल्यूएचओ के मानक पर खतरा नहीं उतरा और दुनिया के केवल तीन देशों ने इसे पूरा किया।

(इनपुट भाषा) 

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