नई दिल्ली। उच्च नयायालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय को प्रतिवर्ष होने वाले अपने दीक्षांत समारोह आयोजित करने व उसकी प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी देने का निर्देश दिया है। अदालत ने डीयू के कई छात्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। उन्होंने डीयू को छह सप्ताह में यह जानकारी देने को कहा है। अदालत ने अब मामले की सुनवाई 17 फरवरी तय की है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा मनिंदर सिंह ने इसके अलावा बच्चों के परीक्षा लेने, रिजल्ट घोषित करने, डिजिटल व कागजी मार्कशीट एवं सर्टिफिकेट जारी करने, उसकी अवधि एवं अंतराल इत्यादि के बारे में भी पूरी जानकारी शपथपत्र सहित देने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता छात्रों ने कोरोना महामारी के कारण परीक्षा में हो रही देरी और उसके रिजल्ट जारी करने को लेकर यह याचिका दायर की है।
अदालत ने कहा ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है ताकि किसी छात्र को कोई दुविधा नहीं रहे, क्योंकि हर एक सेमेस्टर के बाद छात्रों में दुविधा बनी रहती है कि कब रिजल्ट, मार्कशीट, डिग्री आदि जारी की जाएगी और कब दीक्षांत समारोह आयोजित किया जाएगा। अदालत ने कहा हर छात्र को जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है।
अदालत ने डीयू से इन सब कामों के लिए एडवांस तकनीकी का भी सहयोग लेने पर विचार करने को कहा है। डीयू ने कोर्ट से कहा कि एक्सीक्यूटिव काउंसिल के निर्णय के अनुसार दीक्षांत समारोह से पहले जो डिग्री दी जाती है, वह एडवांस डिग्री दी जाती है।
डीयू के अधिवक्ता ने कहा कि ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि किसी को विदेश जाकर पढ़ाई करनी होती है। डिजिटल डिग्री के लिए कोई भी छात्र आवेदन कर सकता है। उन्होंने कहा कि डीयू ने 27 हजार छात्रों का डाटा वर्ष 2017 में भेज दिया था जिससे उसे एक महीने के भीतर डिजिटल लॉकर में भेजा दिया गया।
उसी तरह का काम वर्ष 2018 में भी किया गया और यह प्रक्रिया जारी रहेगी। अदालत ने डीयू के जवाब पर असंतोष जताते हुए कहा कि कब कौन सा डाटा भेजा जाता है, कितने दिनों में भेजा जाता है, कितने समय के बाद डिग्री जारी की जाती है और कितने समय बाद दीक्षांत समारोह आयोजित किया जाता है। इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी जाए।