Thursday, May 02, 2024
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'तीन शिफ्टों में होगी CUET-UG की परीक्षा, JEE-NEET में इसके विलय की घोषणा कम से कम दो साल पहले होगी'- जगदीश कुमार

UGC के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालयीन सामान्य प्रवेश परीक्षा (CUET-UG) इस साल दो के बजाय तीन शिफ्टो में होगी। उन्होंने आगे कहा कि ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (JEE) और राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) जैसी परीक्षाओं में इसके विलय की घोषणा प्रभावी वर्ष से कम से कम दो साल पहले कर दी जाएगी।

Reported By : PTI Edited By : IndiaTV Hindi Desk Updated on: March 16, 2023 13:20 IST
यूजीसी चीफ एम जगदीश कुमार(File) - India TV Hindi
Image Source : PTI यूजीसी चीफ एम जगदीश कुमार(File)

विश्वविद्यालयीन सामान्य प्रवेश परीक्षा (CUET-UG) इस साल दो के बजाय तीन शिफ्टो में होगी, साथ ही ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (JEE) और राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) जैसी परीक्षाओं में इसके विलय की घोषणा प्रभावी वर्ष से कम से कम दो साल पहले कर दी जाएगी। इसे लागू करने से कम से कम दो साल पहले किया जाएगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC-university Grants Commision) के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने यह जानकारी दी। UGC अध्यक्ष ने कहा कि यूजीसी और NTA यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार हैं कि CUET-UG परीक्षा बिना किसी परेशानी के पूरी हो। 

'कैंडिडेट्स केवल परीक्षा की चिंता करें, न कि खामियों की'

UGC अध्यक्ष ने  कहा, ‘‘पिछले साल के विद्यार्थियों के अनुभव के मद्देनजर मैं सहमत हूं कि पिछली बार परीक्षा के दौरान कई खामियां सामने आईं, लेकिन इस साल सभी खामियों को दूर किया गया है। पिछली बार विद्यार्थियों को हुई परेशानियों को ध्यान में रखते हुए यह योजना बनाई गई है और हम यह सुनिश्चित करने को तैयार हैं कि उम्मीदवार केवल परीक्षा की चिंता करें, न कि खामियों की।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वैकल्पिक योजना के तहत अतिरिक्त कंप्यूटर और परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था की गई है, ताकि कोई समस्या आने पर विद्यार्थियों को उन परीक्षा केंद्रों पर स्थानांतरित किया जा सके और परीक्षा रद्द न की जाये।’’ 

'कम से कम दो साल पहले की जाएगी घोषणा'
UGC चीफ  ने कहा कि सामान्य परिपाटी से हटते हुए इस साल तीन शिफ्टो में परीक्षा कराई जाएगी। सीयूईटी को इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा ‘जेईई’ और मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ में विलय के सवाल पर कुमार ने कहा, ‘‘यह निश्चित संभव हो सकता है। इसपर विस्तृत काम किया जा रहा है, लेकिन जब कभी भी इसका विलय किया जाएगा तो प्रभावी वर्ष से कम से कम दो साल पहले इसकी घोषणा की जाएगी, ताकि उसके अनुरूप विद्यार्थी अपनी तैयारी कर सकें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा करा विद्यार्थियों पर से बोझ कम करना चाहिए।हमने विचार सामने रखा है ताकि विद्यार्थी मानसिक रूप से तैयार रहें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने ऐसी चीजें प्रस्तावित की हैं और आने वाले दिनों में इनके लागू होने की संभावना है। हम आंतरिक तौर पर काम कर रहे हैं कि कैसे इसे आगे ले जाया जाए।’’ 

गौरतलब है कि यूजीसी ने पिछले साल मार्च में घोषणा की थी कि सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रम में नामांकन सामान्य प्रवेश परीक्षा से होगी, न कि 12वीं कक्षा में मिले अंकों के आधार पर। गौरतलब है कि 14.9 लाख पंजीकरण के साथ सीयूईटी-यूजी देश की दूसरी सबसे बड़ी परीक्षा बन गई थी और इसने जेईई मेंस को पीछे छोड़ दिया था, जिसमें करीब नौ लाख अभ्यर्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। कुमार ने कहा, ‘‘इस साल अबतक 11.5 लाख पंजीकरण कराए जा चुके हैं। अंतिम तारीख 30 मार्च तक बढ़ाई गई है और हमें उम्मीद है कि आवेदनों की संख्या पिछले साल से अधिक होगी।’’ 

जब उनसे पूछा गया कि परीक्षा के अंकों के ‘सामान्यीकरण’ से कई अभ्यर्थी निराश होते हैं, क्योंकि उनके मूल अंकों में कटौती की जाती है जिससे वे अपने पसंदीदा कॉलेज में प्रवेश नहीं ले पाते। इस पर कुमार ने कहा कि इस प्रक्रिया में किसी भी त्रुटि को कमतर करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘इस साल परीक्षा डेढ़ महीने के बजाय 10 दिनों में कराई जा रही है, ताकि अंकों के सामान्यीकरण में होने वाली त्रुटि को कमतर किया जा सके, क्योंकि लंबी अवधि में परीक्षा होने पर अधिक अंतर सामने आता है।’’ 

उल्लेखनीय है कि सामन्यीकरण का फार्मूला ‘इक्वीपर्संटाइल पद्धति’ से तय किया जाता है और इसपर फैसला लेने वाली समिति में भारतीय सांख्यिकी संस्थान और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के प्रोफेसर होते हैं। कुमार ने बताया कि सीयूईटी केंद्रों की पहचान तीन श्रेणियों में की गई है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने केंद्रों को तीन श्रेणियों ए, बी और सी में वर्गीकृत किया है। कुछ केंद्रों में जिनमें हमें पिछले साल समस्या आई थी, उन्हें ‘सी’ श्रेणी में रखा गया है और उन्हें इस बार केंद्र के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ बी श्रेणी में उन केंद्रों को रखा गया है जहां पर कुछ काम करने की जरूरत है, जबकि ‘ए’ श्रेणी के तहत वे केंद्र हैं जो मानकों पर एकदम खरा उतरते हैं।’’

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