Friday, April 26, 2024
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UP Election 2022: पहले Phase में 'साइकल' के दो पहिये- जाट और मुसलमान, अब चलेगा BJP का विकास कार्ड!

पहले चरण के तहत आज से 21 जनवरी तक पश्चिमी यूपी के 11 जिलों की 58 सीटों के लिए नामांकन प्रक्रिया चलेगा। 11 जिलों पर एक नजर दें तो इसमें शामली, मेरठ, बागपत, हापुड़, गाजियाबाद, मधुरा, आगरा, अलीगढ़, गौतमबुद्धनगर, मुजफ्फरनगर और बुलंदशहर शामिल है।

Neeraj Jha Written by: Neeraj Jha
Updated on: January 14, 2022 16:24 IST

Highlights

  • पश्चिमी यूपी के 29 विधानसभा सीट के लिए रालोद-सपा ने जारी किये उम्मीदवारों की सूची
  • साइकल की सवारी मुसलमान-जाटों पर आई
  • चलेगा भाजपा का विकास कार्ड?

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर अब हर दल ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करनी शुरू कर दी है। पहले चरण का चुनाव 10 फरवरी को होना है। 13 जनवरी को समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद)  के गठबंधन ने 29 विधानसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया। इनमें से 9 सीटों पर सपा और 20 सीटों पर रालोद ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं। 

पहले चरण में इन जिलों में चुनाव

पहले चरण के तहत आज से 21 जनवरी तक पश्चिमी यूपी के 11 जिलों की 58 सीटों के लिए नामांकन प्रक्रिया चलेगा। 11 जिलों पर एक नजर दें तो इसमें शामली, मेरठ, बागपत, हापुड़, गाजियाबाद, मधुरा, आगरा, अलीगढ़, गौतमबुद्धनगर, मुजफ्फरनगर और बुलंदशहर शामिल है। अब इसके सियासी गणित को देखें तो इन जिलों में जाट और  मुस्लिम वोट सबसे अहम माना जाता है। क्योंकि, सबसे अधिक आबादी इन्हीं समुदायों की है, जिसे समाजवादी पार्टी 'साइकिल' की सवारी करा अपने पाले में करने की रणनीति तैयार कर चुकी है। इससे भाजपा के सामने कड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है।

दरअसल, सपा-रालोद ने जाट-मुस्लिम कार्ड खेलते हुए इस समुदाय से आने वाले अधिकांश उम्मीदवारों को जाट-मुसलमान बहुल क्षेत्र से टिकट दिया है, यानी सपा-रालोद गठबंधन ने जाति कार्ड खेल बीजेपी को चुनौती देने की रणनीति तैयार की है। 

RLD-SP ने ऐसे खेला है दांव!

हाथरस के सादाबाद से प्रदीप चौधरी गुड्ड (रालोद), छाता से तेजपाल सिंह (रालोद), मथुरा के गोवर्धन से प्रीतम सिंह (रालोद), जाट बहुल बल्देव से बबीता देवी (रालोद), आगरा देहात से महेश कुमार जाटव (रालोद), आगरा कैंट से कुंअर सिंह वकील (सपा), फतेहपुर सीकरी से ब्रिजेश चाहर (रालोद), बाह से मधुसूदन शर्मा (सपा) और खैरागढ़ से रौतान सिंह (रालोद) को मैदान में उतारा गया है। 

वहीं, कैराना से सपा के नाहिद हसन को, शामली से प्रसन्न चौधरी (रालोद), खतौली से राजपाल सिंह सैनी (रालोद), नहटौर से मुंशी राम (रालोद), किठौर से शाहिद मंजूर (सपा), लोनी से मदन भैया (रालोद), साहिबाबाद से अमर पाल शर्मा (सपा), मेरठ से रफीक अंसार (सपा), बागपत से अहमद हमीद (रालोद),चरथावल से पंकज मलिक (सपा), पुरकाजी से अनिल कुमार (रालोद), मोदीनगर से सुरेश शर्मा (रालोद), हापुड़ के धौलाना से असलम चौधरी (सपा), हापुड़ से गजराज सिंह (रालोद), जेवर से अवतार सिंह भड़ाना (रालोद), बुलंदशहर से हाजी यूनुस (रालोद), बुलंदशहर के स्याना से दिलनवाज खान (रालोद), अलीगढ़ के खैर से भगवती प्रसाद सूर्यवंशी (रालोद), कोल से सलमान सईद (सपा) और अलीगढ़ से जफर आलम (सपा) को गठबंधन ने टिकट दिया है। 

हालांकि, अभी सपा-रालोद ने 29 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है। लेकिन, पिछले विधानसभा चुनाव 2017 को देखें तो पश्चिमी यूपी की करीब 6 दर्जन से अधिक सीटों पर भाजपा का कब्जा था। लेकिन, इस बार के विधानसभा चुनाव में गठबंधन (सपा-रालोद) किसान आंदोलन, दलित, मुस्लिम और जाट वोटों को भुना भाजपा का खेल बिगाड़ने में लगी हुई है। किसान नेता राकेश टिकैत के उभरने से भी भाजपा को नुकसान होता दिखाई दे रहा है।

2014 में हुआ था मोहभंग!

जिस वोट बैंक को भाजपा 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के बाद अपने पाले में करने में कामयाब हुई थी, उसी को लेकर इस बार चुनौती खड़ी होती हुई दिखाई दे रही है। दरअसल, मुसलमान पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के पक्के समर्थक रहे हैं। लेकिन, 2013 दंगा के बाद इन समुदायों का मानना रहा कि सपा दंगा रोकने और उनकी सुरक्षा करने में नाकाम रही है। यही वजह थी कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को इसका फायदा मिला था और सपा, रालोद को भारी नुकसान हुआ था।

पश्चिमी यूपी में जाट-मुसलमानों का वोट प्रतिशत

पूरे प्रदेश में मुसलमानों का वोट प्रतिशत करीब 19 फीसदी है। जबकि पश्चिमी यूपी में इसकी तादाद 26 फीसदी के आस-पास है। वहीं, पूरे प्रदेश में जाटवों का करीब 4 फीसदी वोट बैंक है। जबकि, पश्चिमी यूपी में इसकी तादाद 20 फीसदी के करीब है। अब जब अखिलेश यादव और रालोद के जयंत सिंह साथ आए हैं, ऐसे में भाजपा खेमे के इन समुदायों के वोट बैंक को सपा गठबंधन अपने पाले में कर भाजपा को चुनौती दे सकती है।

भाजपा का 'विकास' कार्ड 

लेकिन, भाजपा अपने 'विकास' कार्ड के जरिए गठबंधन के मनसूबो पर पानी फेर सकती है। दरअसल, भाजपा पश्चिमी यूपी के वोट बैंक को साधने के लिए कई विकास योजानाओं का लोकार्पण और ऐलान कर रही है। किसानों को लुभाने के लिए योगी सरकार ने निजी नलकूपों के लिए बिजली दरें 50 फीसदी घटा दी है। योगी सरकार का दावा है कि किसानों के गन्ना फसल पर भी लाभ दिया गया है।

जबकि, पीएम मोदी ने गंगा-एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण कर पश्चिम से पूर्व तक वोटरों पर अपना 'विकास का दांव' खेला है। साथ ही पीएम मोदी जेवर एयरपोर्ट, मेरठ में ध्यानचंद विश्वविद्यालय, राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का शिलान्यास कर विपक्षी दलों को मजबूत संदेश देने की कोशिश कर चुके हैं। इसके अलावा पीएम मोदी ने बागपत, शामली, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर होते हुए 12 हजार करोड़ की लागत से बनने वाले दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे बनाने की ऐलान किया गया है, जो भाजपा के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। अब जिस तरह से सपा-रालोद के 'जाति कार्ड' को भाजपा 'विकास कार्ड' के जरिए पश्चिमी किले को भेदने में लगी हुई है उससे यूपी का 'खेल' चुनाव के और नजदीक आते-आते दिलचस्प होने वाला है।

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