इनकी इस गीत में लता जी ने कही थी ये बात
मेहदी हसन ध्रुपद, ख्याल, ठुमरी व दादरा बड़ी खूबी के साथ गाते थे। इसी वजह से सुर सामग्री लता मंगेशकर कहा करती हैं, "मेहंदी हसन के गले में तो स्वयं भगवान बसते थे।"
पहला गीत
उनका पहला गीत 1962 में फिल्म 'ससुराल' से 'जिसने दिल को दर्द दिया' था। इसके बाद 1964 में उनकी गजल गाई फिल्म 'फरंगी' में सुनी गई। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक गजल गाते चले गए, जिसे संगीत प्रेमियों ने काफी सराहा।
इन गीतों से हुए फेमस
शायर अहमद फराज की गजल 'रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ' गाकर मेहदी हसन को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
'तूने ये फूल जो जुल्फों में लगा रखा है, इक दिया है जो अंधेरे में जला रखा है' जैसी खूबसूरत गजल गा चुके गायक मेहदी हासन के साथ, उस्ताद पीर बख्श तबला वादक उस्ताद मोहम्मद हुसैन जैसे संगीतकार भी जुड़े।
इसके अलावा, परवेज मेहदी, तलत अजीज, गुलाम अब्बास, सलामत अली, रेहान अहमद खान, सविता आहूजा, शमशाद हुसैन चंदा, असद फारूक, शहनाज बेगम (बांग्लादेश) जैसे कई जाने-पहचाने गायक उनके छात्र रहे।
'पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है।' मेहदी हसन की गाई यह प्रसिद्ध गजल आज यथार्थ बन गई है। यही गजल बाद में मोहम्मद रफी और लगता मंगेशकर ने भी एक फिल्म के लिए गाया, लेकिन मेहदी के गाने का अंदाज सबसे अलग था।
पाकिस्तानी गजल गायक मेहदी हसन का भारत से विशेष लगाव रहा है। वह हर बुलावे पर भारत आते रहे और गजलों की महफिल सजाते रहे। मेहदी हसन ने सदैव भारत-पाकिस्तान के बीच एक 'सांस्कृतिक दूत' की भूमिका निभाई और जब-जब उन्होंने भारत की यात्रा की, तब-तब भारत-पाकिस्तान के मध्य तनाव कम हुआ व सौहार्द का वातावरण बना।
मेहदी हसन को पाकिस्तान, नेपाल और भारत में उनकी गायिकी के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया।
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