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कहां छिपा था रावण की मौत का राज...विभीषण न होते तो क्या मारा जाता रावण?

रावण के अंत के पीछे सिर्फ विभीषण ही नहीं बल्कि उसकी पत्नी मंदोदरी का भी हाथ था। जानिए कैसे....

Written by: Jyoti Jaiswal @TheJyotiJaiswal
Published : Apr 17, 2020 09:34 am IST, Updated : Apr 17, 2020 09:57 am IST
रावण की मौत का राज, Ram Ravan Yudh- India TV Hindi
रावण-विभीषण

दूरदर्शन पर लॉकडाउन की वजह से रामायण का री-टेलीकास्ट हो रहा है, और इस शो ने टीआरपी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। कभी टीआरपी की लिस्ट में दूरदर्शन का नामों निशान नहीं रहता था लेकिन आज टॉप 5 में सिर्फ दूरदर्शन के चैनल ही छाए रहते हैं और इसकी वजह रामायण और महाभारत ही है। रामायण सीरियल के लेटेस्ट एपिसोड की बात करें तो मेघनाथऔर लक्ष्मण का युद्ध चल रहा है। लेकिन जल्द ही राम और रावण का युद्ध भी टेलीकास्ट होगा और दिखाया जाएगा रावण वध। रावण विश्व का सबसे बड़ा ज्ञानी माना जाता है और उसे मारना श्रीराम के लिए भी आसान नहीं था, रावण को मारने में राम का साथ दिया विभीषण ने। उन्होंने ही रावण के राज बताए तो राम, रावण को मारने में सक्षम हुए।

कहा जाता है कि रावण ने ब्रह्मा से तपस्या की थी और अमर रहने का वर मांगा था, ब्रह्मा ने अमर रहने का वर तो नहीं दिया लेकिन नाभि में अमृत दे दिया। नाभि को डर का प्रतीक माना जाता है और रावण ने डर पर विजय प्राप्त कर ली थी। इसलिए उसे मृत्यु से भय नहीं लगता था।

जब राम और रावण का युद्ध चल रहा था तो राम तीर मार-मारकर थक कए लेकिन रावण को मार नहीं सके। ऐसे में विभीषण ने रावण का राज राम को बताया और फिर श्री राम ने रावण की नाभि में निशाना लगा, रावण का अमृत कलश फूट गया और वो मारा गया। रावण की मृत्यु तो युद्धभूमि में हो गई लेकिन यही पूरा सच नहीं है। कहा जाता है कि रावण की मृत्यु के पीछे मंदोदरी का भी हाथ था। दरअसल ब्रह्माजी ने रावण को नाभि में अमृत दे के साथ एक प्रकार का तीर भी दिया था। रावण से ब्रह्मा ने कहा था कि सिर्फ इसी तीर से तुम्हें मारा जा सकता है। रावण ने वो तीर सिंहासन के पीछे के खंबे में छिपा दिया। विभीषण ने उस तीर के बारे में  राम को बताया और कहा कि वो ये नहीं जानते हैं कि ब्रह्मा जी का दिया वो तीर कहां है।  तीर ढूंढने  की जिम्मेदारी हनुमान को मिली। 

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हनुमान जी ज्योतिषि का रूप धरकर लंका गए और वहां लोगों का भविष्य बताने लगे, मंदोदरी भी जब लालसा पूर्वक अपना भविष्य जानने आईं तो हनुमान ने कहा कि ब्रह्मा जी के दिए तीर से रावण को खतरा है। लेकिन मंदोदरी ने कह दिया कि ऐेसा कैसे हो सकता है क्योंकि वो तीर तो सिंहासन के पीछे खंबे में सुरक्षित है। हनुमान जी वहां गए और तीर लेकर श्रीराम को दे दिया। फिर उसी तीर से रावण का वध हुआ।

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वजह और कारण चाहे जो रहे हों लेकिन रावण का वध श्रीराम के हाथों होना ही था और इस सच को कोई नहीं बदल सकता था। कहते हैं कि रावण इतना बुद्धिमान था कि जब वो मर रहा था तब श्रीराम ने भाई लक्ष्मण से कहा कि उनसे जाकर ज्ञान ले लो क्योंकि रावण से ज्यादा बुद्धिमान ना कोई पैदा हुआ है ना कोई पैदा होगा। 

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