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मंगलवार (16 दिसंबर 2025) की सुबह सिर्फ उत्तर प्रदेश में कोहरे के कारण हुई सड़क दुर्घटनाओं में 24 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए।
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कोहरा यानी Fog जमीन के करीब बना हल्की महीन पानी की बूंदों से बना बादल होता है। यह एक प्राकृतिक घटना है जो तब होती है जब हवा में मौजूद जलवाष्प ठंडी होकर छोटी-छोटी पानी की बूंदों या बर्फ के क्रिस्टल में बदल जाती है और हवा में घुल मिल जाती हैं।
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कोहरा बूंदों के रूप में बना जलवाष्प का बादल होता है, जो धरती की सतह के बहुत करीब फैला रहता है। हवा में जलवाष्प होता है और जब रात में या सुबह के समय तापमान बहुत कम हो जाता है, तो जमीन के पास की हवा ठंडी हो जाती है और इस ठंडी हवा नमी धारण नहीं कर पाती है। तो ओस बन जाती है। ओस की इन बूंदों में मौजूद अतिरिक्त जलवाष्प गैस से बदलकर छोटी-छोटी तरल पानी की बूंदों में संघनित होने लगती है और यही छोटी बूंदें चारों ओर जमा होकर कोहरे का निर्माण करती हैं।
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कोहरे के कारण दृश्यता बहुत कम हो जाती है, अक्सर 1 किलोमीटर से भी कम। जब यही कोहरा औद्योगिक क्षेत्रों के प्रदूषण के साथ मिल जाता है, तो यह Smog कहलाता है, जो स्वास्थ्य के लिए अधिक खतरनाक होता है।
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घना कोहरा दृश्यता कम कर देता है जिससे सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बहुत बढ़ जाता है, क्योंकि गाड़ी चलाते समय ठीक से दिखाई नहीं देता है। इससे हवाई उड़ानें और रेल यातायात बाधित होते हैं, जिससे यात्रा में देरी या कैंसिलेशन होता है।
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जब यही कोहरा हवा में मौजूद प्रदूषण (जैसे सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड) के कणों के साथ मिल जाता है, तो यह स्मॉग (धुंध) बन जाता है जो स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक होता है।
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घना कोहरा फसलों को भी नुकसान पहुंचाता है, जिससे फसलें गलने लगती हैं या नष्ट हो जाती हैं। सामान्य कोहरा, जो केवल पानी की बूंदों से बना होता है, स्वास्थ्य के लिए स्मॉग जितना हानिकारक नहीं होता, लेकिन कम दृश्यता हमेशा एक बड़ा खतरा बनी रहती है जिससे लोगों की जान जा सकती है।
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स्मॉग से सांस से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती हैं, खासकर अस्थमा (दमा) और ब्रोंकाइटिस के मरीजों के लिए। लंबे समय तक स्मॉग के संपर्क में रहने से फेफड़े कमजोर हो सकते हैं। यह आँखों में जलन, सूजन और खुजली भी पैदा कर सकता है, साथ ही सर्दी-जुकाम की समस्या भी बढ़ा सकता है। कुछ शोधों के अनुसार, लंबे समय तक प्रदूषण के साथ कोहरे (स्मॉग) के संपर्क में रहने से मस्तिष्क पर भी बुरा असर पड़ सकता है।