Tuesday, May 07, 2024
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नूंह दंगे में गिरफ्तार लोगों का पूरी ताकत से केस लड़ेगी जमीयत उलेमा-ए-हिंद, 300 लोग हुए हैं गिरफ्तार

हरियाणा के नूंह और मेवात में हुई हिंसा में 300 लोग गिरफ्तार हुए हैं। इसी को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने आज नूंह में वकीलों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की है और ये फैसला किया कि इस मामले में गिरफ्तार हुए आरोपियों का केस लड़ेगी।

Reported By : Shoaib Raza Edited By : Swayam Prakash Published on: September 02, 2023 22:10 IST
Jamiat Ulema-e-Hind- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने की बैठक

हरियाणा के नूंह में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने स्थानीय वकीलों के साथ एक औपचारिक बैठक की है। इस बैठक का मकसद था कि वह लोग जो नूंह-मेवात हिंसा में गिरफ्तार हुए हैं, उनको कानूनी सहायता प्रदान की जा सके। इस संबंध में मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने कहा कि हमें 114 आवेदन प्राप्त हुए हैं जबकि मेवात में लगभग 300 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जमीयत उलमा-ए-हिंद देश के संविधान के अनुसार उनको कानूनी सहायता भी प्रदान करेगी और न्याय दिलाने का हर संभव प्रयास करेगी।

"बुलडोजर चलाकर मानसिक यातनाएं दीं"

इस दौरान मौलाना फारूकी ने बताया कि हमने यहां के हालात की समीक्षा करने के बाद यह पाया है कि मेवात के लोग इस समय सबसे अधिक सहायता के पात्र हैं। जिस तरह से उपद्रवियों ने यहां हालात पैदा किए और उसके बाद सरकार ने गैरकानूनी तरीके से बुलडोजर का इस्तेमाल कर उनके मान-सम्मान पर हमला किया, उन लोगो को मानसिक यातनाएं दीं, उसी तरह पूर्व में भी उपद्रवियों द्वारा कई मॉब लिंचिंग की घटनाएं अंजाम दी गई हैं और अब यहां बुलडोजर के बाद जो स्थिति है, हमारी प्राथमिकता है कि उन लोगों की न केवल मनोवैज्ञानिक रूप से मदद करें ताकि वह इन परिस्थितियों का सामना भी कर सकें, बल्कि जो जरूरतमंद और गरीब हैं, उन लोगों की पूरी मदद भी की जाए।

"चाहे मुसलमान हों या गैर-मुस्लिम, सबकी मदद की जाएगी"
मौलाना फारूकी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद, जो हमेशा जरूरतमंदों, प्रताड़ित लोगों और असहायों के साथ खड़ी रही है, उसकी अपने 100 साल के इतिहास में कई बलिदान हैं, वह मेवात के इस क्षेत्र से कतई बेपरवाह नहीं रह सकती। यह वह क्षेत्र है जहां जमाअत तब्लीग को बहुत ताकत मिली और यहां के मुसलमान हर तरह से धार्मिक और राष्ट्रीय आंदोलनों के साथ खड़े रहते हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि बिना किसी भेदभाव के मेवात के लोगों की चाहे वह मुसलमान हों या गैर-मुस्लिम, राष्ट्रीयात के आधार पर उन सभी की मदद की जाए।

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