Monday, May 27, 2024
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जानिए क्या है सीधे साधे लोगों की कामयाबी का मूल मंत्र

नई दिल्ली: जीवन से जुड़े तमाम क्षण हर किसी के जीवन में आते हैं और उसे प्रभावित करते हैं। लोगों को आमतौर पर लगता है कि हमारा स्वभाव ही हमारी सफलता और असफलता की कहानी

India TV News Desk
Updated on: August 21, 2015 8:43 IST

मानवीय व्यवहार में कुछ बुराइयां और गलत आदतें भी शामिल होती हैं। गुस्सा भी एक बुराई के समान होता है।

क्रोध के बारे में आचार्य चाणक्य कहते हैं

तुषना वैतरणी नदी, धरमराज सह रोष।
कामधेनु विद्या कहिय, नन्दन बन संतोष।।

इस दोहे का अर्थ है कि क्रोध यमराज के जैसा होता है। तृत्णा यानी इच्छाएं वैतरणी नदी हैं और शिक्षा कामधेनु के समान होती है। साथ ही संतोष नन्दन वन है। शास्त्रों के अनुसार वैतरणी नदी को कोई पार नहीं कर सकता है। ठीक वैसे ही हमारी हर इच्छाओं को पूरा करना असंभव है। आचार्य के अनुसार शिक्षा या विद्या कामधेनु के समान होती हैं। ये हर परिस्थिति में हमारा मार्गदर्शन करती है और परेशानियों से बचाती है। शिक्षा से व्यक्ति के जीवन में सभी सुख-सुविधाएं आती हैं। वहीं व्यक्ति में संतोष भी होना चाहिए। संतोष से ही सुख मिलता है। चाणक्य ने संतोष नंदन वन के समान माना है।

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