भारत में सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान है। इस बार मानसून के मौसम में देश के कई हिस्सों में पहले ही भारी बारिश की वजह से आपदाएं आ चुकी हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने रविवार को कहा कि सितंबर 2025 के लिए मासिक औसत बारिश 167.9 मिलीमीटर के दीर्घकालिक औसत से 109 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान है। पूर्वानुमान के अनुसार, अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य से लेकर सामान्य से अधिक बारिश होगी। हालांकि, पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत के कुछ क्षेत्रों, साथ ही सुदूर दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के कई हिस्सों और उत्तर-पश्चिमी भारत के हिस्सों में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है।
इन राज्यों जनजीवन हो सकता है बाधित
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने चेतावनी दी कि भारी बारिश से सितंबर में उत्तराखंड में भूस्खलन और अचानक बाढ़ आ सकती है। दक्षिणी हरियाणा, दिल्ली और उत्तरी राजस्थान में सामान्य जनजीवन बाधित हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘उत्तराखंड से कई नदियां निकलती हैं। इसलिए, भारी बारिश का मतलब है कि कई नदियां उफान पर होंगी और इसका असर निचले इलाकों के शहरों और कस्बों पर पड़ेगा। इसलिए, हमें इसे ध्यान में रखना चाहिए।’
1980 के बाद सितंबर में बारिश में मामूली वृद्धि का रुझान
महापात्र ने कहा कि छत्तीसगढ़ में महानदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में भी भारी बारिश का अनुमान है। उन्होंने कहा कि 1980 के बाद से सितंबर में बारिश में मामूली वृद्धि का रुझान रहा है, 1986, 1991, 2001, 2004, 2010, 2015 और 2019 में इस महीने में कम बारिश को छोड़कर।
मानसून के जाने की बदली तारीख
महापात्र ने कहा कि राजस्थान से मानसून वापसी की सामान्य तिथि एक सितंबर से बदलकर 17 सितंबर हो गई है, जिससे स्वयं संकेत मिलता है कि सितंबर में बारिश की गतिविधि बढ़ गई है। आईएमडी ने कहा कि सितंबर के दौरान पश्चिम-मध्य, उत्तर-पश्चिमी और दक्षिण भारत के कई क्षेत्रों में मासिक औसत अधिकतम तापमान सामान्य से लेकर सामान्य से नीचे रहने की उम्मीद है।
जानिए 1 जून से 31 अगस्त के बीच कितनी हुई बारिश
हालांकि, पूर्व-मध्य, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों के साथ-साथ उत्तर-पश्चिम भारत और पश्चिमी तटीय क्षेत्र के कुछ इलाकों में तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। आईएमडी के आंकड़े के अनुसार, एक जून से 31 अगस्त के बीच भारत में 743.1 मिलीमीटर बारिश हुई, जो 700.7 मिलीमीटर की दीर्घकालिक औसत से लगभग 6 प्रतिशत अधिक है।
इसके अनुसार जून में 180 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से लगभग 9 प्रतिशत अधिक थी और उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में अच्छी-खासी बारिश हुई। जुलाई में 294.1 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से लगभग 5 प्रतिशत अधिक थी, जिसमें मध्य भारत में 22 प्रतिशत की अधिकता थी। अगस्त में 268.1 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से 5.2 प्रतिशत अधिक थी।
तीनों महीनों में सामान्य से ज़्यादा बारिश हुई
महापात्र ने कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत में अगस्त में 265 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो 2001 के बाद से इस महीने में सबसे अधिक और 1901 के बाद से 13वीं सबसे अधिक बारिश है। इस क्षेत्र में अब तक मानसून के तीनों महीनों में सामान्य से ज़्यादा बारिश हुई है। कुल मिलाकर, उत्तर-पश्चिम भारत में एक जून से 31 अगस्त के बीच 614.2 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो सामान्य 484.9 मिलीमीटर से लगभग 27 प्रतिशत ज़्यादा है। आईएमडी के अनुसार, दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में अगस्त में 250.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से लगभग 31 प्रतिशत अधिक है।
1901 के बाद से आठवीं सबसे अधिक बारिश
यह 2001 के बाद से इस महीने में तीसरी सबसे अधिक और 1901 के बाद से आठवीं सबसे अधिक बारिश है। कुल मिलाकर, इस क्षेत्र में एक जून से 31 अगस्त के बीच 556.2 मिलीमीटर की सामान्य बारिश की तुलना में 607.7 मिलीमीटर बारिश हुई, जो 9.3 प्रतिशत अधिक है। असामान्य रूप से अधिक बारिश के साथ-साथ कई चरम मौसम संबंधी घटनाएं भी हुईं।
पंजाब समेत इन राज्यों में आई बाढ़
पंजाब में दशकों में सबसे भीषण बाढ़ आई, जिसमें उफनती नदियां और टूटी नहरें हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि में जलमग्न हो गईं और लाखों लोग विस्थापित हो गए। हिमालयी राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर में बादल फटने और अचानक आई बाढ़ के कारण भूस्खलन हुआ और जान-माल का व्यापक नुकसान हुआ। आईएमडी ने इस अतिरिक्त बारिश के लिए सक्रिय मानसून को दिया, जिसे लगातार पश्चिमी विक्षोभों का समर्थन प्राप्त हुआ, जिससे क्षेत्र में अधिक बारिश हुई। (भाषा के इनपुट के साथ)