Monday, May 20, 2024
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इसरो जासूसी मामला: 4 व्यक्तियों को अग्रिम जमानत के खिलाफ याचिका पर 25 मार्च को सुनवायी करेगी सुप्रीम कोर्ट

सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ से कहा कि उन्हें इस मामले में कुछ समय चाहिए। उन्होंने पीठ से अनुरोध किया, ‘‘मुझे कुछ और समय चाहिए। इस पर पीठ ने मामले पर सुनवायी 25 मार्च को करना तय किया।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 11, 2022 23:29 IST
Supreme Court- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Supreme Court

Highlights

  • इसरो जासूसी मामला: सीबीआई की याचिका पर सुनवाई 25 मार्च को

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि 1994 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जासूसी मामले में नंबी नारायणन को कथित तौर पर फंसाने के मामले में एक पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सहित चार व्यक्तियों को अग्रिम जमानत देने के केरल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर वह 25 मार्च को सुनवाई करेगा।

सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ से कहा कि उन्हें इस मामले में कुछ समय चाहिए। उन्होंने पीठ से अनुरोध किया, ‘‘मुझे कुछ और समय चाहिए। इस पर पीठ ने मामले पर सुनवायी 25 मार्च को करना तय किया।

उच्च न्यायालय ने पिछले साल 13 अगस्त को गुजरात के पूर्व डीजीपी आर बी श्रीकुमार, केरल के दो पूर्व पुलिस अधिकारियों एस विजयन और टी एस दुर्गा दत्त और एक सेवानिवृत्त खुफिया अधिकारी पी एस जयप्रकाश को मामले के संबंध में अग्रिम जमानत दे दी थी। श्रीकुमार उस समय गुप्तचर ब्यूरो के उप निदेशक थे। शीर्ष अदालत ने पिछले साल नवंबर में मामले में दायर सीबीआई की अर्जी पर नोटिस जारी किया था।

सीबीआई ने पहले शीर्ष अदालत से कहा था कि अग्रिम जमानत मिलने से मामले की जांच पटरी से उतर सकती है। एजेंसी ने कहा था कि उसने अपनी जांच में पाया है कि इस मामले में कुछ वैज्ञानिकों को प्रताड़ित किया गया और फंसाया गया जिसके कारण क्रायोजेनिक इंजन का विकास प्रभावित हुआ और इसके कारण भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम लगभग एक या दो दशक पीछे चला गया। सीबीआई ने पहले आरोप लगाया था कि इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि आरोपी एक टीम का हिस्सा थे, जिसका मकसद क्रायोजेनिक इंजन निर्माण के इसरो के प्रयासों को असफल करना था।

उच्च न्यायालय ने इन चार व्यक्तियों को अग्रिम जमानत देते हुए, कहा था, ‘‘याचिकाकर्ताओं के किसी भी विदेशी शक्ति से प्रभावित होने के बारे में लेशमात्र भी सबूत नहीं हैं जिससे वे क्रायोजेनिक इंजन के विकास के संबंध में इसरो की गतिविधियों को रोकने के इरादे से इसरो के वैज्ञानिकों को गलत तरीके से फंसाने की साजिश रचने के लिए प्रेरित हो सकें।’’उसने कहा था कि जब तक उनकी संलिप्तता के संबंध में विशिष्ट सामग्री नहीं है, प्रथम दृष्टया यह नहीं कहा जा सकता है कि वे देश के हितों के खिलाफ काम कर रहे थे।

सीबीआई ने जासूसी मामले में इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन की गिरफ्तारी और हिरासत के संबंध में 18 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश सहित विभिन्न कथित अपराधों के लिए मामला दर्ज किया है। 1994 में सुर्खियों में आया यह मामला दो वैज्ञानिकों और मालदीव की दो महिलाओं सहित चार अन्य द्वारा भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के कुछ गोपनीय दस्तावेज अन्य देशों को हस्तांतरित करने के आरोपों से संबंधित है।

नारायणन को सीबीआई द्वारा क्लीन चिट दे दी गई थी। उन्होंने पहले कहा था कि केरल पुलिस ने मामले को "गढ़ा" था और 1994 के मामले में जिस तकनीक को चुराने और बेचने का आरोप लगाया गया था, वह उस समय मौजूद भी नहीं थी। सीबीआई ने अपनी जांच में कहा था कि नारायणन की अवैध गिरफ्तारी के लिए केरल के तत्कालीन शीर्ष पुलिस अधिकारी जिम्मेदार थे।

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