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ISRO के लिए 13 अशुभ? एक बार फिर इस अंक से किया किनारा

जीएसएलवी रॉकेट की आखिरी उड़ान 29 मई, 2023 को थी और रॉकेट का कोडनेम 'जीएसएलवी-एफ12' रखा गया था। तार्किक रूप से, अगले जीएसएलवी रॉकेट का क्रमांकन 'जीएसएलवी-एफ13' होना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Feb 17, 2024 10:46 IST, Updated : Feb 17, 2024 10:46 IST
isro rocket- India TV Hindi
Image Source : X- @ISRO जीएसएलवी-एफ14 रॉकेट

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर अपने जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) रॉकेट को नंबर देते समय '13' नंबर को छोड़ दिया है जिसे आमतौर पर "अशुभ" माना जाता है। रॉकेट शनिवार शाम को मौसम उपग्रह इन्सैट-3डीएस के साथ उड़ान भरने के लिए तैयार है। जीएसएलवी रॉकेट की आखिरी उड़ान 29 मई, 2023 को थी और रॉकेट का कोडनेम 'जीएसएलवी-एफ12' रखा गया था। तार्किक रूप से, अगले जीएसएलवी रॉकेट का क्रमांकन 'जीएसएलवी-एफ13' होना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

शनिवार शाम 2,274 किलोग्राम वजनी इनसैट-3डीएस लेकर उड़ान भरने वाले जीएसएलवी रॉकेट को 'जीएसएलवी-एफ14' कोडनेम दिया गया है। दिलचस्प बात यह है कि इसी नंबरिंग योजना का पालन इसरो ने अपने अन्य रॉकेट पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) के मामले में भी किया था। रॉकेट पीएसएलवी-सी12 को भेजने के बाद, इसरो ने अपने अगले पीएसएलवी रॉकेट के लिए एक नंबर आगे बढ़ते हुए इसे 'पीएसएलवी-सी14' नाम दिया, जिसने ओशनसैट -2 और छह यूरोपीय नैनो उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया।

क्या अंतरिक्ष एजेंसी 13 नंबर को अशुभ मानती है?

इसरो के अधिकारी अपने लॉन्च रोस्टर से पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-सी13 (पीएसएलवी-सी13) नाम के रॉकेट की अनुपस्थिति को स्पष्ट करने में असमर्थ हैं। एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया था, "इस नंबर के साथ ऐसा कोई रॉकेट नामित नहीं है।" उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या अंतरिक्ष एजेंसी 13 नंबर को अशुभ मानती है।

मजे की बात यह है कि अपोलो-13 के चंद्रमा पर उतरने में विफलता के बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने उस नंबर पर किसी अन्य मिशन का नाम नहीं रखा है। हाल ही में, दो अंतरिक्ष एजेंसियों- भारत के इसरो और अमेरिका के नासा के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से बनाए जा रहे पृथ्वी विज्ञान उपग्रह नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (एनआईएसएआर) के विदाई समारोह में अपनी-अपनी परंपराओं का पालन किया।

बस के पहिए पर पेशाब करते हैं रूसी वैज्ञानिक

इसरो के एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने बताया कि जहां तक अंधविश्वासों का सवाल है, तो अधिक दिलचस्प रूसी अंतरिक्ष यात्रियों की परंपरा है, जो लॉन्चिंग केंद्र के रास्ते में अपनी बस के पिछले दाहिने पहिये पर पेशाब कर देते हैं। एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इसरो भले ही विभिन्न ग्रहों पर रॉकेट और उपग्रह भेज रहा हो, लेकिन वह अंधविश्वासों और मान्यताओं को भी मानता रहा है। सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी राहु कालम् पर रॉकेट उड़ान के लिए उलटी गिनती शुरू नहीं करेगी। राहु कालम्, या राहु ग्रह की साढ़े साती को कोई भी नया काम शुरू करने के लिए "अशुभ" माना जाता है। उन्होंने कहा, "अंतर-ग्रहीय मिशनों के मामले में, रॉकेट के लॉन्चिंग समय के साथ शुभ समय का मेल संभव नहीं है। बाद का निर्णय उस दिन लक्ष्य ग्रह की स्थिति के आधार पर किया जाता है, जब अंतरिक्ष यान अपनी कक्षा में प्रवेश करने की उम्मीद करता है इसलिए रॉकेट की उलटी गिनती शुभ समय पर शुरू हुई।"

ISRO की पूजा, नई शर्ट और मंगलवार

पिछले कुछ वर्षों में, श्रीहरिकोटा रॉकेट बंदरगाह के पास कुछ और मंदिरों को सूची में जोड़ा गया है और अधिकारी या उनके कनिष्ठ उन मंदिरों में जाते हैं और मिशन की सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं। इसी तरह, रॉकेट के विभिन्न चरणों का एकीकरण शुरू करने से पहले पूजा या समारोह आयोजित किए जाते हैं। हालांकि, भारत का 450 करोड़ रुपये का मंगल ऑर्बिटर मिशन मंगलवार को उड़ान भरकर एक तरह से परंपरा को तोड़ने वाला रहा। इसरो के एक अधिकारी ने बताया, "इसरो के इतिहास में यह पहली बार था कि किसी रॉकेट को मंगलवार को लॉन्च किया गया। मंगलवार को आम तौर पर अशुभ दिन माना जाता है।"

हालांकि, मार्स ऑर्बिटर मिशन में शामिल एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उनके लिए मंगलवार एक भाग्यशाली दिन है, क्योंकि मिशन सफल रहा। इसरो के एक सेवानिवृत्त रॉकेट वैज्ञानिक के अनुसार, एक परियोजना निदेशक रॉकेट लॉन्च के दिन नई शर्ट पहनते हैं। (IANS)

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