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लॉन्चिंग के 17 साल बाद अपने अंजाम तक पहुंची 680 किलो भारी सैटेलाइट, ISRO ने हिंद महासागर में 'दफनाया'

ISRO के अनुसार, सैटेलाइट को 10 जनवरी 2007 को लॉन्च किया गया था ताकि देश की हाई-रेजोल्यूशन तस्वीरें ली जा सके। लॉन्चिंग के समय इसका वजन 680 किलोग्राम था और यह 635 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में कार्य कर रही थी।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Feb 16, 2024 20:25 IST, Updated : Feb 16, 2024 20:26 IST
इसरो ने कार्टोसैट-2 को...- India TV Hindi
Image Source : X- ISRO इसरो ने कार्टोसैट-2 को पृथ्वी के वायुमंडल में सफलतापूर्वक गिराया

बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 17 साल पहले लॉन्च की गई कार्टोसैट-2 सैटेलाइट को अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल में सफलतापूर्वक गिरा दिया है। 14 फरवरी 2024 को इस सैटेलाइट ने धरती के वायुमंडल में प्रवेश किया और हिंद महासागर में गिरकर खत्म हो गया। अंतरिक्ष एजेंसी के एक अधिकारी ने शुक्रवार यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया, सैटेलाइट ने 14 फरवरी को भारतीय समयानुसार अपराह्न 3.48 बजे हिंद महासागर के ऊपर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया। या तो यह जल गई होगी या इसका बचा हुआ हिस्सा समुद्र में गिर गया होगा, जिसे हम ढूंढ़ नहीं पाएंगे।’’

कब लॉन्च की थी सैटेलाइट?

ISRO के अनुसार, सैटेलाइट को 10 जनवरी 2007 को लॉन्च किया गया था ताकि देश की हाई-रेजोल्यूशन तस्वीरें ली जा सके। इससे सड़कें बनाई जा सके, नक्शे बनाए जा सकें और अन्य विकास कार्य हो सके। लॉन्चिंग के समय इसका वजन 680 किलोग्राम था और यह 635 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में कार्य कर रही थी। इस सैटेलाइट को नियंत्रित तरीके से वायुमंडल में प्रवेश कराया गया था ताकि कचरा कम फैले और इससे किसी को कोई नुकसान न हो।

30 साल में गिरने की उम्मीद थी लेकिन नहीं माने वैज्ञानिक 

अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, “शुरुआत में, कार्टोसैट-2 को स्वाभाविक रूप से नीचे आने में लगभग 30 साल लगने की उम्मीद थी। हालांकि, इसरो ने अंतरिक्ष मलबे को कम करने पर अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए बचे हुए ईंधन का उपयोग कर इसकी परिधि को कम करने का विकल्प चुना।’’

इसरो ने कहा कि बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण इस्तेमाल को लेकर संयुक्त राष्ट्र समिति और अंतर-एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (IADC) जैसे संगठनों की सिफारिशों के बाद सैटेलाइट को सुरक्षित तरीके से पृथ्वी की कक्षा में लाया गया और अब उसे नष्ट कर दिया गया। (भाषा)

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