कर्नाटक में अपनी रीजनल भाषा को प्रोत्साहन करने के लिए आदेश जारी किया गया है। कन्नड़ और संस्कृति मंत्री शिवराज तंगदगी ने शुक्रवार को कहा कि कर्नाटक सरकार ने राज्य के सभी उपायुक्तों को नामपट्टों में कन्नड़ भाषा के अनिवार्य उपयोग के कार्यान्वयन की कड़ी निगरानी करने का निर्देश दिया है। विधान परिषद में सदस्य उमाश्री के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए मंत्री ने कहा कि ये निर्देश कन्नड़ भाषा व्यापक विकास अधिनियम, 2022 के अनुसार जारी किए गए हैं।
अस्पतालों, और मनोरंजन केंद्रों पर भी कन्नड़ में लिखे जाएंगे नाम
उन्होंने कहा कि अधिनियम की धारा 17, उपधारा 6 के तहत सरकार या स्थानीय निकाय की अनुमति से संचालित सभी वाणिज्यिक, औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, ट्रस्टों, परामर्श केंद्रों, अस्पतालों, प्रयोगशालाओं, मनोरंजन केंद्रों और होटलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि नामपट्ट पर कम से कम 60 प्रतिशत कन्नड़ भाषा प्रदर्शित हो और वह शीर्ष पर दिखाई दे।
कार्यान्वयन के लिए निर्देश जारी
उन्होंने आगे कहा कि अधिनियम को लागू करने की जिम्मेदारी सभी जिलों के उपायुक्तों की है। उन्होंने कहा, 'चूंकि प्रवर्तन एक सतत प्रक्रिया है। इसलिए कार्य के अधूरा रहने का कोई सवाल ही नहीं था।' उन्होंने कहा कि सभी कार्यान्वयन अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
20 हजार तक का जुर्माना
मंत्री शिवराज तंगदगी ने कहा कि कन्नड़ नामपट्टियों को न अपनाने वाले संस्थानों पर जुर्माना लगाया जाएगा। सरकार की तरफ से जुर्माना इस प्रकार है। पहले उल्लंघन के लिए 5,000 रुपये, दूसरे उल्लंघन के लिए 10,000 रुपये और उसके बाद प्रत्येक उल्लंघन के लिए 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है। साथ ही लाइसेंस रद्द करने की संभावना भी है।
की जाएगी कार्रवाई
मंत्री ने आगे कहा कि सभी उपायुक्तों को इन प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। जरा सी भी किसी ने ढिलाई बरती तो उन पर उचित कार्रवाई भी की जाएगी।