Friday, May 10, 2024
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Rajat Sharma’s Blog: मोदी ने कैसे किया काशी का अद्भुत कायाकल्प

अध्यात्म, परोपकार और भक्ति में डूबे रहनेवाले वाराणसी के लोग यह मानते थे कि काशी की गलियों की हालत कभी नहीं सुधरेगी।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: December 15, 2021 15:20 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

मुझे कई बार बनारस जाने का मौका मिला है। बनारस की गलियां भी देखी है और काशी-विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना भी की है। लेकिन सच बताऊं तो देश के इस पवित्र मंदिर के चारों ओर गलियों की हालत देखकर दुख होता था। मंदिर जाने के लिए बनारस की संकरी गलियों से होकर दुकानों के बीच पानी और कीचड़ के रास्ते से गुजरना पड़ता था। गटर में गंदगी और कचरा भरा होता था। गलियों में सिर के ऊपर बिजली के तारों का जंजाल पसरा रहता था।

 
वाराणसी में रहने वाले लोग जिनमें ज्यादतर बाबा विश्वनाथ के भक्त हैं, गलियों की इस हालत को अपनी नियति मान चुके थे। वो कहते थे कि चारों तरफ दुकानें हैं और सैकड़ों लोगों के घर हैं। इन घरों में से भी ज्यादातर घर पुजारियों और पंडों के हैं। उनसे मकान खाली करना असंभव है। वहां के लोग कहते थे कि पुजारियों और पंडों से कौन टकराएगा। किसी भी राजनेता में यह साहस नहीं हुआ कि वह इन गलियों की हालत सुधारने के लिए इन पुजारियों और पंडों से पंगा मोल ले। लगता है जैसे सारा काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर छोड़ दिया गया था जिन्होंने यहां की दशा में एक चमत्कारिक परिवर्तन लाने का काम किया है।
 
नरेन्द्र मोदी ने इस तरह से यह काम किया कि किसी को शिकायत नहीं हुई। मंदिर के आस-पास तोड़-फोड़ का काम सुचारू रूप से चलता रहा। एक भी मामला अदालत में लंबित नहीं रहा। जो दुकानें और मकान टूटे उनके मालिकों की संतुष्टि का पूरा ध्यान रखते हुए पूरे मामले को सुलझाया गया और काशी विश्वनाथ को एक भव्य औऱ दिव्य स्वरूप दे दिया गया। हिंदू धर्म के सबसे पवित्र शहर काशी ने अपना खोया हुआ गौरव वापस पा लिया है। अध्यात्म, परोपकार और भक्ति में डूबे रहनेवाले वाराणसी के लोग यह मानते थे काशी की गलियों की हालत कभी नहीं सुधरेगी। उन्होंने संकरी गलियों, भीड़ और बारहों महीने ट्रैफिक जाम को अपने भाग्य का हिस्सा मान लिया था। यहां के लोग चतुराई इसमें मानते थे कि घर से किस वक्त निकलें और किस गली से रास्ता निकालें कि समय पर गंतव्य तक पहुंच जाएं। यहां के लोग दशकों से इसी फॉर्मूले पर चल रहे थे।
 
जब-जब मैं काशी गया तो वहां के प्रबुद्ध लोग, डॉक्टर्स, शिक्षक, वकीलों से मिला और लगभग सभी लोगों में काशी के प्रति अपार प्रेम को देखा। लेकिन उनमें एक निराशा का भाव भी था कि उनकी काशी कैसी है, यह सूरत कब बदलेगी। लेकिन बतौर सांसद नरेन्द्र मोदी ने उनकी निराशा को आशा में बदल दिया। हताशा को उत्साह में बदल दिया। उन्होंने काशी का कायाकल्प कर दिया।
 
अब काशी के वही लोग, वही दोस्त मुझसे कहते हैं कि आप एक बार काशी आकर देखिए। बगैर देखे आप कभी समझ नहीं पाएंगे कि कैसा चमत्कार हुआ है। मैंने बनारस के कई लोगों से बात की, उनके सुर बदले हुए थे। अब उन्हें अपनी काशी पर गर्व है। वो कहते हैं कि यह काम आसान नहीं था और इस चमत्कार को नरेंद्र मोदी के अलावा और कोई कर भी नहीं सकता था। 
 
स्वाभाविक रूप से अब काशी के लोगों की अपेक्षाएं और भी बढ़ गई हैं और पिछले दो दिन में नरेन्द्र मोदी ने उन्हें आश्वस्त किया है कि वह काशीवालों की हर अपेक्षा को पूरी करेंगे। काशी के लोग अब संतुष्ट और खुश हैं। 
 
यह पूरा बदलाव रिकॉर्ड समय में किया गया। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना को निर्बाध रूप से काफी तेज गति से पूरा किया गया है। यहां गलियों और सड़कों को चौड़ा किया गया, अंडरग्राउंड केबल नेटवर्क बनाकर सिर के ऊपर लटकने वाले तारों के जंजाल को हटा दिया गया। गंगा नदी के घाट अब साफ हो गए हैं, गंगा के पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और यह पीने योग्य है। एक और महत्वपूर्ण काम यह हुआ है कि अब बाबा के घर का कायाकल्प हो गया है। भोलेनाथ और भक्तों के बीच की दूरी कम हो गई है। अब तीर्थयात्री गंगा में स्नान के बाद जल चढ़ाने के लिए सीधे काशी विश्वनाथ मंदिर जा सकते हैं। काशी के लोग वही हैं लेकिन अब उनका अंदाज नया है। उनके अंदर आत्म-सम्मान का नया भाव है।
 
काशी कितनी बदल गई है, इसे समझने या फिर इसे देखने के लिए आपको बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं है। बनारस स्टेशन (पुराना नाम-मंडुआडीह। जैसे दिल्ली में निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन है, उसी तरह काशी का एक स्टेशन था-मंडुआडीह। इसी साल इसका नाम बदल कर बनारस किया गया है) पर उतरते ही वहीं से आपको बदलाव दिख जाएगा। पहले यहां रेलवे स्टेशन की बिल्डिंग अंग्रेजों के जमाने की थी, पुराने दफ्तर थे लेकिन अब वहां कुछ भी पुराना नहीं है। स्टेशन की बिल्डिंग, प्लेटफॉर्म, दफ्तर से लेकर सबकुछ नया है। एस्केलेटर, ओवरब्रिज, रेस्ट रूम सब नया और हाईटेक सुविधाओं से लैस है। आधी रात को पीएम मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ इस रेलवे स्टेशन पर गए और इस नवनिर्मित स्टेशन का खुद निरीक्षण किया। पहले मंडुआडीह स्टेशन पर तीन प्लेटफॉर्म थे लेकिन अब यहां आठ प्लेटफॉर्म हैं। प्लेटफॉर्म नंबर आठ पर एक बड़ा सा यात्री लाउंज है जहां एक बार में 168 यात्री बैठ सकते हैं। रेलवे ने अकेले यात्री सुविधाओं पर 100 करोड़ रुपये खर्च किए।
 
प्रधानमंत्री मोदी कभी-भी अपने अधिकारियों की भेजी गई एक्शन रिपोर्ट पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करते। आधी रात को वे वाराणसी के मशहूर गोदौलिया चौक पहुंचे। पीएम मोदी सीएम योगी के साथ मुख्य सड़क पर पैदल चले, वहां घूमे और स्थानीय लोगों से बात की और उनका फीडबैक लिया। काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट के तहत ही गोदौलिया चौक का भी रि-डेवेलपमेंट किया गया है। इस इलाके की सड़कों को चौड़ा किया गया है। मल्टी लेवल पार्किंग बनाई गई है। पूरे इलाके में LED लाइट्स लगाई गई हैं। पहले इस इलाके में हर वक्त जाम लगा रहता था, गाड़ियां तो छोड़िए, पैदल चलने वालों को भी दिक्कत होती थी। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। स्थानीय लोगों ने नए बदलाव के बारे में पीएम मोदी से बात की।
 
इंडिया टीवी के संवाददाताओं ने काशी-विश्वनाथ मंदिर के बाहर निवनिर्मित कॉरिडोर में लाइन में लगे तीर्थयात्रियों से बात की। इन लोगों ने इस पूरे बदलाव की तारीफ की।
 
20 हजार वर्ग फीट के मंदिर परिसर को अब बढ़ाकर 5 लाख वर्ग फीट कर दिया गया है। नए कॉरिडोर में 23 नए भवन बने हैं और 27 मंदिरों का नवीनीकरण हुआ है। कॉरिडोर को तीन भागों में बांटा गया है जिसमें चार बड़े द्वार हैं। कॉरिडोर को 22 विशाल मार्बल प्लेटों से सजाया गया है जो काशी के इतिहास को दर्शाती हैं। मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, 3 यात्री सुविधा केंद्र, 4 शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, सिटी म्यूजियम, वाराणसी गैलरी और एक बहुउद्देश्यीय हॉल इस काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं। पहले हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं को इस मंदिर में दाखिल होने के लिए काफी धक्का-मुक्की का सामना करना पड़ता था। अब हालात बदले हैं। मंगलवार को सभी श्रद्धालु दर्शन के लिए कतारों में खड़े नजर आए।
 
वाराणसी के सभी घाट अब साफ-सुथरे और गंदगी से मुक्त नजर आते हैं। यहां से अतिक्रमण को हटा दिया गया है। गंगा नदी के तटों को साफ रखने के लिए एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट काम कर रहे हैं।
 
काशी में इस तरह का बदलाव लाने की योजना पर 4500 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। 4500 करोड़ में से 900 करोड़ रुपये सिर्फ काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर पर खर्च किए गए। 450 करोड़ रुपये अंडरग्राउंड केबलिंग पर, 100 करोड़ रुपये गंगा घाटों पर और बाकी राशि सड़कों के चौड़ीकरण, मल्टीलेवल पार्किंग, 1.25 लाख एलईडी लाइट्स और गोदौलिया चौक के सौदर्यीकरण पर खर्च की गई। 
 
इस तीर्थ नगरी को स्वच्छ बनाने के बाद अब मोदी को उम्मीद है कि यहां पर्यटन और होटल सेक्टर को ज़बरदस्त फायदा पहुंचेगा । उन्होंने वाराणसी में मेडिकल हब बनाने की योजना भी बनाई है। पहले ही वाराणसी के पास आधुनिक एयरपोर्ट और शहर को जोड़ने के लिए अच्छे हाइवे और अच्छी सड़कें मौजूद हैं। 
 
कहा जाता है - जहां चाह, वहां राह । मोदी ने वही किया जो अब तक असंभव माना जाता था। यह तो कहा जा सकता है कि काशी का यह कायाकल्प किसी जादू से कम नहीं है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 14 दिसंबर, 2021 का पूरा एपिसोड

 

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