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इधर दिल्ली में विपक्ष के सांसद हुए सस्पेंड तो उधर रांची में BJP के 3 विधायकों पर गिरी गाज, जानें पूरा मामला

देश की संसद में सांसदों के लगातार हो रहे निलंबन की खबरों के बीच अब झारखंड की राजधानी रांची से बड़ी खबर आ रही है। यहां बीजेपी के तीन विधायकों को शीतकालीन सत्र की अवधि तक के लिए निलंबित कर दिया गया है।

Edited By: Amar Deep
Published : Dec 19, 2023 11:36 pm IST, Updated : Dec 20, 2023 12:03 am IST
भाजपा के तीन विधायक निलंबित।- India TV Hindi
Image Source : PTI भाजपा के तीन विधायक निलंबित।

रांची: झारखंड विधानसभा में मंगलवार को जमकर हंगामा हुआ। वहीं विधानसभा की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न करने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के तीन विधायकों को शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया। इसके साथ ही उन्हें मार्शल के जरिए सदन से बाहर करा दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष की इस कार्रवाई के खिलाफ भाजपा के अन्य विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया। वहीं सत्तापक्ष और विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी। इसके बाद बाद जब दोपहर साढ़े 12 बजे कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो भाजपा के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण, सचेतक जेपी पटेल और विधायक भानू प्रताप साहू अपनी मांगों के समर्थन में आसन के सामने आ गए। अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो ने कहा कि विधायक सदन की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं। बता दें कि दिल्ली में 141 विपक्षी सांसद सस्पेंशन झेल रहे हैं और सदन का काम सुचारु रूप से नहीं चल पा रहा है।

भाजपा ने किया निलंबन का विरोध

महतो ने कहा कि "मैं बिरंची नारायण और भानु प्रताप साही को मौजूदा सत्र से निलंबित करता हूं।" एक अन्य विधायक जेपी पटेल को भी निलंबित कर दिया गया। विपक्ष के नेता अमर बाउरी ने विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई को तनाशाही बताया। बाउरी ने कहा कि "हम राज्य के युवाओं से संबंधित मुद्दा उठा रहे थे। लेकिन, सरकार के पास कोई जवाब नहीं है। भाजपा ने विधायकों के निलंबन का विरोध किया। हम बहिर्गमन कर रहे हैं।" सदन से निकलने के बाद भाजपा विधायकों ने विधानसभा परिसर में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा के पास धरना दिया। नारायण ने कहा, ''यह प्रतिशोध की राजनीति है।'' उन्होंने आरोप लगाया कि "जब हमने रोजगार के मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव की मांग की, तो अध्यक्ष ने हमें निलंबित कर दिया। हम बस अपनी मांग उठा रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री के निर्देश पर हमें निलंबित कर दिया गया।" 

कांग्रेस अध्यक्ष ने किया आरोपों का बचाव

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि ''यह बदले की राजनीति नहीं है। अगर ऐसा होता तो भाजपा के सभी विधायकों को निलंबित कर दिया गया होता। अध्यक्ष ने भाजपा विधायकों द्वारा पैदा की गई स्थिति के अनुसार कार्रवाई की।'' बाद में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और बाउरी के नेतृत्व में भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की। मरांडी ने कहा कि “ हमने राज्यपाल को राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था और बढ़ते भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी दी। हमने उन्हें इस बात से भी अवगत कराया कि मुख्यमंत्री किस तरह से कानून की अनदेखी कर रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय के छह समन के बाद भी वह केंद्रीय जांच एजेंसी की पूछताछ से बच रहे हैं। इसलिए, हमने मुख्यमंत्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की।” 

सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने किया हंगामा

उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा तीन भाजपा विधायकों को निलंबित किये जाने की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि ''ऐसा लगता है कि विधानसभा अध्यक्ष ने पहले ही भाजपा विधायकों को निलंबित करने का मन बना लिया था।'' इससे पहले विधायकों के हंगामे की वजह से प्रश्नकाल नहीं हो सका था। भाजपा के नेतृत्व वाले विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के विधायकों ने विधानसभा में अपनी-अपनी मांगों को लेकर हंगामा किया। सदन की बैठक सुबह करीब 11 बजे शुरू हुई। भाजपा ने राज्य की रोजगार नीति को मंजूर करने और इस मुद्दे पर सदन में बहस कराने की मांग उठाई। सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए भाजपा विधायक आसन के सामने आ गए। सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक भी वहां पहुंचे और लोकसभा तथा राज्यसभा से सदस्यों के निलंबन के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने की मांग की। 

सीएम से सदन में बयान देने की मांग

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए नेता प्रतिपक्ष बाउरी ने कहा कि जब उन्होंने कांग्रेस सांसद धीरज साहू से जुड़े परिसरों से नकदी मिलने का मामले उठाया तो कहा गया कि यह मामला राज्य विधानसभा से संबंधित नहीं है। उन्होंने कहा कि अब वे इस तरह की मांग कैसे कर सकते हैं। बाउरी ने कहा कि पंचायत सचिवालय के 18 हजार से अधिक कर्मी और दिव्यांग युवा रोजगार के लिए सड़कों पर हैं। उन्होंने कहा कि 'रोजगार एक संवेदनशील मुद्दा है और मुख्यमंत्री को इस पर सदन में अपना बयान देना चाहिए।” 

ध्वनि मत से पास हुआ अनुपूरक बजट

इस पर जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि युवाओं का आंदोलन पिछली सरकार के गलत कामों का नतीजा है। आलम ने कहा कि “यह सरकार संवेदनशील है और सभी समस्याओं का समाधान निकालेगी।” मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि भाजपा लोगों का ध्यान असल मुद्दों से भटकाने की कोशिश कर रही है। बाद में दोपहर करीब दो बजे भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई और सोमवार को पेश किये गये अनुपूरक बजट पर भाजपा विधायकों की अनुपस्थिति में चर्चा हुई। सदन ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 8,111.77 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट ध्वनि मत से पारित कर दिया।

(इनपुट: भाषा)

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