Saturday, April 27, 2024
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10 फरवरी से शुरू हो रहा है फाल्गुन माह, जानें महा शिवरात्रि, होली सहित कब पड़ रहा है कौन सा व्रत-त्योहार

10 फरवरी से हिंदी संवत का अंतिम महीना फाल्गुन मास का प्रारंभ हो रहा है। फाल्गुन मास को रंगों का महीना भी कहा जाता है। इस महीने ऋतुराज वसंत के आगमन से प्रकृति की सुंदरता को चार चांद लग जाते है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: February 09, 2020 21:56 IST
falgun maas vrat and festival- India TV Hindi
falgun maas vrat and festival

10 फरवरी से हिंदी संवत का अंतिम महीना फाल्गुन मास का प्रारंभ हो रहा है। फाल्गुन मास को रंगों का महीना भी कहा जाता है। इस महीने ऋतुराज वसंत के आगमन से प्रकृति की सुंदरता को चार चांद लग जाते है। हिंदी संवत का आखिरी महीना फाल्गुन जाते-जाते सर्द ऋतु को ले जाता है और वसंत जैसे सुहावने मौसम के साथ हिंदी नव वर्ष की शुरुआत होती है। फाल्गुन महीना प्रकृति के नज़रिये से जितना महत्वपूर्ण है उतना ही इसका धार्मिक महत्व भी है। आप सभी जानते ही होंगे कि- महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनायी जाती है। वर्ष 2020 में महाशिवरात्रि का व्रत, 21 फरवरी को किया जायेगा। कन्याएं सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करती है। 

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12 फरवरी को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी, जबकि 27 फरवरी को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत किया जायेगा। प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है|.

13 फरवरी को सूर्य देव दोपहर 3 बजकर 4 पर कुम्भ राशि में प्रवेश कर रहे है। सूर्य देव के इस गोचर से विभिन्न राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसकी चर्चा हम 13 फरवरी को करेंगे। इस संक्रांति का पुण्यकाल सूर्योदय से दोपहर 3 बजकर 4 मिनट तक रहेगा।

16 फरवरी को श्री जानकी जंयती मनायी जायेगी तथा 17 फरवरी कोसमर्थ गुरु श्री रामदास और 18 फरवरी को स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती मनायी जायेगी। इसके अलावा 25 फरवरी को श्री रामकृष्ण परमहंस की जयंती भी मनायी जायेगी है। 

फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी मनायी जाएगी। माना जाता है कि प्रभु श्री राम ने विजया एकादशी का व्रत रखा था, जिसके फल के प्रताप से वह रावण को परास्त किये थे। 

फाल्गुनी अमावस्या का भी धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। अमावस्या तिथि में दान-पुण्य आदि के लिये विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। फाल्गुन मास की अमावस्या तिथि 22 फरवरी की शाम 7 बजकर 3 मिनट से लेकर अगली रात 9 बजकर 2 मिनट तक रहेगी।

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फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी मनाने का विधान है। इस एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उपवास करके भगवान विष्णु की पूजा व रात्रि जागरण करने से सुख समृद्धि व मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

प्रत्येक महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत साभी संसारिक सुखों दिलाने वाला माना जाता है।

9 मार्च, को फाल्गुनी पूर्णिमा मनाई जायेगी। मान्यता है कि चंद्रमा की उत्पति अत्रि और अनुसूया से फाल्गुन मास की पूर्णिमा को हुई थी इस कारण गाजे-बाजे के साथ नाचते गाते हुए चंद्रोदय की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन होलिका पूजन कर शाम के समय होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के अगले दिन यानि 10 मार्च को रंगों वाली होली खेली जाएगी।  

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