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भोपाल में दो मस्जिदों को हटाने के आदेश पर विवाद, मुस्लिम संगठन ने कहा- 'मस्जिद पर अगर पैर भी रखा तो...'

भोपाल में दो मस्जिदों को हटाने के लिए प्रशासन के आदेश पर विवाद शुरू हो गया है। मुस्लिम संगठन ने कहा है कि मस्जिद पर अगर पैर भी रखा तो आर पार की लड़ाई होगी। आइए जानते हैं पूरा मामला।

Reported By : Anurag Amitabh Edited By : Subhash Kumar Published : Aug 18, 2025 03:45 pm IST, Updated : Aug 18, 2025 08:49 pm IST
bhopal masjid controversy- India TV Hindi
Image Source : PEXELS सांकेतिक फोटो।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की दो मस्जिदों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। जिला प्रशासन ने इन मस्जिदों को अवैध बताते हुए हटाने का निर्देश दिया है। लेकिन वक्फ बोर्ड इसके विरोध में हाई कोर्ट जा पहुंचा है। मुस्लिम संगठनों के मुताबिक, मस्जिद वक्फ की संपत्ति है, आदेश रसूखदारों के फायदे के लिए है। तो वहीं, हिंदू संगठन इन मस्जिदों को तत्काल हटाने पर अड़े हुए हैं। आइए जानते हैं कि आखिर इन मस्जिदों को लेकर इतना बड़ा टकराव क्यों हो रहा है।

क्या है पूरा मामला?

राजधानी भोपाल में मामला तनावपूर्ण है। वजह है भोपाल की लाइफलाइन कहे जाने वाले बड़े तालाब के इलाके में बनी दिलकश मस्जिद और भदभदा मस्जिद। दरअसल, 4 जुलाई को जिला प्रशासन द्वारा जारी किये गए नोटिस में इन्हें कब्जे की जमीन पर बना हुआ बताया गया है। इन दोनों मस्जिदों के लिए जारी नायब तहसीलदार के आदेश में लिखा है कि यह दोनों स्थाई मस्जिद कब्जा करके बनाई गई है। ये तुरंत हटाई जाए वरना बलपूर्वक बेदखल किया जाएगा।

मुस्लिम संगठन ने क्या धमकी दी?

मुस्लिम संगठन ने धमकी देते हुए कहा है कि "भोपाल की आवाम सुन ले, शहर की मस्जिद पर अगर पैर भी रखा तो आर पार की लड़ाई होगी, लाशों पर से गुजरना होगा।" वहीं, हिन्दू संगठन ने कहा है कि "मस्जिद टूटनी चाहिए मतलब टूटनी चाहिए।"

जिला प्रशासन के इस आदेश पर एमपी वक्फ बोर्ड ने आपत्ति दर्ज कराते हुए बताया कि मस्जिदें उनकी वैध संपत्ति हैं> उनके पास इनकी लीगल डाक्यूमेंट्स मौजूद हैं। एनजीटी ने वक्फ बोर्ड को इस मामले में पक्षकार बनाया लेकिन स्थगन आदेश देने से मना कर दिया जिसके खिलाफ बोर्ड ने हाई कोर्ट में रिट पिटीशन दाखिल की है। वक्फ ने ये जानकारी खुद मस्जिद में चिपका कर दी है।

मस्जिद हटाने के नोटिस की खबर मिलते ही मुस्लिम संगठन विरोध पर उतर आए और कहा NGT कr कार्रवाई नाजायज है। दोनों मस्जिद वक्फ की संपत्ति है, मस्जिद टूटी तो आर पार की लड़ाई होगी। वहीं, दिलकश मस्जिद और मोहम्मदी मस्जिद की लड़ाई लड़ रहे मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता रफी जुबेरी के मुताबिक, दोनों मस्जिद वक्फ संपत्ति में है। 1937 से इसका रिकॉर्ड है।

क्यों जारी किया गया नोटिस?

दरअसल, इन मस्जिदों को नोटिस देने की वजह रही बड़ा तालाब। जिसके शहरी क्षेत्र में 50 मीटर और ग्रामीण क्षेत्र में ढाई सौ मीटर के दायरे में आने वाले अतिक्रमण पर प्रशासन ने नोटिस देना शुरू किया है। एनजीटी और पर्यावरण विभाग मंत्रालय की अधिसूचना के परिपालन में प्रशासन द्वारा गठित दल ने सर्वे रिपोर्ट पेश कर बताया था की इन दो मस्जिदों के अलावा मंदिर समाधि समेत 35 और अतिक्रमण हैं जो एफटीएल एरिया में आते हैं जिन्हें हटाया जाना है। प्रशासन अब वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी का पक्ष सुनने के बाद कार्रवाई की बात कर रहा है। मस्जिद न टूटने की खबर मिलते ही हिंदू संगठन भी उग्र हो उठे और कहा कि वक्फ बोर्ड बड़े तालाब को भी वक्फ की संपत्ति बताएगा। हर हालत में यह मस्जिद टूटनी चाहिए।

अब आगे क्या होगा?

मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक स्थल पर हमला मान रहे हैं तो दूसरी तरफ हिंदू संगठन प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस बीच माहौल लगातार राजनीतिक और धार्मिक रूप लेता जा रहा है। सरकार का कहना है कि लैंड जिहाद किसी कीमत पर कबूल नहीं होगा। एनजीटी का आदेश है, कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। अब मस्जिद का भविष्य अदालत की सुनवाई पर निर्भर है। ऐसे में क्या प्रशासन इन्हें हटाएगा या वक्फ बोर्ड अपने दस्तावेजों से इन्हें बचा पाएगा। इसका फैसला प्रशासन की और हाई कोर्ट की सुनवाई के बाद ही तय हो पाएगा।

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