Saturday, December 13, 2025
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Exclusive | मुंबई की मस्जिदों में ऐप से हो रही अजान, लाउडस्पीकर अब बीते दिनों की बात

मुंबई की मस्जिदों में अजान अब लाउडस्पीकर की बजाय मोबाइल ऐप के माध्यम से की जा रही है। यह तकनीकी पहल विवादों को खत्म कर रही है और समाज में शांति, भाईचारा और धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा दे रही है।

Reported By : Sachin Chaudhary Edited By : Vineet Kumar Singh Published : Jun 28, 2025 06:56 pm IST, Updated : Jun 28, 2025 06:56 pm IST
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Image Source : INDIA TV माहिम मस्जिद ने सबसे पहले 'अजान ऐप' से अजान की शुरुआत की।

मुंबई: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से एक सकारात्मक और उम्मीद जगाने वाली खबर सामने आई है। मस्जिदों में लाउडस्पीकर को लेकर महीनों से चल रहा विवाद अब तकनीक के ज़रिए शांतिपूर्ण ढंग से सुलझ गया है। मुस्लिम समुदाय ने आधुनिक तकनीक का सहारा लेकर एक नया तरीका अपनाया है, जिससे अजान अब मोबाइल ऐप के माध्यम से लोगों तक पहुंच रही है। यह न सिर्फ शोर और टकराव को खत्म कर रहा है, बल्कि इबादत की आवाज को हर घर तक शांति से पहुंचा रहा है।

टकराव से समाधान तक का सफर

पिछले कुछ समय से महाराष्ट्र में मस्जिदों के लाउडस्पीकरों को लेकर विवाद चल रहा था। भारतीय जनता पार्टी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने इसके खिलाफ अभियान चलाया था, तो कुछ इलाकों में पुलिस में शिकायतें भी दर्ज हुईं। दूसरी तरफ, मुस्लिम समुदाय इसे अपनी धार्मिक आजादी पर हमला मान रहा था। लेकिन मुंबई की ऐतिहासिक माहिम मस्जिद ने इस विवाद का एक अनोखा और तकनीकी समाधान निकाला, 'अजान ऐप'। माहिम मस्जिद ने सबसे पहले इस अनोखे 'अजान ऐप' की शुरुआत की। अब जब मस्जिद में इमाम अजान देने आते हैं, तो वे मोबाइल ऐप पर एक बटन दबाते हैं। इसके बाद शहर भर में, जिनके पास यह ऐप है, उनके मोबाइल पर अजान की आवाज तुरंत सुनाई देती है। न कोई शोर, न किसी को परेशानी, सिर्फ इबादत की सदा शांति से हर घर तक पहुंच रही है।

'बड़े लाउडस्पीकरों को ढक दिया गया है'

पहले मस्जिद के बाहर बड़े लाउडस्पीकरों से अजान तेज आवाज में सुनाई देती थी, लेकिन अब छोटे बॉक्स स्पीकर लगाए गए हैं। बड़े लाउडस्पीकरों को ढक दिया गया है, जिससे कम डेसीबल में आवाज सिर्फ मस्जिद परिसर तक सीमित रहती है। वहीं, मोबाइल ऐप के ज़रिए अजान हर घर तक पहुंच रही है। माहिम मस्जिद के ट्रस्टी फहाद पठान ने बताया, 'जब पुलिस हमारे पास आई और लाउडस्पीकर हटाने की बात कही, तो हमने सहयोग देने का निर्णय लिया। हमने तमिलनाडु का उदाहरण अपनाया और ‘अजान ऐप’ लॉन्च किया। अब अजान की सूचना और ऑडियो सीधे लोगों के मोबाइल तक पहुंचती है।'

कैसे डाउनलोड करें ‘अजान ऐप’?

  1. ऐप का नाम: अजान ऐप
  2. कहां उपलब्ध: Google Play Store और Apple App Store  
  3. कैसे इस्तेमाल करें: लॉगिन करें, अपनी मस्जिद चुनें और अज़ान के समय नोटिफिकेशन के साथ लाइव ऑडियो पाएं।

कहां-कहां इस ऐप का हो रहा है इस्तेमाल?

यह ऐप अब मुंबई के माहिम, चेम्बूर, मानखुर्द, कुर्ला और बांद्रा सहित आधा दर्जन से ज्यादा मस्जिदों में सक्रिय रूप से इस्तेमाल हो रहा है। माहिम में ही अब तक 500 से ज्यादा लोग इस ऐप को डाउनलोड कर चुके हैं। मस्जिदों के बाहर QR कोड लगाए गए हैं, जिन्हें स्कैन करके लोग आसानी से ऐप डाउनलोड कर सकते हैं। माहिम मस्जिद के नमाजियों ने इस पहल की तारीफ की। एक नमाजी ने कहा, 'ये कदम बहुत अच्छा है। अब बिना विवाद, घर पर अजान सुन सकते हैं और तैयार होकर नमाज के लिए जा सकते हैं। इससे बच्चों में भी नमाज की आदत बढ़ेगी।'

'इसका इस्तेमाल देशभर की मस्जिदों में होना चाहिए'

एक अन्य नमाजी ने बताया, 'यह बहुत अच्छी पहल है। लाउडस्पीकर को लेकर विवाद हो रहा था, कुछ लोगों को आपत्ति थी और समाज में दो समुदायों में टकराव बढ़ रहा था। अब इसे रोकने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, जो बहुत अच्छी बात है। इसे घर में बैठकर अज़ान सुनाई देती है, उसके बाद आप तैयार होकर नमाज के लिए आ सकते हैं। इसका इस्तेमाल मुंबई और महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि देशभर की मस्जिदों में होना चाहिए ताकि लाउडस्पीकर का मसला हल हो जाए और भाईचारा बना रहे। ये मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है और बहुत आसान है।' उन्होंने यह भी कहा कि ऐप की वजह से घर में हर किसी के मोबाइल पर अजान सुनाई देती है, जिससे बच्चों में भी नमाज के प्रति लगाव बढ़ रहा है। यह एक सकारात्मक बदलाव है।

भाईचारे का एक नया पुल बना रही है ये पहल

यह पहल सिर्फ तकनीकी समाधान नहीं, बल्कि सामाजिक और धार्मिक सौहार्द की मिसाल बन रही है। मुस्लिम धर्मगुरुओं और मौलानाओं ने भी इस कदम का स्वागत किया है। मुंबई की मस्जिदें इस बदलाव की राह पर चल पड़ी हैं और उम्मीद है कि जल्द ही यह पहल देशभर की मस्जिदों तक पहुंचेगी। धार्मिक परंपरा और तकनीक का यह मेल न सिर्फ एक पुराने विवाद को सुलझा रहा है, बल्कि यह भी दिखा रहा है कि संवाद, सहयोग और तकनीक से हर मुश्किल का हल संभव है। यह पहल भाईचारे का एक नया पुल बना रही है, जो समाज में शांति और एकता को बढ़ावा दे रहा है।

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