Saturday, April 27, 2024
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महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच सीमा विवाद पर प्रधानमंत्री को अपना रुख साफ करना चाहिए: उद्धव ठाकरे

उद्धव ठाकरे ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वर्तमान में जारी महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच सीमा विवाद के मुद्दे पर अपने रुख को साफ करना चाहिए।

Vineet Kumar Singh Edited By: Vineet Kumar Singh @JournoVineet
Published on: December 10, 2022 19:20 IST
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Image Source : PTI FILE उद्धव ठाकरे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

जालना: महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच दशकों से जारी सीमा विवाद को पिछले कुछ दिनों में हवा मिली है, और यह अब तेजी से बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। तनाव पैदा करने वाली तमाम घटनाओं के बीच महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच सीमा विवाद के मुद्दे पर अपने रुख को साफ करना चाहिए। ठाकरे जालना जिले के संत रामदास कॉलेज में 42वें मराठवाड़ा साहित्य सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे।

‘विवाद पर अपना रुख स्पष्ट करें पीएम मोदी’

ठाकरे ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को नागपुर-मुंबई एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करने आ रहे हैं और हम उनका स्वागत करते हैं। उन्हें अपनी यात्रा के दौरान महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। जब प्रधानमंत्री एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के लिए आएंगे तो उन्हें राज्य की कई समस्याओं का समाधान करना होगा। उन्हें कर्नाटक के मुख्यमंत्री के बारे में बोलना चाहिए जो महाराष्ट्र के कुछ गांवों पर दावा कर रहे हैं।’ बता दें कि विवाद बढ़ने के बाद उद्धव के गुट के कार्यकर्ताओं ने कर्नाटक की कुछ बसों पर काले रंग का पेंट पोत दिया था।

दशकों पुराना है दोनों राज्यों के बीच का विवाद
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद दोनों राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों से हिंसा की घटनाओं की सूचनाएं आने के बाद गहरा गया है। यह विवाद 1957 में भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करने के बाद से ही है। महाराष्ट्र कर्नाटक के बेलगावी पर दावा करता है जो भूतपूर्व बम्बई प्रेसिडेंसी का हिस्सा था, क्योंकि वहां पर मराठी भाषी लोगों की संख्या अच्छी खासी है। महाराष्ट्र का कर्नाटक के मराठी भाषी 814 गांवों पर भी दावा है। यह मामला काफी लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में है।

उद्धव ने ‘कॉलेजियम’ सिस्टम का बचाव किया
उद्धव ने जजों की नियुक्ति के ‘कॉलेजियम’ सिस्टम का भी बचाव करते हुए केंद्र सरकार पर ‘न्यायपालिका पर दबाव डालने’ और इसे अपने नियंत्रण में लाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। ठाकरे ने केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ बयान देने के लिए आलोचना की। रीजीजू ने पिछले महीने कहा था कि कॉलेजियम प्रणाली संविधान के प्रति ‘सर्वथा अपिरचित’ शब्दावली है। वहीं, धनखड़ ने राज्यसभा में अपने पहले भाषण में NJAC कानून को रद्द करने के लिए न्यायपालिका की आलोचना की थी।

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