Thursday, May 09, 2024
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अब 'मशाल' लेकर चुनावी मैदान में उतरेंगे उद्धव, कहा- जंग की शुरुआत हो चुकी है

उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि उन्हें बालासाहेव ठाकरे का चेहरा चाहिए, उन्हें चुनाव चिन्ह चाहिए, लेकिन शिवसेना की फैमिली नहीं।

Malaika Imam Written By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published on: February 18, 2023 16:53 IST
उद्धव ठाकरे- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र में चुनाव आयोग के फैसले के बाद सियासी पारा एक बार फिर चढ़ गया है। उद्धव ठाकरे के हाथ से उनके पिता बालासाहेव ठाकरे की बनाई पार्टी शिवसेना के साथ चुनाव चिन्ह् "धनुष और बाण" भी निकल गया है। चुनाव आयोग ने अपने आदेश में एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना स्वीकार किया है। ऐसे में चुनाव आयोग के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने आज बड़ा बयान देते हुए कहा है कि हमारी ये परीक्षा है और लड़ाई शुरू हो गई है।

'उन्हें बालासाहेव ठाकरे का चेहरा चाहिए'

उद्धव ठाकरे ने कहा, "मैं कहना चाहता हूं कि उन्हें बालासाहेव ठाकरे का चेहरा चाहिए, उन्हें चुनाव चिन्ह चाहिए, लेकिन शिवसेना की फैमिली नहीं। पीएम नरेंद्र मोदी को महाराष्ट्र आने के लिए बाला साहेब ठाकरे के मास्क की जरूरत है। राज्य के लोग जानते हैं कौन सा चेहरा असली है और कौन नहीं।"

उसी तरह 'मशाल' भी ले सकते हैं: ठाकरे

ठाकरे ने कहा, "चोरों को पवित्र 'धनुष और बाण' दिया गया था, उसी तरह 'मशाल' भी ले सकते हैं। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि अगर वे मर्द हैं, तो चोरी का 'धनुष-बाण' लेकर भी हमारे सामने आओ, हम 'मशाल' लेकर चुनाव लड़ेंगे। यह हमारी परीक्षा है, लड़ाई शुरू हो गई है।"

'EC का फैसला लोकतंत्र के लिए खतरनाक'

इससे पहले उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को चुनाव आयोग के फैसले को लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया था। उन्होंने कहा था कि वह इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। चुनाव आयोग के फैसले के कुछ घंटों बाद संवाददाता सम्मेलन में ठाकरे ने निर्वाचन आयोग पर आरोप लगाया कि वह केंद्र सरकार का गुलाम बन गया है। 

पार्टी और जनता साथ है: उद्धव ठाकरे

ठाकरे ने कहा कि यह कल हमारे 'मशाल' के चिह्न को भी छीन सकता है। उन्होंने अपने समर्थकों से हार न मानने और जीतने के लिए लड़ाई लड़ने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि पार्टी और जनता उनके साथ है। उन्होंने कहा कि चोरों को कुछ दिनों के लिए खुश होने दीजिए। ठाकरे ने कहा कि देश में लोकतंत्र जिंदा रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट आखिरी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अगर यह उम्मीद खत्म हो गई तो हमें हमेशा के लिए चुनाव कराना बंद कर देना चाहिए और एक व्यक्ति का शासन कायम कर देना चाहिए।

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